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दे दी हमें आजादी बिना खड़क बिना ढाल , साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल |
आज 2 अक्टूबर है गाँधी जयंती | अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी का जन्मदिवस जिसे आज पूरी दुनियां मना रही है | उनकी हरेक बातें एक भारत दर्शन है जिसे सम्पूर्ण दुनियां पढ़ती है , पढ़ना चाहती है और पढ़ती हीं रहेगी |
"बापू" यह सिर्फ दो अक्षर / एक शब्द नहीं | एक खास अनूठा प्यार का सबूत है , जो एक बार फिर 152 वीं जयंती के रूप में मनाई जा रही है और लोगों के दिलों पर एक बार फिर आजादी का बिगुल बजाती हुई धड़कने तेज कर रही है | यह दस्तक हरेक वर्ष आता है | इसलिए कि गाँधी जी इस दुनियां में आज भी मौजूद है | उन्हें हम हर साल एक प्रेरणा के रूप में याद करते हैं और आने वाले कल के लिए एक दर्शन के रूप में धरती पर उतारते है | ताकि आने वाले कल में बापू द्वारा दिए गए दर्शनद्वीप प्रज्वलित होता रहे |
गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था | यह जन्म न जाने दुनियां में कितने लोगों को प्रेरित किया ! हर इंसान गर एक अहिंसा विचारवादी बन जाए , तो समझा जा सकता है कि - वो गाँधी है और ऐसा हीं व्यक्तित्व जब हमारी नज़रों को स्पर्श करती है , तो मुझे एहसास होता है कि - यह गाँधी की खुशबु है जो बिखेरती हुई उनकी विचारों को जिन्दा कर रही है , हमारे आसपास |
गाँधी जी का हरेक शब्द जिंदगी में उतारने लायक है | जैसे सोना जलकर कुंदन बनता है , क्यूंकि स्वयं को अगर बनाना है / निखारना है / तपाना है और पारस बनाना है तो अन्दर से मजबूत बनना बहुत जरुरी है , तभी कोई आपको हरा नहीं पायेगा | जो डर गया वो आगे कभी बढ़ नहीं सकता और सच्चाई की राह पर चलने वाले कभी मरा नहीं करते | विचारों की सच्चाई व्यक्ति में अद्दभुत निखार पैदा करता है और तभी उनमे हीरे सी चमक प्रज्वलित होती है | परन्तु गाँधी जी में सिर्फ हीरे की चमक नहीं , उन्हें तो आज भी हम उगता हुआ सूरज कहते है | क्यूंकि इतिहास में वे सदैव जिन्दा है एक याद बनकर | तभी उनकी बातें हमारी निर्मल आत्मा को स्पर्श करती है और यहीं से एक गाँधी का जन्म होता है |
जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि - आज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह , महात्मा गाँधी की जयंती पर कवरत्ती में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की एक प्रतिमा का अनावरण करेंगे |
30 जनवरी एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था , जब 1948 में नाथूराम गोडसे ने महात्मागांधी को इटली निर्मित स्वचालित पिस्तौल का इस्तेमाल करके उनपर गोली चला दी थी | इस पिस्तौल का नाम बरेटा CL9 था | परन्तु उनकी गोली सिर्फ बापू के शरीर को छलनी कर पाया | वे शब्द में , प्यार की गहराई में और लोगों के विचार में आज भी जिन्दा है एक प्रकाश बनकर , खिलते हुए फूल बनकर , जिसकी खुशबु बहुत दूर तक फैलती है - आजादी के पहले भी और आजदी के बाद भी |
ऐसी गोली कभी बनी नहीं और न कभी बनेगी , जो बापू के विचार को मार सके |
