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इंडियन आइडल 12 से बाहर हुए सवाई भट्ट , मायूस होकर अपने उसी स्थान पर पहुंचे , जहाँ से वे चले थे | कठपुतली से सड़को पर या अन्य जगहों पर खेल संचालित करने वाले सवाई भट्ट इस बार पहले की तरह नहीं पहुंचे और न हीं पहले की तरह यह माहौल था | इसबार वह काफी अर्से के बाद आत्मविश्वास से भरपूर होकर पहुंचे |
सवाई भट्ट को अपने होम टाउन नागौर पहुंचना था , की यहाँ उनके स्वागत में हजारों लोगों की भीड़ इकठ्ठी हो गई | साथ हीं बैंड - बाजो के साथ जुलुस भी निकाला गया , जैसे जीत का कोई जश्न हो ! परन्तु यह सत्य है की सवाई के लिए यह पल हार का नहीं बल्कि जीत का हीं दौर था | इतने कम उम्र में उन्होंने वो सबकुछ पाया , जो खास व्यक्ति को भी नसीब नहीं होता | इतने महीने उन्होंने लग्जरी जीवन को गुजारा , स्पर्श किया , आँखों के कैमरे में कैद कर स्टेज पर अपनी सुर , साधना से करोड़ो लोगों के दिलों पर राज किया , यह कोई मामूली बात नहीं है |
नागौर में सवाई भट्ट के साथ सेल्फी लेने वालों की लाइन लगी थी | एक दौर वह था , जब वे सामने से गुजर जाते , परन्तु उनके खेल पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता | हाँ कुछ दिलेर लोग उनकी स्थिति को देखकर , जानकर भी , रुक जाते कि सवाल रोटी का भी है , तो उनके घर चूल्हा कैसे जलेगी ? परन्तु आज का माहौल हीं कुछ और है | इस आलम में लोग उनकी प्रतीक्षा में इतना समय गुजरा कि सवाई कब और कितने बजे पहुंचेंगे और पहुँचने के बाद सेल्फी का दौर , जिसमे सवाई के दिल को , उनके माता - पिता के मन को बाग- बाग कर गया |
एक झलक पाने को लोग बेताब हुए | मुंबई से सवाई अपनी माँ के मायका यानि अपने ननिहाल पहुंचे | तो उनके स्वागत के लिए वहां बड़े - बड़े कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था | कार्यक्रम देखने वालों की भीड़ हजारों में थी | सवाई के गानों पर लोगों ने जमकर डांस किया | इनदिनों सोशल मीडिया पर सवाई के कार्यक्रम का विडियो जमकर वायरल हो रहा है |
सवाई भट्ट का वायरल विडियो देखने के लिए इस टाइटल पर क्लिक करे :-
इस कार्यक्रम में लोग कोरोना गाइड लाइन को नजरअंदाज कर बैठे , न मास्क लगाए और न हीं सोशल डिस्टेंस का पालन किया , जो बहुत गलत है | उत्साह मनाना चाहिए , मगर इस बात का भी ध्यान रहे कि सरकारी नियमों का पालन हो ! और अपनी सुरक्षा अपने हाथ बची रहे | इस छोटी - छोटी भूल से हीं करोना भयावह रूप धारण कर लेता है और फिर यह नादानी लॉकडाउन की पाबंदियों में घिर जाता है |
सवाई का गाँव में स्वागत समारोह विडियो देखने के लिए इस टाइटल पर क्लीक करे :-
