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आज सावन का प्रथम दिवस है | रंगों में मिल जाने का , सावन की मस्त हवा के झोंके के संग खिल जाने का दिवस | सावन का महीना और अंगड़ाइयां लेती करवटें बदलते मौसम का वह रूप , जहां आसमान में इंद्रधनुषी सतरंगी रंग छाया हो | लोगों का आसमान में देखना जहाँ गोल्डन बादलों का आसमान में भ्रमण , तो कहीं सफेद सिल्वर रंग और उस पर ढलते हुए सूरज की आभा , आसमान में तपती हुई उन नैनो को कितना सुकून देता हैं ! तभी दिल बोल पड़ता है कि - आया सावन झूम के |
2021 में भी एक तरफ कोविड-19 की त्रासदी और दूसरी तरफ लॉकडाउन से स्वतंत्रता छीन जाने का क्लेश के बीच सावन आने का इंतजार ! इसी माह में तो भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं | आप जानते ही होंगे कि - सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना माना गया है | हिंदू कैलेंडर के अनुसार - सावन मास को साल का पांचवा महीना माना जाता है | इसलिए कि भले ही हम 1 जनवरी को नए उत्साह / उमंग से साल का पहला दिन मनाते आ रहे हैं | परंतु हमारा नया वर्ष होलिका दहन के दूसरे दिन यानी चेत्र से नया वर्ष का आगमन माना गया है | तो चैत्र से सावन को जोड़ा जाए तो , चैत्र के बाद बैशाख , ज्येष्ठ , अषाढ़ और सावन |
सावन के अंतिम दिन के बाद , प्रथम दिन यानी "पूर्णिमा" जो भादो का होता है और भादो माह भाई के लिए समर्पित किया गया है | इसलिए भादो माह में हीं रक्षाबंधन का त्योहार मनाए जाने का प्रचलन है | वैसे रक्षाबंधन सिर्फ भाइयों का त्यौहार नहीं होता है , यह सिर्फ रक्षा का त्यौहार होता है | आरंभिक दौर की कहानी अगर समझेंगे तो जान पायेंगे कि - रक्षाबंधन फैशन की आड़ में खासकर फिल्मों से भाई के लिए बना दिया गया है | सदियों पहले की बात करे तो रानी ने अपने पति को युद्ध के समय रेशमी धागा बाँधी थी , रक्षा के लिए | ताकि वह युद्ध में विजयी होकर सुरक्षित घर वापस आ जाएँ | इसलिए ये रेशमी धागे का बंधन तब से प्रचलन में है , जो आज कीमती राखी का रूप ले चुका है |
सावन का महीना जिसमें कभी चार कभी पांच सोमवार आता है और यह महीना भगवान शिव को समर्पित कर लोग "कावड़ यात्रा" का आयोजन कर दूर-दूर से गंगाजल भरकर पैदल यात्रा करते हैं , तो कोई - कोई पैदल यात्रा के साथ डाक कावड़ भी पहुंचाते हैं , जो देखने लायक होता है और इस आयोजन में छोटे-छोटे बच्चे भी 100 किलोमीटर या इससे भी ज्यादा तक की दूरी आसानी से पार कर जाते हैं | यह महीना उत्साह / उमंग / बहार से भरा होता है |
इस बार 2021 में 25 जुलाई से "सावन" का महीना आरम्भ हो रहा है , जो आज है और 22 अगस्त तक लोग भोले बाबा की सेवा में लीन रहने वाले हैं | सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को यानि कल है , वहीं सावन का आखिरी सोमवार 16 अगस्त को है | ऐसे में इस बार सावन के महीने में चार सोमवार आने वाला है - 26 जुलाई , 2 अगस्त , 9 अगस्त और 16 अगस्त | हर सावन के सोमवार में भगवान शिव के समक्ष की गई प्रार्थना , जीवन की सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाला माना गया है | मान्यता है कि वर्ष में एक बार अपने भक्तों के घर दस्तक देने व मिलने के लिए भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं | वही व्रत रखने से जीवन में आने वाली सभी दुखों से निजात मिलता है , सुख समृद्धि प्राप्त होते हुए दांपत्य जीवन सुखद होता है और विवाह संबंधी परेशानियां नष्ट होती है |