अब सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की विचारधाराओं वाली शिक्षा को पांचवी से लेकर 12 वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला लेकर लोगों के मन मस्तिष्क पर इनकी गहराई को मापने का एक कदम उठाया है | भले हीं बापू की विचारों की गहराई के साहिल तक हम नहीं पहुँच सकते , मगर एक सुखद शुभारम्भ करके हर दिन एक अनुभूति से नहा तो सकते हैं | बच्चे जब गाँधी जी के दिखाए गए मार्ग से चलना आरम्भ करेंगे , तो असंख्य लोगों को धरती से आसमान तक का सफ़र तय कर बुलंदियों पर पहुंचते देर नहीं लगेगी |
बापू अपने जन्मदिन पर अधिकतम मौन रहा करते थे | चरखा चलाते हुए ईश्वर से प्रार्थना करते थे | उन्होंने राम के नाम से मोहब्बत की थी और यहीं नाम की खुशबु इनकी जिंदगी को रौशनी भ्रमण करा गया | आज भी लोग जी रहे हैं , इनके द्वारा ही दी हुई प्रकाश के धरातल पर | गाँधी जी का एक विचार और भी है , जिसे वो अपने जन्मदिवस के दिन एक कार्य समझकर उतारते थे और वह है खादी का वस्त्र | क्यूंकि चरखा वो खादी निर्माण के लिए हीं चलाया करते थे |
हम , आप सभी को गाँधी जयंती की हार्दिक शुभकामना देते हुए , खादी के प्रति अपनी सोंच को बढ़ाने के लिए एक बार फिर से तहे दिल से स्वागत करते है | क्यूंकि खादी सिर्फ वस्त्र नहीं , एक विचार भी है | गाँधी जी चाहते थे कि - भारत के लोग खादीमय हो जाए | मगर अफ़सोस की हमारा खादी आज खादी न बनकर एक फैशन का महंगा रूप लेता जा रहा है , जिसकी कल्पना शायद गाँधी जी ने कभी नहीं की होगी !
आज अच्छे उपदेश का दिन है , अच्छी बोल भजन का दिन है , बच्चों को अहिंसा प्रेमी बनाने के दिन है और सादा जीवन / उच्च विचार अपनी अंतरआत्मा में भरने / उतारने का दिन है | आजादी का मतलब तभी है , जब हम गाँधी जी की भावनाओं को जमीन पर उतारेंगे और यह तभी संभव है कि हम मिलकर इस इतिहास को एक विस्तार दे - जहाँ कोई नहीं रोये और न कोई भूखा सोये | हमें मिलकर ऐसा हीं भारत का निर्माण करना होगा |
गाँधी जी ने - चंपारण सत्याग्रह , असहयोग आन्दोलन , भारत छोड़ो आन्दोलन आदि जैसे कई बिगुल को विस्तृत रूप देकर भारत को आजादी दिलाई | हमें भी कदम बढ़ाना होगा और हमारा यह कदम होगा गरीबी उन्मूलन की तरफ का , जहाँ बेरोजगारी के दीमक को हम भगाते हुए स्वरोजगार का दीप जलाएंगे , रुके हुए हाथ को हम आगे बढ़ाएंगे | जब अंग्रेज को भगाना इतना आसान था , तो गरीबी को भगाना ज्यादा मुश्किल नहीं | सिर्फ मन में गाँधी को जिन्दा रखना होगा , फिर कुछ भी असंभव नहीं |
किसी शायर ने लिखा है - "हम लाये है तूफ़ान से कश्ती निकाल के , इस देश को रखना मेरे बच्चों संभल के" यह गाँधी जी के जीवन पर आधारित गीत है , जिसे हमें जीवन में उतारना होगा और अपने भारत के आने वाले कल को संवारना होगा |
राजघाट पर महात्मा गाँधी का समाधी स्थल है | जहाँ राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री सहित कई सारे गणमान्य लोग पुष्प अर्पित करने पहुँच रहे है , पहुँचने वाले है | जो लोग वहां नहीं पहुँच सकते , वो भारतवासी अपने ध्यान से आज गाँधी जी पर पुष्प अर्पित करते है | यह असंभव है कि - न हम तारे गिन सकते है , न समुन्द्र की गहराई को माप सकते है | परन्तु यह संभव है कि - बापू के विचारों को हम अपने जीवन में उतार सकते है | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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