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कलयुग में अधिकांशतः माता-पिता को यह भूल जाना पड़ेगा कि , उन्हें अपने बच्चों के लिए वर - वधु ढूंढना है | आज के दौर में ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है , जिसमें बच्चे स्वयं सक्षम मालूम पड़ रहे हैं | उन्हें अपने माता-पिता की खुशियों से या फिर माता-पिता को बच्चों की उन खुशियों से , जिसमें सिर्फ बच्चे खुश रहे , मतलब दिखता नहीं है | करोना काल के इस दौरान में , पिछले 2020 के बाद इतनी सारी शादियां हुई है , कि क्या कहना ? और 2021 की बात करें तो - न जाने कितने सारे बारात लड़की के दरवाजे से वगैर शादी और दुल्हन लिए बैरंग लौटने पर मजबूर हुए हैं | तो कई पिता ने तय शादी से पूर्व अपनी बेटी के फरार हो जाने से अपने बाल भी मुड़वा लिए , यह सोंचते हुए कि - मेरी बेटी मेरे लिए मर चुकी है | इसलिए की परिवार वाले अपनी इज्जत की धज्जी उड़ते नहीं देख सकते और बच्चे के प्यार को तिलांजलि दे देते है और वे सोचते हैं कि - बच्चे मर चुके हैं मेरे लिए |
मगर इन दिनों ऐसा क्यों होता है ? यह सोच का विषय है !
फोटो :- आजतक के सौजन्य से
मध्यप्रदेश के पन्ने में एक बेटी , सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करती है | जिसमे अपने घरवालों पर , अपने पति के पास ना जाने देने और रोकने का आरोप लगाते हुए कहती है कि - घर वालो ने उन्हें कैद करके रखा है और पति के पास नहीं जाने दे रहे हैं | वीडियो एक दूसरे के माध्यम से लोगों तक पहुंचा और यह बात पुलिस से भी छुपी नहीं रही | यह संदेश पुलिस तक पहुंचते देर नहीं लगी | इटावा खास की रहने वाली इस लड़की का नाम स्वाति बाजपेयी है और यह पन्ना के बृजपुर थाना के अंतर्गत आता है |
शादी के बाद जब स्वाति घर पहुंची , तो घरवाले उसे लड़के के साथ जाने नहीं दिया | स्वाति ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया - जिसमें अपने पिता और परिवार पर कथित तौर पर बंधक बनाकर रखे जाने की बात कही है और उसमें पति के पास नहीं जाने देने की बात भी जुड़ी हुई है | इस वीडियो में स्वाति बाजपेयी ने पन्ना के कलेक्टर और पुलिस से मदद की गुहार लगाई है | जिसके बाद पुलिस हड़कत में आई और सूचना के आधार पर एडिशनल एसपी बी०के०एस० परिहार ने , लड़की के घर वालों से मिलकर बात कि | प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद स्वाति के परिवार वालों ने अपनी बेटी को स्वतंत्र कर दिया और प्रशासन ने घर वालो को समझाकर स्वाति वाजपेयी को , राहुल त्रिवेदी के संग जीने की आजादी दिलवा दी | अब स्वाति बाजपेयी आजाद है राहुल त्रिवेदी के साथ जीने के लिए | खैर ........
यह पन्ना तो था , एक बेटी - बेटे की आजादी का | परंतु उन माता-पिता के सपनों का क्या ? जिन्होंने जन्म दिया , पाला , बड़ा किया , पढ़ाया - लिखाया और पांव पर खड़ा कर देने में अपनी जवानी गुजार दी | वह समाज , जिनके सामने यह बच्चे बड़े हुए , तो उनकी भी तमन्ना थी कि विवाह में शरीक होकर शादी का आनंद उठाएंगे | चंद रोज के प्यार में क्या वाकई इतना मीठास होता है कि - बच्चे अपना बचपन और एक मां के दूध का कर्ज़ , पिता के पसीने से पोषित हुई शरीर का सौन्दर्य , व्यक्तित्व का निखार , सभी कुछ फीका कर जाए |
लेकिन ऐसे में , एक मां - पिता को भी अपने मन को समझाना पड़ेगा | अपने बड़े होते बच्चों पर से , अपना मन बिल्कुल हटा ले | अपेक्षा मत करें , अगर अपेक्षा उपेक्षा में बदल गया तो बहुत दर्द होता है | वह मां - पिता जिनके बच्चे उनकी मर्जी से विवाह करते हैं , उसमे भी अपनी स्वीकृति दीजिए और बच्चे अपनी मनमर्जी से विवाह करना चाहते हैं तो , उन्हें भागने पर मजबूर मत होने दीजिए | आप उस बीच , समाज के सामने एक दूसरे को बिठाकर समझाइए | न माने तो , विवाह करवा दीजिए | जिंदगी उन्हें जीनी है , तो उन्हें जीने दीजिए | ऐसे में बच्चे आपसे कुछ छुपायेंगे नहीं और घर से भागेंगे भी नहीं और न दरवाजे से बारात बैरंग लौटेगी और न एक पिता को अपने बच्चों के जीते जी , बाल मुड़वाकर मातम मानना पड़ेगा |
वैसे भी आज के दौर में शादी , घरवालों की पसंद का हो , या बच्चों की पसंद का | निर्भर करता है कि वह कितना समय तक टिक पाता है , रिश्तो में कितनी मिठास रह पाती है , शादी के बाद रिश्ते कितने मजबूत बन पाते है , फिर समझा जा सकता है कि जीत हासिल किया | वहीं आज की तारीख में तो , शादी बहुत ही बड़ी समस्या बनती जा रही है |
आज के युवा पीढी की विचारधारा को देखकर हर पल इंसान , समाज , परिवार सोचने और समझाने पर मजबूर है ! रिश्तो की मजबूत डोर कहीं न कहीं ढीली पड़ती नजर आ रही है | इसमें किसे दोषी ठहराया जाए ? बच्चों को , समाज को , परिवार को या फिर ....... |
मुझे फिल्म "दिल" का एक गीत याद आ रहा है | "हमने घर छोड़ा है रस्मों को तोड़ा है दूर कहीं जाएंगे नई दुनिया बसाएंगे" | तो ऐसे माता-पिता अपने दिल को समझा ले | बच्चे बड़े हो रहे हैं , इन्हें अपनी मर्जी से घर बसाने दीजिए और बच्चों को भी सोचना होगा कि पसंद ऐसी हो , जिस पसंद को मां-पिता , परिवार इंकार न करें और वह उनकी मर्जी से विवाह के सभी रस्मों / रिवाज सहित समाज के सामने विवाह कर दे | मगर इतना तो बच्चों को ख्याल रखना होगा कि - परिवार का , माँ - पिता का दिल टूटे नहीं और लड़का या लड़की , जिससे शादी होनी है , वे परिवार के मेल में भी आता हो | चूकी शादी , सिर्फ लड़के - लड़की का नहीं दो परिवार के मिलन का भी नाम है और यह सुखद होना चाहिए | फिर बच्चों को घर छोड़ना नहीं पड़ेगा और न माँ - पिता , परिवार को उनके विरुद्ध होकर शादी का फैसला लेना पड़ेगा |
बुद्धिमानी से , आज के बच्चों को संभालना होगा , एक दोस्त बनकर और बचपन के प्यार की डोर को बिखरने नहीं दीजिये , इसे जकड़ देने की जरुरत है | ..... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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