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भोपाल के बैरसिया के बसई में गायों की अकाल मृत्यु ने खोले कई राज , जब मीडिया ने आधी रात के बाद दस्तक दिया तो ठंढ से कंपकपाती हुई मिली सैकड़ो गायें और उनकी आँखों के सामने हीं ठंढ से निढाल पड़ी एक गाय की हुई मौत |
बेजुबान पर इतना भी अत्याचार मत कीजिये कि इंसानियत शर्मसार होकर सड़को पर बिखर जाए | जिम्मेदारी निभाने की क्षमता मौजूद न हो तो नाम कमाने से क्या फायदा ?
यह है गौसेवा भारती गौशाला | यहाँ बीते शनिवार को 8 गाय की मौत हुई | वहीं रविवार को मैदान में 80 से ज्यादा गाय का शव , कुएं में 20 गाय और हड्डियाँ व कंकाल भी बिखरे पड़े हुए देखा गया | इस गौशाला की संचालिका का नाम है निर्मला देवी शांडिल्य जो बीजेपी की सदस्या है और पिछले 20 वर्षो से गौशाला का संचालन कर रही है |
गाय की लगातार मृत्यु ने हड़कंप मचा दिया और सच्चाई के पर्दाफाश होने के बाद बात थाने तक पहुंची और निर्मला देवी पर केस दर्ज किया गया है |
अब प्रशासन ने गौशाला का अधिकार अपने हाथ में ले लिया है | मगर सूचना के आधार पर हम आपको बता दे कि - दामन बदलने के बाद भी हालत वहीं के वहीं है | गाय की देखभाल के लिए किसी को तैनात नहीं किया गया | भूख की तपन से बेहाल गाय छटपटाती हुई भोजन ढूंढने के लिए मैदान में निकल जाती है | इनके लिए न वहां चारा है न पीने के लिए पानी |
वहां का दृश्य जहाँ चारा डाला जाता है - जमी हुई मिट्टी वहां की हालत को व्यक्त कर रही है | गौशाला की सुरक्षा में तैनात पुलिस बल ने बताया कि - 10 बजे रात्री में प्रशासन ने गाय के लिए एक ट्रक भूंसा ख़रीदा था , लेकिन वह ट्रक पर हीं लदा रहा , गायों तक नहीं पहुंचाए गए | आखिरकार इस चारे को क्या नाम दिया जाए ?
यह गौशाला बैरसिया में सरकारी जमीन पर स्थित है , जिसका विस्तार 10 एकड़ जमीन पर है | गौशाला के नाम पर मानो कब्ज़ा कर लिया गया हो ऐसा जान पड़ता है | इस जमीन पर आसपास के गाँव वाले अपने मवेशियों को छोड़ जाते है , साथ हीं राहत के लिए कुछ राशि भी देते है |
मीडिया के पहुँचने पर निर्मला देवी को आधी रात के बाद निकलना पड़ा और उन्होंने जो बाते कही वो चकित करने वाली थी | उन्होंने कहा - गाय की सेवा के लिए प्रशासन से दो - तीन सालो में डेढ़ रुपया मिलते है | इतने कम पैसे में गाय की सेवा करना मुमकिन नहीं , बावजूद मै अपने स्तर से गायों की देखभाल और सेवा करती हूँ |
मीडिया ने अपने सवालो से उन्हें घेरते हुए कहा कि - इस ठंढ के मौसम में खुले आसमान के नीचे गायों को रखने का कारण ?
इस बात को सुनकर निर्मला देवी ने कहा कि - प्रशासन ने इन्हें ऐसे रखा है | मैंने इनके लिए पन्नी लगाकर उनकी रहने की व्यवस्था की थी , मगर प्रशासन ने उसे हटा दिया | उन्होंने आगे कहा कि - गाय हर रोज भूंसा मांगती है , हम कहाँ से दे और हंस पड़ी | अपने तारीफ में यह भी कहा - मै भाजपा की 30 साल से सक्रीय कार्यकर्ता हूँ | मै ब्लॉक अध्यक्ष रही , मंडी सदस्य भी रही | लोग हमें मंडी वाली मैडम और गौशाला वाली मैडम के नाम से हीं जानते थे | ठंढ के कारण तीन - चार गाय मर गई , हम कितना ध्यान दे |हमारे ऊपर जो इल्जाम लगाया है , वो विरोधी पार्टी वाले है | मै एक बुजुर्ग महिला हूँ , मुझे परेशान किया जा रहा है | उन्होंने कहा - इस गौशाला में 400 गाय है जिसमे अधिकांशतः गाय किसानो की है |
अब गौशाला में गाय की हड्डियों को इकठ्ठा करने हेतु सफाईकर्मी लगाए गए है | हड्डियाँ की संख्या इतना ज्यादा है कि उसे ट्रोली पर ले जाना पड़ रहा है | क्यूंकि यह एक - दो दर्जन नहीं बल्कि 100 से ज्यादा गाय की मौत का साक्ष्य / सबूत दर्शा रही है |
मीडिया की आँखों ने रात 1 बजे देखा - 500 से अधिक गाय ठंढ से कंपकपा रही थी | इस ठंढ में तो गर्म कपड़े पहनकर भी इंसान का बुरा हाल है , वह भी कमरे के अन्दर | यह कैसी निर्दयता ? कि बेजुबान पर रक्षक बने लोग अत्याचार की सीमा पार कर रहे है | गाय की मौत का सच जो छनकर सामने आया और भूख से तड़पती हुई गायों ने जो दुःख सहे , ठंढ सही , इस दर्द / पीड़ा / क्लेश का जुर्माना भला कौन भरेगा ? प्रशासन या फिर निर्मला देवी !
अगर गौशाला में ऐसी स्थिति थी तो निर्मला
देवी को आगे आना चाहिए था | मीडिया से पहले स्वयं उन्हें अपनी बातो को
मीडिया , प्रशासन और समाज के सामने रखनी चाहिए थी तो शायद बचा लिए जाते 100
से ज्यादा गायों की जिंदगी ! जो बेवश होकर यूँ अकाल मृत्यु की गोद में तो न
समाती | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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