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आज 9 सितम्बर है श्री नारायण का दिन जिन्हें लोग श्री हरी व भगवान विष्णु के नाम से भी जानते है | इनकी पूजा / आराधना का वह दिन जिससे भक्तगणों के सारे कष्ट हर लिए जाते हैं "अनंत चतुर्दशी" के रूप में बड़े हीं धूमधाम से मनाया जाता है |
कुछ लोग इस व्रत को अनंत चौदस के नाम से भी संबोधित करते है | भारत के अधिकांशतः हिस्सों में लोग अलग अलग रूप में इस व्रत को करते है | आज का दिन बड़ा हीं शुभ है , आज शुक्रवार है यह दिन माता रानी को भी समर्पित है | वहीं यह दिन माँ संतोषी के व्रत का दिन है जहाँ सभी की मुरादे व कामना पूरी होती है |
पौराणिक मान्यता के अनुसार -
महाभारत की कहानी इस व्रत को दर्शाता है | अनंतसुत्र वह धागा है जो जनेऊ से बनाया जाता है | जनेऊ एक शुद्धता का प्रतीक है , इस धागे को कुमकुम , केसर व हल्दी से रंगने के बाद इसमे 14 गांठे लगानी होती है और फिर भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने इस सूत्र को रखकर पूजा की जाती है |
परन्तु बेहतर है कि नारायण की मंदिर में अनंत की कथा सुनते हुए इस सूत्र को धारण करे | सभी कष्टों को हरने का गुण इस धागे में पाया जाता है , इसे अपने बाजू में धारण करे | इससे रक्षा तो मिलती हीं है साथ हीं इस सूत्र को धारण करने से सभी विघ्न बाधाएं व संकट से भी छुटकारा मिल जाता है |
मांसाहारी लोग अगर इस व्रत को करते है या सूत्र पहनते है तो कृपया वो आज से 14 दिन तक मांसाहारी भोजन को ग्रहण न करे |
अग्नीपुराण का पन्ना पलटा जाए तो वहां अनंत चतुर्दशी व्रत के विषय में वर्णन मिलेगा | अनंत चतुर्दशी के व्रत का आरम्भ महाभारत काल से हुई है , इन्हें प्रसन्न करने का यह दिन है और इस व्रत को करने पर अनंत फल की प्राप्ति होती है |
आज के दिन हीं गणपति की उस प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है जिस प्रतिमा को लोग बड़े हीं धूमधाम से अपने घर , सोसाइटी या फिर एक निर्धारित जगह बिठाते है और इस दस दिन तक गणपति को अपने पिता के रूप में उनकी सेवा करते हुए अपनी मुरादो को उनके चरणों में समर्पित कर साल भर की क्लेश व दुखो को पार पाने व आने वाले दिनों में सुख समृधि की याचना करते हैं | आज उसी 10 दिन की प्रतिमा पूजन के विसर्जन का दिन है जिसे लोग बड़े हीं धूमधाम से करते हैं |
"गणपति बप्पा मोरया" इसी नाम से लोग प्रतिमा को नदी या समुन्द्र में समर्पित करते है |
भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष का आज उल्लास भरा दिन है जिसमे अनंत रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है | 14 लोको की रचना करने वाले भगवान विष्णु जिन्होंने - तल , अतल , वितल , सुतल , तलातल , रसातल , माताल , भू , भुव , स्वः , जन , तप , सत्य व मह की रचना की |
एक बड़ा हीं अनमोल पहलू पर ध्यान आकृष्ट करना चाहेंगे :-
महाभारत में जब पांडवो को कौरवो ने छल से हरा दिया था तो पांडवो को राजपाठ को त्याग कर वनवास हेतु सफ़र करना पड़ा और इस दौरान उन्हें बहुत हीं कष्ट उठाना पड़ा था | इतिहास बना दो टीवी सीरियल - रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण और बी आर चोपड़ा की महाभारत जिसमे हर दृश्य को हू ब हू प्रस्तुत किया गया है , इसे देखकर ऐसा लगता है कि वाकई में ऐसा हीं हुआ होगा |
एक दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवो से मिलने वन में पहुंचे तो युधिष्टिर की नजर इनपर पड़ी तो वे भावविहल हो गए जैसे कि प्यासे को तृप्ति मिल गई हो | उन्होंने कहा - हे मधुसुदन हमें इस पीड़ा से निकलने व दूबारा राजपाठ प्राप्त करने का उपाय बताइये तो भगवान श्री कृष्ण ने मार्ग दिखाया जो मार्ग अनंत चतुर्दशी के तरफ ईशारा करता है |
भगवान श्री कृष्ण ने कहा - सभी भाई पत्नी सहित भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का वर्त रखे और अनंत भगवान की पूजा करे | युधिष्टिर ने पूछा - अनंत भगवान कौन है ? तो उन्होंने कहा कि यह भगवान विष्णु का हीं एक रूप है | चतुरमास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं |
याद दिला दे कि अनंत भगवान ने हीं वामन अवतार लेकर राजा बाली से तीन पग भूमि मांगी थी जिसमे उन्होंने अपना तीसरा पाँव उनके सर पर रखकर बाली के घमंड को चकनाचूर करते हुए उसके उदार प्रवृति व वचनबध होने के सबूत को भी दर्शा दिया | इच्छा प्रवृति की यह निर्मल नीति हीं श्री कृष्ण ने युधिष्टिर को बताया था | युधिष्टिर ने श्रीकृष्ण के कथनानुसार इस व्रत को बहुत हीं श्रद्धापूर्वक किया जिसके बाद उन्हें पुनः अपना अधिकार मिल गया जिस कहानी से सभी परिचित है |
भगवान विष्णु बहुत हीं दयालु है , यह सम्पूर्ण जीव के आश्रयदाता है इसीलिए इन्हें नारायण कहा जाता है | संसार इनकी हीं शक्ति से संचालित होता है क्यूंकि ये हीं निर्गुण है और सगुन भी यहीं है | शंख , चक्र , गदा और पद्म धारण करने वाले भगवान विष्णु हीं सर्वोपरी शक्ति का रूप हैं जिनके दर्शन व पूजा मात्र से कामना पूरी होती है |
वेदों में भगवान विष्णु की अनंत महिमा का गान मिलता है | श्री राम , श्री कृष्ण इनके हीं अवतार है जिन्होंने धरती को राक्षसों की बोझ से मुक्ति दिलायी | अनंत चतुर्दशी व प्रत्येक माह की एकदशी और पूर्णिमा ये भगवान विष्णु के महत्वपूर्ण दिन है | गुरुवार को इनकी पूजा की जाती है और पीला रंग इन्हें बहुत पसंद है | महालक्ष्मी व वृंदा सदैव इनके साथ रहते हैं जिससे श्रद्धालुओं के पास समृद्धि की कमी नहीं होती |
एक महत्वपूर्ण बात और भी हम आपको बता दे कि भक्तो का कल्याण करने में यदि विलम्ब हो जाए तो भगवान विष्णु इतने दयालु है कि इसे अपनी भूल मानकर उसके लिए क्षमा याचना करते हैं |
सभी भारतवासियों को व भगवान विष्णु में आस्था रखने वाले को आज के दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं | ........... ( अध्यात्म फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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