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दिलों के बढ़ते खतरें और फेफड़े पर नुकसान , जिसे सुरक्षित रख पाना बहुत हीं जरुरी है | अगर शरीर का फेफड़ा बिगड़ गया तो समझिये कि सेहत का बहुत जल्द बुरा हाल होने वाला है |
आज बहुत हीं तेजी से बढ़ रहा है , हमारे भारत की दिनचर्या में रिफाइन तेल का रसोई में आना , या फिर बाजार में मिलने वाले गर्म ताजा नाश्ता | जिसे लोग भूख मिटाने के लिए रेस्टोरेंट में धन खर्च कर के खरीदते है | इसके एवज में लोग अपनी जिंदगी व सेहत गवा रहे हैं और खरीद कर ला रहे है एक साथ कई सारी बीमारियाँ |
आज भारत में आये दिन हॉस्पिटल खुल रहे हैं | एक तरफ ऐसी वस्तु , जिससे हमारे शरीर को नुकसान पहुंचता है | लोग फैशन में खरीदकर अपने घर लाते हैं - खाते हैं , खाकर बीमार पड़ते है और हॉस्पिटल पहुँच जाते है | यह दावा के साथ कहा जा सकता है कि - आज के आधुनिक दौर में सालाना 75 % लोगों का धन शुद्ध आहार न खाने से दवा में बेकार जाता है | इसका सबसे बड़ा कारण - सुपाच्य खाना न खाना और तरलता के लिए बाजार में बिकने वाला सही तेल का चुनाव न कर पाना , होता है | आइये जानते है - कौन सा तेल शरीर को नुकसान पहुंचाता है |
बहुत हीं सरल तरीके से हम बता दे कि - बाजार में बिकने वाला रिफाइन , जिसे लोग अपने रसोई में इस्तेमाल कर रहे है , वह सेहत के लिए ठीक नहीं | यहीं रिफाइन खाने से दिल की बीमारी , फेफड़ें का खराब हो जाना और आदमी को हॉस्पिटल तक पहुंचाने का कार्य करता है | आदमी को इससे बचना चाहिए | बहुत सारे लोग इस बात से अनभिज्ञ है , परन्तु यह जानना बेहद जरुरी है कि रिफाइन सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है ?
शरीर के किसी भी अंग से खिलवाड़ न करते हुए , यह जान लीजिये कि - रिफाइन तेल कैसे बनता है ? इसके बनने का प्रोसेस अगर जान लेंगे तो हैरान रह जायेंगे ! और फिर कभी इसे आप खाना पसंद नहीं करेंगे | क्यूंकि जानबुझकर तो कोई जहर खा नहीं सकता !
बहुत तहकीकात , पूछताछ और जानकारी लेने के बाद - हम यह फीचर आप तक पहुंचा रहे हैं | किसी भी तेल को रिफाइन करने के लिए , उसमे केमिकल मिलाया जाता है और केमिकल सेहत के लिए कितना खराब है ? यह लोग जानते होंगे ! 6 से 7 केमिकल मिलाकर रिफाइन को तैयार किया जाता है और ज्यादा चिपचिपाहट न हो इसलिए डबल रिफाइन करने के लिए 12 से 13 केमिकल मिलाया जाता है | ये केमिकल ओरगेनिक नहीं होता , बल्कि नुकसानदायक होता है | जैसे - कास्टिक सोडा , ब्लीचिंग क्लेंज , फास्फेरिक एसिड आदि बहुत हीं नुकसानदायक केमिकल है |
शरीर के लिए फैटी एसिड बहुत जरुरी होता है , जो रिफाइन तेल में नहीं मिलता | देखने में रिफाइन बड़ा हीं सुन्दर व इसकी धाराएँ बड़ा हीं मनलुभावन लगता है और फैशन की आड़ में लोग बोल पड़ते है - भई , मुझे डबल रिफाइन तेल देना और यह डबल रिफाइन का डिमांड - दिल का दौड़ा , फेफड़ों को छलनी करने का डिमांड होता है | लोग इसकी तह तक नहीं जाते , जिंदगी को बचाना बहुत जरुरी है इसपर ध्यान दीजिये |
स्क्रीन पर दिखाई जाने वाला रिफाइन की धारा , पुरियों का फूलना और मॉडल का आह ! कितना स्वादिष्ट बोलने पर मत फिसलिये | किसी भी मॉडल को विज्ञापन करने में क्या जाता है ? वगैर जाने वे अपना धन कमाने के पीछे लगे रहते है | सेलेब्रिटी की सुन्दरता देख लोग फिसल जाते है और वहीं सब खाना शुरू कर देते है , जिससे धीरे - धीरे सेहत खराब हो जाती है | ठीक उसी तरह , जैसे कि -
ड्रीम गर्ल कही जाने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी का विज्ञापन लक्स साबुन में देखा जाता रहा है | क्या वे लक्स से नहाती हैं ? मेरे हिसाब से शायद नहीं ! इसी तरह रिफाइन में बनने वाले पकवान सेलेब्रिटी नहीं खाते |
शुद्ध तेल में 4/5 प्रकार के प्रोटीन उपलब्ध होते है | परन्तु रिफाइन तेल में एक भी प्रकार के प्रोटीन उपलब्ध नहीं | इस तेल को रिफाइन करते समय , सभी प्रोटीन व महत्वपूर्ण पदार्थ , जिससे हमारे शरीर को पौष्टिकता प्राप्त होती है , वह समाप्त होते हुए तैयार होता है | किसी भी मनुष्य के शरीर के अन्दर कुछ मात्रा में चिकनाहट व प्रोटीन का होना बहुत हीं जरुरी है , जो रिफाइन में उपलब्ध नहीं |