अब यहाँ आरंभिक दौर से ध्यान दीजिये :- सवाई भट्ट "इंडिया आइडल 12 शो" के स्टेज पर एक से एक बढ़िया गाना गाते चले आ रहे थे | परन्तु उन्हें जानबूझकर उस दिन कम दिखाया गया , जब वे जीतेन्द्र और रेखा की फिल्म "अनोखी अदा" के गीत "हाल क्या है दिलों का न पूछों सनम , आपका मुस्कुराना गजब ढा गया" गाया | इस गीत में सवाई कुछ शब्द भूल गए थे और यहीं से उनका डिमोशन आरम्भ हुआ था | परन्तु वहां अन्दर में हीं लोगों को स्टाइल , प्रेक्टिस और स्टेज पर किस तरह प्रस्तुति करनी है सिखलाया जाता है | यह शो लाइव नहीं होता क्रिकेट मैच की तरह , जिसमे दर्शकों के आँखों के सामने जीत और हार का फैसला निर्धारित किया जा सके |
अब यह कहना शायद ! अतिश्योक्ति भी न होगा कि जिस वक्त पवनदीप राजन और आशीष कुलकर्णी Covid-19 पोजेटिव के दौर से गुजर रहे थे तो उस दौरान एक बार फिर सवाई अपना जलवा दिखाना आरम्भ कर दिया था | करोड़ों दर्शकों के चहेते सवाई भट्ट पुनः अपने आरंभिक दौर में दिखाई पड़ने लगे थे और यह इसलिए संभव हुआ कि इंडियन आइडल शो का TRP बरकरार रहे |
जब पवनदीप और आशीष कोरोना निगेटिव होकर स्टेज पर वापस आये , फिर सवाई भट्ट को जानबूझकर डल बना दिया गया | अगर ध्यान दिया जाए - सवाई भट्ट के कुछ पूर्व में गाये गानों पर , तो क्या सवाई ऐसा डल गीत गाते है ? शायद नहीं !
सवाई में सलमान अली और सन्नी हिन्दुस्तानी जैसा हीं प्रतिभा है | ये बात अलग है कि सवाई को , एक तरफ सड़क से उठाकर स्टेज पर चढ़ाया गया , मगर दूसरी तरफ सवाई के साथ इन्साफ हुआ हो , यह कहा नहीं जा सकता ! क्यूंकि शो मेकर और जजेज ने , बहुत पूर्व हीं वे 5 आइडल अपने मन में बना रखा है , जिन्हें फिनालय में उतारना है |
सवाई भट्ट और अंजलि गायकवाड दोनों के साथ गाये हुए गानों पर ध्यान देंगे तो पायेंगे कि - दोनों के कपड़े व गाना प्रतिभा को इतना डल कर दिया कि उन दोनों की प्रतिभा स्टेज पर हीं धूमिल होती चली जा रही थी | आदमी की प्रतिभा में कपड़ों का सलेक्शन भी चार चाँद जड़ता है , जहाँ फैंस सामने हो | ठीक उसी तरह , जिस तरह अरुनिता कांजीलाल को सवांरकर , मन लुभावन बनाकर , दर्शकों के बीच उतारा जाता है | यह कोई लिखित परीक्षा नहीं की जहाँ सिर्फ अनुभव और योग्यता को दर्शाना हो ! यहाँ व्यक्तित्व का निखार भी बहुत ज्यादा मायने रखता है |
सवाई को निकाला गया तो पवनदीप के जोड़ी के साथ | एक का चुनाव किया गया , इसलिए कि दर्शकों के दिल को बहलाया जा सके | मगर दर्शकों ने खूब अनुभव किया , सवाई का निकाला जाना | ये तो उसी दिन तय हो गया था दर्शकों की नज़रों में , जिस दिन उन्होंने "हाल क्या है दिलों का" गीत गया था | हाँ एक बात और बहुत लोग गाने को भूल गए , उनपर कटाक्ष नहीं हुआ | परन्तु सवाई पर कलम चली |
