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परिवार परामर्श केंद्र में एक पीड़िता ने अपने पति व सास के खिलाफ मामला दर्ज किया जहाँ विवाहिता ने कहा - मै दहेज़ लाई हूँ इसलिए खाना नहीं बनाउंगी , आप बनाओ और मुझे भी खिलाओ | यह घटना आगरा का है |
आगरा में पति - पत्नी के बीच विवाद छिड़ा और मामला आ गया परिवार परामर्श केंद्र के टेबल पर जहाँ दोनों अड़े हैं | महिला का डिमांड है - पति खाना बनायें और उसे भी खिलाएं या फिर दहेज़ की रकम से काम करने के लिए सहयोगी रखें | महिला ने सारी बातें काउंसलर के सामने रख दी | काउंसलर ने महिला को समझाने की बहुत कोशिश की मगर वह मानी नहीं | कहा - मुझे खाना पकाना नहीं आता और उसके पिता ने दहेज़ में बहुत सारे रकम दिए हैं , ऐसे में ससुराल वाले हमें सुविधा दें |
वह घर में कोई काम नहीं करेगी , पति और सास के लिए खाना नहीं पकाएगी | इन दोनो का विवाह 3 वर्ष पूर्व हुआ | तू तू मै मै के बाद पति और सास के खिलाफ महिला ने परिवार परामर्श केंन्द्र में पति और सास के खिलाफ केस दर्ज किया |
यह स्थिति / परिस्थिति कितना रंग लाएगी ? परिवार और समाज को कितना आगे बढ़ाएगा कुछ कहा नहीं जा सकता क्यूंकि आज के दौर की महिलायें वो महिलायें नहीं रही जिनसे लोग अपनी मनमानी करा लिया करते थे या आज भी कराते हैं मगर सभी महिलायें उन में से नहीं | तर्क है इनके पास कि ससुराल वाले बहु को सिर्फ नौकरानी नहीं समझे |
महिलायें कब तक एकतरफा कीचन व परिवार का बोझ लेकर घूमेंगी | सुबह / दोपहर और रात का खाना , कपड़े , बर्तन , झाड़ू पोछा , बच्चो की देखभाल और उसके बाद समय बचा तो बड़ो के पैर दबाने की रश्में , पति की नखरें उठाने की प्रथा आदि की चक्की में कबतक पिसती रहेगी और इंतजार करेगी - कब आयेंगे राजा राम मोहन राय और कब आएँगी रानी अहिल्याबाई होलकर | पल पल इंतजार करती नयना आज खुद अँधेरे को चीरकर अपने बलबूते अपने बंटवारे का सबूत पेश करने पर हो रही मजबूर |
हाल हीं में बेटियां अपने बलबूते UPSC टॉपर बनकर मुहर लगा दिया | पिछला पन्ना पलटे तो कई इतिहास रचा | आखिर कब तक उन्हें चूल्हें में हीं अपने सपनों को सेंकना होगा ? मायका हो या ससुराल , परिवार के हर सदस्य अपनी अपनी जिम्मेदारी खुद क्यूँ नहीं उठाते और घर का कार्य करते |
बात सिर्फ दहेज़ की नहीं , बात बराबरी की होनी चाहिए जिसकी लड़ाई आज भी जारी है | आजादी के 75 वर्ष में हम अमृत महोत्सव का आनंद ले रहें हैं मगर आजाद भारत की अधिकांशतः महिलायें आज भी अपनी आजादी ढूंढ रही क्यूंकि .............. ! ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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