आये दिन लोग अपने दुःख से घबराकर दवाखाने या अस्पताल में दस्तक देते हैं | कमर दर्द , हड्डियों में दर्द , हार्टअटैक , पैरालिसिस , ब्रेन डैमेज , अन्य आदि जैसे खतरनाक बिमारियों से बचने के लिए सोंचना निहायत जरुरी है ! आरंभिक दौर में सभी सरसों का तेल , मूंगफली व तील का तेल इस्तेमाल करते थे और इसे शुध्द व पौष्टिक तेल माना जाता था | क्यूंकि इससे शरीर को भरपूर पौष्टिकता मिलती थी और लोग लम्बी उम्र स्वस्थ रहकर 100 वर्ष से आगे तक जिंदगी जी लिया करते थे | आज लोग स्वस्थ रहकर 50 की उम्र भी नहीं पार कर पाते |
इसका सही कारण है कि - लोग तेल की चिपचिपाहट से दूर भागना पसंद करते हैं साथ हीं उसके गंध को भी पसंद नहीं करते और बिमारी उत्पन्न करने वाला रिफाइन जिसमे चिपचिपाहट बिल्कुल नहीं होता , लोगों का मनपसंद तेल बनता जा रहा है | रिफाइन तेल में बने पकवान खाने से बेहतर है कि आप सुखी रोटी खा ले | जिंदगी को बचाना बहुत जरुरी है इसपर ध्यान दीजिये - शुद्ध तेल में से आने वाली गंध को रिफाइन बनाने के दौरान हटा दिया जाता है | इसकी गंध जैसे हटती है , वैसे हीं इस तेल का सारा प्रोटीन समाप्त हो जाता है | शुद्ध तेल में चार - पांच प्रकार के प्रोटीन उपलब्ध होते हैं | रिफाइन तेल में एक भी प्रकार के प्रोटीन उपलब्ध नहीं |
रिफाइन तेल में एक भी प्रकार के प्रोटीन नहीं - क्यूंकि इस तेल को टैंक में रख निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है | कम से कम सात या आठ दफा तेल को गर्म व ठंढा किया जाता है | जिससे तेल में पौलिमर्स बन जाता है , उससे पाचन क्रिया गड़बरा जाती है और पेट में कई सारी बीमारियाँ उत्पन्न होती है | रिफाइन बनाने के दौरान "निकेल" का मिलाया जाना शरीर के लिए नुकसानदायक है |
निकेल क्या है ? यह भी जान लीजिये | यह एक प्रकार का उत्प्रेरक धातु ( लोहा ) होता है , जो शरीर के साँस प्रणाली , लीवर , त्वचा , DNA , चयापचन , RNA को भारी नुकसान पहुंचाता है |
इस बात को अच्छी तरह समझा जा सकता है कि - न्युट्रलाइजेशन के दौरान - तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180 डिग्री फोर्नेहाईट पर गर्म किया जाता है , जिससे तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते है | ब्लीचिंग , POP ( प्लास्टर ऑफ़ पेरिस - जो मकान बनाने में इस्तेमाल होता है ) इसका उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गए केमिकल को 130 डिग्री फोर्नेहाईट पर गर्म करके साफ़ किया जाता है | वाशिंग करने के लिए - पानी , नमक , गंधक , पोटेशियम , कास्टिक सोडा , तेज़ाब के साथ अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किया जाता है , ताकि अशुद्धियाँ बाहर हो जाए |
अब आप सरल तरीके से जन लीजिये कि - इससे निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ तारकोल की तरह गाढ़ा होता है , जिसे गाड़ी के टायर बनाने के कार्य में लाया जाता है और यह तेल एक जहर के समान पैक हो जाता है |
यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि - अगर खराब पानी भी पीया जाए , तो शरीर में ऐसी प्रतिरोधक क्षमता मौजूद है , जो पानी में मौजूद खराब वैक्टेरीया को नष्ट कर सकता है | परन्तु आये दिन खाने में जो रिफाइन तेल इस्तेमाल किया जाता है , यह अकाल मृत्य का एक दस्तक है |
इन बिमारियों से अगर बचना है तो शुद्ध तेल खाने की शुरुआत करे और रिफाइन से निकलने वाले फैटी एसिड , जिसकी हमें आवश्यकता है , वह हमारे शरीर को फायदा पहुंचाता है , उसे शुद्ध आहार के रूप में खाकर , अपने शरीर के हर अंग को मजबूत बनाइये | क्यूंकि ये वर्षों -वर्ष से सभी लोग जानते है कि - पहलवानों की ताकत तेल मसाज से , खासकर सरसों का तेल , उसके हर अंग को मजबूत बनाता है और तब वे अखाड़े में उतरते है | इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि- बाहर से लगाये गए तेल से शरीर इतना मजबूत बन सकता है , तो फिर खाने में अगर इसका इस्तेमाल किया जाए तो शरीर कितना तरोताजा बना रहेगा और इंसान फुर्ती से काम करेगा |
चलते - चलते हम आपको यह भी याद दिला दे कि - दादी की रसोई क्या कहती थी - बच्चें के जन्म से हीं शुद्ध सरसों तेल की मालिश और घर में बनाये गए काजल लगाकर , बच्चों की सुन्दरता निखारी जाती थी | आज वह मालिश "एडवांस मम्मी" ने पाउडर से करना आरम्भ कर दिया है | जिससे बच्चें कमजोर हुए जा रहे है और उनके शरीर में वह क्षमता नहीं कि वह रोग से लड़ सके |क्यूंकि अब घर में बनने वाले आहार में रिफाइन का इस्तेमाल होता है | बचिए और बचाइये अपनों को रिफाइन खाने से | ....... ( स्वास्थ्य फीचर :- भव्याश्री परिवार )
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