सावन के बोल बम का दौर , जिसमें हम आपको अपने मित्र की एक स्टोरी जो उनके साथ घटित है , शेयर करके बोलबम की महत्ता बता रहे हैं जो पूर्ण रूपेण सत्य है |
अब व्यक्ति का नाम कुछ भी रख ले "एबीसी" उन्होंने कावड़ यात्रा करने का मन बना लिया और सुल्तानगंज से जल भरा और उसी में गुम हो गए | क्योंकि वहां भीड़ भी इतनी अधिक होती है कि संभव नहीं कि सभी लोग इकट्ठा जल चढ़ा सके और सफल यात्रा करने के बाद घर एक साथ पहुंच पाए | वह इसलिए कि - सभी लोग जाते तो एक साथ है , परंतु आते हैं बारी-बारी से | इनके साथ परिवार समाज के ढेर सारे लोग भी होते हैं | इनके साथ भी काफी लोग थे , परन्तु इनको किसी ने नहीं देखा - गंगा में फिसलते हुए | सभी लोग बाबाधाम की तरफ आगे बढ़ गए और जल चढ़ाकर जब सभी लोग इन्हें ढूंढना आरंभ किया - तो वह कहीं भी मिले नहीं | फिर लोग घर आ गए यह सोंचकर कि - वह किसी बम टोली के साथ आ जायेंगे | उस वक्त मोबाइल का जमाना नहीं था कि एक दूसरे से ट्रेस का पता बातों के संवाद से लगाया जा सके | जब 3 दिन तक वे घर नहीं पहुंचे तो घर के लोग व्याकुल हो गए ! एक लड़का इस तरह गायब हो जाए घाट से संभव नहीं ! यह कोई बच्चा तो थे नहीं , इनकी उम्र लगभग 27 से 30 वर्ष रही होगी | खैर ....यह तीन दिन बाद घर पहुंचे और स्थिति सुखद थी |
उन्होंने जो कहा - वह स्वयं से सुनी हुई वार्ता / अनुभव आपके सामने प्रस्तुत हैं - सुल्तानगंज से फिसलते हुए ये एक पत्थर की आड़ में अटक गए | इनकी आंख खुली तो - इन्हें बहुत आश्चर्य हुआ कि मैं यहां अकेले कैसे पहुंच गया , कहाँ गए वे लोग जो मेरे साथ थे , मै अकेले कैसे जाऊँगा जल चढाने ? जल चढ़ाने की चिंता के दौरान उन्होंने बहुत दूर से आती हुई एक 3 वर्ष के करीब सुंदर बच्ची जो लहंगा पहन रखी थी को अपनी तरफ आते हुए देखा | बच्ची उनके पास आकर बोली - ये बम उठो , उठो बम , तुम सोए क्यों हो ? और वह लड़की ने हाथ बढ़ाया इनकी उंगली पकड़ती हुई इन्हें पानी से बाहर किया और तभी दूर से आती हुई एक झुंड पर इनकी नजर पड़ी | वह बच्ची दौड़ती हुई और इन्हें दौड़ाती हुई उस भीड़ में इन्हें पहुंचा दिया | ये बम लेकर जैसे ही आगे बढ़े कि , कुछ ही क्षण में वह बच्ची गायब हो गई | उन्होंने बच्ची को काफी ढूंढने का प्रयास किया , परंतु वह बच्ची मिली नहीं | हो सकता है वह कोई और नहीं , बल्कि "मां पार्वती" हो ! उन्होंने ही इस व्यक्ति की मदद की और उनमे जागृत इच्छा को दर्शन देकर तृप्त किया |
ऐसा नहीं कि भगवान आते नहीं , भगवान आते हैं , बुलाने वाला चाहिए | इस तरह की बहुत सारी कहानी किताबों में है | परंतु इस व्यक्ति के साथ घटित स्टोरी , वाकई एक ऐसा रोमांच जगाता है , कि इसका क्या कहना ? मैंने तो उनकी इस हकीकत को बहुत ही रोमांच से सुना और कई दफा स्वयं में भी ईश्वर को अपने पास होने का एहसास किया है |
