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कोरोना की तीसरी लहर चीन को इस कदर सताया कि उन्होंने लगा दिया दुनियां का सबसे कठोर लॉकडाउन |
ओमिक्रोन बेरियेंट का दस्तक लोगो को क्वारंटीन होने पर मजबूर कर रही है | बहुत सारे ऐसे परिसर जहाँ कोरोना मरीज है , वहां भी उस परिसर को 21 दिनों के लिए सील किया गया | वहां के लोग स्वयं को मेंटल महसूस कर रहे है |
Shijiazhuang राज्य में 108 एकड़ में बनाये गए है क्वारंटीन कैम्पस , जिसमे हजारो लोगों को रखा गया है | इतने बड़े कैम्पस को जनवरी 2021 में पहली बार बनाया गया था | चीन में आरम्भ हुआ कोरोना को लेकर लोगो पर त्रास्दी , जिसे न चाहते हुए भी लोग भुगत रहे है |
कोरोना से दुनियां को कब आजादी मिलेगा ? अब यह सोंच का विषय है | परन्तु इंसान अपनी सुख - सुविधा छोड़ नहीं सकता और इंसान की लापरवाही हीं दुनियां के दुखो का कारण है | प्रकृति हमसे रूठ गई है | कोरोना का कहर , प्रकृति के रूठने का एक जीता - जागता सबूत कहा जा सकता है , इसमे तनिक भी संदेह नहीं |
चाइना में दिसंबर माह से शहरों में लॉकडाउन लगा है | लोग सुविधाओं से वंचित है | परन्तु सरकार मैसेज दे रही है - "ऑल इज वेल" |
राष्ट्रपति शी जिम्पिंग की सरकार जीरो कोविड इन्फेक्सन के आंकड़े अपने चाहत में ढूंढ रही है , इसके लिए इंसान पर जीतनी भी शक्ति व क्रूरता बरती जाए , उन्हें मंजूर है |
चीन में 2 करोड़ लोग घर के अन्दर कैद है , जिसमे अधिकांशतः के पास खाने के लिए अन्न नहीं | बच्चों के लिए दूध और बूढों के लिए दवा उपलब्ध नहीं करा रही है सरकार | भूख ने कितनो को पाबंदियों का फांसला लांघने पर मजबूर कर दिया , जिसके बाद वहां की पुलिस ने सूद सहित पिटाई की रोटियाँ दे डाली , भूख मिटाने के लिए |
सड़को पर दम तोड़ती नजर आ रही है जिंदगी | कोरोना नहीं तो भूख से मर जायेंगे लोग , अगर इसपर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया तो | दिसंबर माह में लगा था लॉकडाउन और अभी जनवरी का दूसरा सप्ताह गुजर चूका | यह चीन है , एक कोरोना संक्रमित मिला तो पुरे शहर में लॉकडाउन की घोषणा जारी |
बुहान की कुछ कहानी छनकर बाहर आई , मगर शियान से कुछ सामने नजर नहीं आ पाता | सवाल करने का हक़ यहाँ की जनता में नहीं है कि वे अपना मुंह खोले | शक्ति के लिए - हजारो कर्मचारी , सुरक्षा बल कंट्रोल रूम से लेकर सड़को पर तैनात है , मगर सुविधा व सहयोग के लिए नहीं | इंसान जाए तो जाए कहाँ ! अभाव में किसी की जान गई - आप बोल नहीं सकते | उनपर क्रूरता बरता गया - आप बोल नहीं सकते | कोविड के अतिरिक्त भी तो बहुत सारे दर्द और परेशानियाँ है जिंदगी में , ऐसे में लोग अन्य सुविधा के लिए कौन से चिकित्सालय का दरवाजा खटखटाए | अन्य उपचार के लिए डॉक्टर और कर्मचारी कान में तेल डालकर सो पड़े है | बहुत सारे ऐसे दर्द है , जिसे वहां के इंसानों ने झेला है , पीड़ा को झेला है , वेदना सहा है और दर्द जब क्लेश बनकर उमड़ आया तो उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म विवो पर सागर बहाना चाहा तो वहां की सरकार ने उनके अकाउंट को हीं ब्लाक करवा दिया |
घर की बात घर में यानी तालिबानी शक्ति | जुर्म इतना की सहा न जाए , आखिरकार इसका निदान कैसे और कब तक ?
हम पुनः कोविड के विषय में आपको याद दिला दे कि - यहाँ के राष्ट्रपति ने इतनी सख्ती बरती कि यहाँ 95% एडल्ट्स पूर्ण रूप से वैक्सीनेटेड है | 45 से 55 हजार लोगों के बीच लोगों को क्वारंटीन किया गया है |
क्वारंटीन की स्थिति रौंगटे खड़े करने वाले है , जिसमे मेटल का रूम बनाया गया है | इस घर में सिर्फ विस्तर और टॉयलेट की व्यवस्था की गई है | हजारों की संख्या में मेटल बॉक्स बनाये गए है , जिसमे प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों व अन्य लोगो को आइसोलेट किया जाता है |
क्रूर प्रतिबंधो को लोगों की जिंदगी पर थोप रहा है चीन | इस छोटा बॉक्सनुमा कमरे में दो हफ्ते तक लोगो को कैद रखा जाता है | बाहर निकलने वाले लोगो ने भी अपनी वेदना शेयर किया है , जहाँ क्वारंटीन किये जाने के दौरान खाना कम और उनकी पिटाई भी होती रही | चीन में इस तरह का लॉकडाउन कब तक रहेगा या बढ़ेगा - कहना मुश्किल | बिना मास्क वाले व्यक्ति को सीधे जेल भेजा जा रहा है | भुखमरी की कगार पर बेहाल हुए लोग खाना बचाने के खातिर दोपहर तीन - चार बजे हीं सो जाते है , ताकि एक वक्त का खाना बचाया जा सके |
इससे बड़ा दुर्भाग्य इंसान के लिए भला क्या होगा ? लोग खाने के लिए जीते है , यहाँ जीने के लिए पर्याप्त खाना नहीं |
ऐसा नहीं की सोशल मीडिया पर कुछ आ नहीं रहा , वहां के ऑफिसर मजबूर है | कुछ ने सोशल मीडिया पर कहा - हम अपनी ड्यूटी निभा रहे है , तकलीफ के लिए माफ़ी चाहते है |
चलते - चलते हम आपको एक पुरानी बात याद दिला दे कि - ये वहीं चीन है जहाँ चमगादर का शूप बेचा जाता था और जिसके कारण कोरोना का कहर पूरी दुनियां में बरपा |
शुक्र है - हम इस देश के वासी है , जिस देश में गंगा बहती है | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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