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विश्वविख्यात दिग्गज एथलीट मान कौर का निधन देश की बहुत बड़ी क्षति कही जा सकती है | शनिवार को उन्होंने पंजाब के डेराबस्सी में दोपहर एक बजे आखिरी साँस ली , वे गला ब्लैडर के केंसर से जूझ रही थी |
105 वर्षीय मान कौर के निधन की खबर उनके बेटे गुरुदेव सिंह ने दोपहर के 1 बजे दी | इससे एक घंटा पूर्व गुरुदेव सिंह ने हीं अपनी माँ मान कौर के ठीक होने की खबर भी दी थी , जिससे सुन सबने राहत महसूस किया | गुरुदेव सिंह ने कहा था कि - उनके शरीर और पेट में जो दर्द है वह पहले की अपेक्षा अभी कम है | पहले वह अपने पैरो को आगे - पीछे नहीं कर पा रही थी , परन्तु अब वह पैरो को हिला रही है और कुर्सी पर भी बैठ रही है |
नारीशक्ति पुरस्कार से सम्मानित मान कौर , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिली , तो वह हाथ जोड़कर नतमस्तक हो गए और दूबारा मिले तो प्रधानमंत्री ने ख़ुशी जताते हुए उनसे झुककर आशीर्वाद भी माँगा | मान कौर ने प्रधानमंत्री के माथे को छूकर चढदी कलां के रहने का आशीर्वाद दिया |
मान कौर ने कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इवेंट में 35 से ज्यादा जीत प्राप्त की है | उन्होंने लगातार जीत का तगमा लेते हुए अपने भारत को गौरवान्वित किया है | पिछले वर्ष 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हीं उन्हें नारीशक्ति के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था | यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति भवन में ससम्मान प्रदान किया गया | सम्मान के लिए जैसे हीं घोषणा की गई - मान कौर बड़े हीं फुर्ती से उम्र का पड़ाव न देखते हुए स्टेज पर पहुँच गई | इस उम्र में इस कदर की शक्ति व हौसले को देखकर राष्ट्रपति भी हैरान व दंग रह गए थे |
मान कौर को बचाने का पूरा प्रयास किया गया | आर्थिक मदद के लिए भी कितने हाथ आगे बढे ,परन्तु दामन खाली रह गया |
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 5 लाख रुपये की मदद दिलाई | वहीं अकाली दल के विधायक एन के शर्मा ने भी एक लाख रुपया का चेक अस्पताल में आकर दिया था |
वे पिछले तीन महीने से केंसर से जूझ रही थी और डेराबस्सी के शुद्धि आयुर्वेदा पंचक्रमा अस्पताल में भर्ती थी |
जिस उम्र में लोग अपनी जिंदगी के स्वर्णिम अवसर के समाप्त होने का मन बना लेते है | मान कौर अपने उम्र के 92 वसंत पार हो जाने के बाद से दौड़ना शुरू किया था और सिर्फ दौड़ा हीं नहीं बल्कि वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में कई गोल्ड मैडल जीते हैं | आश्चर्य इस बात की है कि - 101 साल की उम्र में 2017 में वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में ख़िताब भी जीता | इनका जन्म 1916 को चंडीगढ़ में हुआ था | चंडीगढ़ में इन्हें लोग चमत्कारी माँ के रूप में जानते है | 93 साल की उम्र में चंडीगढ़ मास्टर्स एथलेटिक्स मीट में अपना पहला पदक जीता | 2017 में ऑकलैंड में विश्व मास्टर्स खेलों में 100 मीटर की दौड़ जीतकर सुर्ख़ियों में आयी थी |
इनके तीन बच्चों में सबसे बड़े बच्चे गुरदेव सिंह खुद भी एक एथलीट है |
आयुवर्ग में भाग लेने के लिए सिर्फ हौसला चाहिए उम्र की गिनती नहीं | हौसला गर बुलंद हो तो जीत का परचम लहराने से दुनियां की कोई भी ताकत रोक नहीं सकती | सिर्फ ऊपर वाले का आशीर्वाद और अपने मन का साथ चाहिए , फिर आप किसी भी उम्र में अपने सपनों को साकार कर सकते है और अपने देश को कुछ कदम आगे बढ़ा सकते है | ....... ( न्यूज़ :- भव्याश्री डेस्क )
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