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एक सुबह ऐसा जिसकी सबको तलाश है
"शकुंतला महिला गृह उद्योग" एक जाना पहचाना सा नाम जो महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ हीं पारंगत महिलाओं के लिए व्यवसाय व रोजगार की व्यवस्था करने का लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ रही है |
महिलाओं के हुनर को निखारती / सलाम करती "शकुंतला" के बढ़ते कदम का क्या कहना | सोंच निराली है , जिन्होंने महिलाओं के दर्द को जीया और जड़ से मिटाने हेतु कदम बढ़ाये हैं | महिलाओं की बुझी - बुझी सी सपनों वाली आँखों में एक तेज उत्पन्न करती हुई एक बार फिर वहीं हौंसले को जीवित करने हेतु निकल पड़ी है , जिसे महिलाओं ने पूर्व में देखा था उन अधूरे सपनों को अब सच करना बाकी है |
अभी देर कहाँ हुआ ? सोंचती है शकुंतला और कहीं देर न हो जाए | एक पहल को अंजूरी में भरकर चल पड़ी है कठिन राह में दीपक लेकर रौशनी के लिए |शकुंतला एक ऐसा नाम जो कभी हारेगी नहीं , थामेगी दामन तो किसी को हारने देगी भी नहीं | लाख कठिनाइयों के बीच अँधेरे को चीरकर रौशनी भरने , उत्पन्न करने का हौसला मन में भरती हुई महिलाओं के नाम के संग "बेचारी और अबला" शब्दों को खंडित करने का नाम है "शकुंतला" |
बचपन में हमने पढ़ा , आप भी पढ़े होंगे - "अबला तेरी यहीं कहानी , आँचल में दूध आँखों में पानी" इस पानी को पोछने चली है | अब इन शब्दों को शकुंतला बदल देगी जब महिलाओं के आँचल में दूध तो रहेगा भरपूर ममता के साथ मगर आँखों में आंसू नहीं "तेज" उत्पन्न होगा |
आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न सम्पूर्ण भारत व भारत के बाहर भी मनाया जा रहा था , वहीं एक नई सुबह के लिए भी उत्सव की तैयारी करने में जुटी थी शकुंतला | आज वह दिन करीब आ गया जहाँ वह सिर्फ महिलाओं के लिए हीं नहीं बेटियों के लिए भी उनके अस्मिता को बरकरार रखने के लिए मजबूत स्तम्भ बनकर दस्तक दे रही हैं क्यूंकि बच्चे भविष्य हैं |
आज के आधुनिक और वैज्ञानिक युग में चाँद पर जाना भी कितना सरल हुआ , ऐसे में धरती पर काम करना और भी सरल बना देगी |
"शकुंतला" नाम से कोई वंचित नहीं क्यूंकि एक शकुंतला वह थी जो माँ मेनका की पुत्री बनी और एक शकुंतला यह जो कितनो की माँ बनने की जिम्मेदारी को उठाते हुए चल पड़ी है हौंसला लिए | हौंसला बिकता नहीं बाजार में और न ख़रीदा जाता है , यह अपने अन्दर पैदा करने का नाम है जब जज्बात छलक जाता है तो हौंसला वहीं जन्म लेता है |अब इस आंधी को कोई रोक नहीं पायेगा , सभी के घरो में रौशनी प्रवाहित होगी |
शकुंतला एक आशा का नाम है , विश्वास / भरोषा का नाम है , एक सच का नाम है , एक नई उम्मीद , एक नई राह / नया लक्ष्य का नाम है | धुप में छाँव का , छाँव में खुशनुमा हवा के झोंके का और बरसात में इंद्रधनुषी रंग लिए गोल्डन सिल्वर और अमृत रस जैसा सावनी बहार और श्रृंगार का नाम है | पवन के उस झोंके का नाम है शकुंतला जो बहार लेकर आई है महिलाओं और बच्चो के लिए |
फिलहाल एक शकुंतला कई शकुंतला को जन्म देकर बाहर लाएगी , जमीं पर जहाँ सरल होगा आसमान को छूना | इनकी पहली पहल महिलाओं को स्वावलंबी बनाना निहायत जरुरी है जिसके लिए शिक्षा पर दस्तक , हुनर पर दस्तक | दहेज़ का जड़ से खात्मा , अब बेटी वहीं ब्याही जायेगी जहाँ दहेज़ का नामोनिशान नहीं रहेगा | शकुंतला सिर्फ बोलती नहीं / कहती नहीं , करके दिखलाने का नाम है | आनेवाले कल में एक नया इतिहास लिखने का नाम है , ये शामिल होंगी उन पन्नों पर दस्तक देती हुई भोर बनकर जिनके पद चिन्हों को लोग सलाम करेंगे और चुन लेंगे उन राह को |
भारत को रौशनी से भरपूर करने की चाहत लिए चल पड़ी है एक ऐसा उड़ान लिए जहाँ उनकी जीत सुनिश्चित है |
एक माँ की मूरत / छवि को देखा है हमने जहाँ उनकी बोलती हुई आँखें और अपने दर्द को जब्ज करती हुई होठों पर महिलाओं को जीताने का लक्ष्य व लगन , ऐसे जैसे कि हरबोल में खिलते हुए फूलों से खुशबू झड़ रहे हों |
शकुंतला एक कल्पना नहीं , कल्पनाओं को सच करने का नाम है | बहुत जल्द इनसे आपको रूबरू कराएँगे हम ........... फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से |
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