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हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह की गुरुवार को मृत्यु हो गई , वे 87 वर्ष के थे | ये छह बार मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए | ये लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और करीब दो महीने से वे शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती थे | बीते सोमवार को सांस लेने में उन्हें तकलीफ हो रही थी , जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया | बुधवार को हॉस्पिटल के सुप्रिटेंडेंट डॉक्टर जनक राज ने कहा था कि - इनकी हालत गंभीर है लेकिन स्थिर बनी हुई है |
आज उन्होंने सुबह लगभग 3 बजकर 40 मिनट पर अंतिम साँस लेते हुए दुनियां को अलविदा कह दिया | ये पहले भी दो बार कोरोना से ग्रसित हुए थे - पहली 12 अप्रैल और दूसरी बार 11 जून को , तभी से इनकी स्थिति बेकाबू बनी रही |
ये पहली बार 1983 में हिमाचल प्रदेश के CM बने थे | इनका पहला कार्यकाल 83 से 85 था , दूसरी बार 85 से 90 , तीसरी बार 93 से 98 और चौथी बार 98 से कुछ दिनों के लिए पद पर रहे , पांचवीं बार 2003 से 2007 और छठी बार 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहे |
1976 से 1977 तक इंदिरा गांधी के सरकार में केन्द्रीय पर्यटन और विमानन राज्य मंत्री व 1982 से 83 तक केन्द्रीय उद्योग राज्य मंत्री रहे | ये UPA सरकार में भी केन्द्रीय इस्पात मंत्री थे , इनके पास सूक्ष्म , लघु व मध्यम उधोग मंत्रालय भी रहा है |
वीरभद्र सिंह पहली बार 1962 में महासू सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे | इसके बाद 1967 , 71 , 80 और 2009 में भी जीत हांसिल की | 2012 में उन्होंने शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा | क्यूंकि महासू आरक्षित सीट बन चूका था और 2017 में उन्होंने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए यह सीट छोड़ दी थी और वे स्वयं अकरी से चुनाव लड़े और अभी वे उसी सीट से विधायक थे |
इनका जन्म 23 जून 1934 में शोणितपुर वर्तमान में अब इसका नाम सराहन है में हुआ था | इनके पिता पदम सिंह बुशहर रियासत के राजा थे | वैसे ये जानना भी जरुरी होगा कि - वीरभद्र सिंह ने मात्र 13 वर्ष की उम्र में जब 1947 में पदम सिंह का निधन हो गया तो बुशहर रियासत की राजगद्दी संभाली , उस वक्त 1947 में राजशाही प्रथा समाप्त हो गई थी , बावजूद परंपरागत तौर पर उन्हें राजतिलक लगाकर , गद्दी पर विराजमान कराया गया था |
कृष्णवंश के 122 वें राजा वीरभद्र ने , हिमाचल प्रदेश को ऊँचाइयों पर पहुँचाने में अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी | उनकी मृत्यु की खबर से समूचे रामपुर रियासत में शोक का लहर दौड़ गया | राज दरबार परिसर में उनके समर्थकों का भीड़ जुटना आरम्भ हो चूका है |
इनकी पत्नी प्रतिभा सिंह भी मंडी से सांसद रह चुकी हैं | इनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह भी वर्त्तमान में शिमला ग्रामीण से विधायक है | प्रतिभा सिंह से पहले वीरभद्र सिंह का एक विवाह और हुआ था | उनकी पहली पत्नी , जुब्बल की राजकुमारी रतन कुमारी थी |
शनिवार को रामपुर में वीरभद्र सिंह का अंतिम संस्कार होना है | इससे पूर्व उनके वारिश विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक किया जाएगा और इनके राजगद्दी पर विराजमान होने के बाद वीरभद्र सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा |
इनके निधन के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है | इस 3 दिन में राज्य में कोई भी बड़ा आयोजन नहीं किया जाएगा |
इनकी मृत्यु पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शोक जताते हुए श्रधांजलि दी है और लिखा -
कांग्रेस की राष्ट्रिय अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने उनकी पत्नी एवं पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह को एक पत्र भेजकर दिवंगत आत्मा के प्रति शोक जताया है |
वहीं कांग्रेस की राष्ट्रिय सचिव प्रियंका गाँधी ने भी श्रधांजलि देते हुए लिखा -
इसके साथ हीं कांग्रेस व विपक्ष के नेतागणों ने भी शोक व्यक्त करते हुए , इनकी मृत्यु को , देश की बहुत बड़ी क्षति बताया है | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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