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उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में बुधवार की रात करीब 10 बजे शादी के उत्सव में हल्दी की रस्म अदा करने के दौरान 35 महिलायें व बच्ची कुएं में गिर पड़ी जिससे 13 लोगो की मौत हो गई |
जानकारी के आधार पर मृतक लोगो में 11 बच्ची शामिल है जिनकी उम्र 5 से 15 साल है |
हल्दी रस्म के दौरान सभी जन कुएं की जाली पर बैठकर पूजा कर रही थी , तभी जाली टूट गई और सभी लोग नीचे गिर गए | गिरने की आवाज व चीख पुकार सुनकर आसपास के लोग दौर पड़े और लोगो को कुएं से निकालना शरू किया जिसके बाद सभी को अस्पताल पहुंचाने की गति आरम्भ हुई | लेकिन बेहद अफ़सोस की बात है कि ख़ुशी भरे माहौल में मातम भर गया और कई जिंदगी अकाल मौत की गोद में समां गया |
कुएं में अभी भी लोगो के फंसने की शंका है | अँधेरा होने के कारण दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है , फिर भी मौके पर पहुंची पुलिस व प्रशासन टीम द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है | लोगो को पहचानने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है | गाँव में अफरातफरी मची है , लोग अपने अपने परिजनों को ढूंढने में लगे है | हर मन संदेह के घेरे में ढूंढ रहा अपने परिवार को , कहीं मृत में उनका नाम तो शामिल नहीं |
35 महिलायें और लड़कियाँ एक साथ कुएं में गिर गई और डूबने लगी | घोर आश्चर्य की बात है कि इनमे इतनी सोंच क्यूँ नहीं पनपी कि जाल पर इस कदर 35 लोगो का एक साथ बैठना क्या उचित था ? यह सोंचने की बात है - इंसान हो या सामान अपनी क्षमता से ज्यादा लोड वह सहन नहीं कर सकता |
कई लोग जाली पर खड़े हो गए थे , तभी लोहे की जाली टूट गई और कुएं के पास खड़ी सभी महिलायें एक के बाद एक करके गिर पड़ी | जबकि पीछे खड़ी अन्य महिलायें बच गई , क्यूंकि वो कुएं से अलग थी | जबकि 50 - 60 से ज्यादा महिलायें इस हल्दी रस्म अदा करने कुएं पर पहुंची थी |
यह घटना कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र का है | इसी गाँव के रहने वाले परमेश्वर कुशवाहा के यहाँ गुरुवार को शादी समारोह संपन्न होना था , जो आने वाली कल की ख़ुशी अब मातम में बदल गया |
20 से ज्यादा लोगो की घायल होने की सूचना अभी मिली है जिसका उपचार किया जा रहा है | मृत लोगो के शव की शिनाख्त अभी नहीं हो सका है |
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरा शोक जताते हुए जिला प्रशासन के अधिकारियों को घटना स्थल पर पहुंचकर राहत कार्य आरम्भ करने और हादसे में घायल हुए लोगो को उचित उपचार कराने का आदेश दिया है |
शुभ घड़ी अशुभ की छाँव में रो पड़ा | इसे हीं कहा जाता है - वक्त का मार |अक्सर वक्त मेहरबान रहे यहीं सोंचकर कदम बढ़ानी चाहिए | जिसकी शादी होनी थी , आज का क्या रुख होगा ? कुछ कहा नहीं जा सकता | यह गाँव वाले के निर्णय पर निर्भर करता है | दो दिल मिलेंगे या फिर इस मातम से दुखी मन इस समारोह की तारीख को आगे बढ़ाएंगे |
कहीं भी जाए या खड़े हो अपने पाँव के नीचे की धरातल को सदैव परख ले कि उसमे मजबूती कितना है ? धोखा कहीं भी , किसी से भी हो सकता है | जैसे कि बुधवार की रात हो गया , परन्तु सचेत रहना बहुत जरुरी है सबके लिए | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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