सावन के महीने में कावड़ लेकर बारिश में भीगते हुए बम समूह जो लुफ्त उठाते हैं और आगे बढ़ते ही जाते हैं | यह दृश्य देख बड़ा हीं सुहावना लगता है और स्वयं को आनंदित करता हैं | ऐसे में भगवान शिव और मां पार्वती उन सभी की इच्छा पूर्ण करने के लिए स्वयं पृथ्वी पर उतर आते हैं और भक्तों की हर इच्छा पूर्ण करते हैं | तभी लोग वहां कांवर लेकर सुरक्षित पहुंचकर जल चढ़ा पाते हैं | अन्यथा कई लोगों को देखा गया है वापस लौटते हुए - जिन्हें बाबा पर जल चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सका है |
सावन के हर दिन में विशेषकर सोमवार को "शिव भक्त" शिव की उपासना करते हैं | सावन में भोले बाबा सर्वाधिक प्रसन्न रहते हैं , इसलिए भक्तों की हर कामना उनपर गंगा जल चढ़ाते हीं पूर्ण हो जाता है | भगवान को भांग धतुरा और बेलपत्र बहुत हीं पसंद है | वैसे शिव पर दूध / शहद / गंगाजल और दही इन सभी से अभिषेक करना चाहिए और ॐ नमो शिवाय मंत्र का जाप बहुत हीं महत्व रखने वाला है | वहीं 16 श्रृंगार की वस्तुएं माँ पार्वती के लिए अर्पित कर उनका आशीर्वाद पाने के करीब लाता है |
आपको बता दे शिव की आराधना कभी खाली नहीं जाती | हरेक इंसान को इनकी आराधना से जिनका मन इनपर समर्पित हो , मनवांछित फल की प्राप्ति होती है | सावन के महीने में तो लोग भारत के कई स्थान पर , जहाँ शिव ज्योतिर्लिंग है , के दर्शन के लिए सावन माह के आने का इंतज़ार करते है और दर्शन करने चल पड़ते हैं |
सावन के इस पावन महीने में हमारी कोशिश रहेगी कि हम इनकी महत्ता से , आपको तृप्ति के समंदर में डूबकी लगवाकर अनुभूति की कुछ घूंट पिला दे | क्यूंकि पढ़ने / सुनने व देखने से भी , कुछ पल के लिए हीं सही , मन व आत्मा पूर्ण रूप से स्वच्छ बन जाता है | जैसे सत्यम शिवम् सुन्दरम की तरह |
कुछ महत्वपूर्ण बातें हम आपको बता दे , जो शिव पूजा के लिए बहुत हीं महत्व रखता है |
जिसमे एक महत्व है दिशा , जैसे सुबह में पूर्व दिशा , संध्या में पश्चिम दिशा , रात्रि में उत्तर दिशा |
धतुरें की फूल शिवलिंग पर चढ़ाने से संतान की प्राप्ति होती है , इस बात से बहुत सारे लोग अनभिज्ञ है |
दुपहरिया के फूल से स्वर्ण आभूषण की प्राप्ति होती है |
हरश्रृंगार की फूल चढ़ाने से यश , सुख और एश्वर्य की प्राप्ति होती है |
जपाकुसुम से शत्रु का नाश होता है |
बेलपत्र चढ़ाने से इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है , लेकिन इस पत्र पर चन्दन से श्रीराम लिखना न भूलें |
लाल गुलाब चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है | इसके अतिरिक्त अगर संभव हो सके तो सवा लाख दूब अगर बाबा भोलेनाथ पर चढ़ा दिया जाए तो चमत्कार होते देर नहीं लगती |
बाबा पर चंपा और केवड़ा के पुष्प कभी न चढ़ाएं , साथ हीं तिल भी | क्यूंकि इसे शिवलिंग पर चढ़ाना निषेध माना गया है |
आगे बहुत सारी महत्ता हम बताते चलेंगे , जिसे अपनी जिंदगी में उतारकर आप सारी सुखों का लाभ उठा पाएंगे | कुछ भी कीजिये दिल से कीजिये और इस सावन को कदापि खाली मत जाने दीजिये | रंग दीजिये अपने मन को सावन के इस इन्द्रधनुषी रंगों में | ...... ( अध्यात्म फीचर :- आदित्या / एम० नूपुर की कलम से )
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