पवनदीप के साथ सवाई भट्ट को इसलिए खड़ा किया गया , ताकि स्थित सामान्य बनी रहे और सवाई भट्ट को निकाल दिए जाने पर दर्शकों को अफ़सोस न हो ! खैर ........... आज भी यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि - सवाई भट्ट "इंडियन आइडल 12" के विनर बनते | मगर संभवतया इस बार लड़की को हीं विनर बनाए जाने की तैयारी चल रही है | अब बचे 4 तो इसमें भी सवाई आ सकते थे | मगर उनकी मज़बूरी थी , तो सवाई को डल बनाकर हटाना उचित समझा होगा ! अच्छा होता सवाई का उसी वक्त स्टेज छोड़ देना , जिस वक्त उन्होंने हटने का मन बनाया था और स्टेज पर कहा था कि - मुझे घर जाना है और घर जाने की बेचैनी उन्होंने करोड़ों दर्शकों के सामने कही थी | मगर स्टेज वाले को तो सवाई को निकालना था , अगर सवाई अपने मन से निकलते तो वे हारे गए प्रतिभागी नहीं बनते और स्टेज की शान धूमिल हो जाती |
यह कहना शायद जायज होगा कि - सवाई भट्ट में प्रतिभा कम नहीं है , इनकी प्रतिभा को कम किया गया | आरंभिक दौर में इन्होने जब गाना गया था तो पूरी दुनियां इनकी दीवानी हो गई थी और लोगों को यहीं लगा था कि "इंडियन आइडल 10" के सलमान अलि विनर बने , 11 के सन्नी हिन्दुस्तानी तो 12 के सवाई भट्ट हीं विनर बनाए जायेंगे ! परन्तु ऐसा क्यूँ नहीं हुआ , शायद , यह बहुत बड़ा भेग है !
क्यूंकि इंडियन आइडल स्टेज की प्रस्तुति में प्रतिभागी का उतार - चढ़ाव ओरिजनल नहीं कहा जा सकता | इसको हम आर्टिफिसियल नाम दे सकते हैं | इस तरह कि - अभी हाल हीं में किशोर कुमार जी का 100 गाना दो एपिसोड में उतारना , क्या उचित था ? जिसमे उनके लड़के अमित कुमार मौजूद थे और अमित कुमार के शब्दों से हीं इंडियन आइडल विवाद में भी पड़ा , जिसमे कलम चलने लगी और इतना चला की स्टेज पर मेहमानों से पूछा भी जाने लगा कि - क्या मैंने आपको तारीफ़ करने की बात सिखाई है ! तो मेहमान कहते - कभी नहीं , जिसमे एक बार कुमार सानु ने भी यह बात कही | तो इसका साफ़ मतलब है कि , किशोर कुमार के लड़के अमित कुमार के शब्दों पर कलम लगाया गया और उन्होंने झूठ बोला !
अमित कुमार ने गलत नहीं बोला और वो गलत बोल भी नहीं सकते ! जिसके पिता के गाये गानों के साथ ऐसी छेड़छाड़ हो , तो उसके पुत्र कैसे चुप रह सकते हैं ? जिस पुत्र को सुर का ज्ञान हो और यह दर्शकों ने भी महसूस किया | खैर .......
सवाई भट्ट के लिए यह उपलब्धि है , जिसे इंडियन आइडल ने एक पहचान दिया | इंडियन आइडल का शुक्रिया , मगर इंडियन आइडल अगर करोड़ों - अरबों कमाते है तो इन भारतीय प्रतिभागियों के बल पर हीं | तो निष्पक्ष चुनाव पहले की तरह हो तो और भी ज्यादा आनंद आएगा , दर्शकों को देखने में और इंडियन आइडल पर कलम नहीं चलेगा | यह माना जा सकता है कि - शो वाले बहुत ज्यादा मेहनत करते है , जजेज भी प्रतिभागियों के सुर को जजमेंट देने के दैरान बीच भंवर में खड़े होते है | बहुत मुश्किल है , कलम चलाना , लेकिन कलम की गति ठहरनी नहीं चाहिए | कुछ प्रतिभागियों के साथ नाइंसाफी हुई है , यह कहा जा सकता है | फिर भी इंडियन आइडल शो तारीफे काबिल है , जो जमीं से उठाकर प्रतिभा को स्टेज पर लाते हुए विश्व पटल तक पहुंचाती है , यह कम नहीं ! विलुप्त होती सुर के लिए | ........ ( न्यूज़ / फीचर :- एम० नूपुर )
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