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आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 2 दिन के दौरे पर जम्मू कश्मीर और लद्दाख जायेंगे | इसबार वे लद्दाख के द्रास इलाके के जवानों के संग दशहरा मनाएंगे |
आजादी के बाद से कभी भी ऐसा नहीं हुआ , जब राष्ट्रपति राष्ट्रीय राजधानी में दहशरा समारोह के अवसर पर मौजूद न रहे हो | इसबार उन्होंने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में हीं लोगों से मिलकर और वहां के विशेष संस्कृति व जवानों से विशेष मुद्दों पर बातचीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के उद्देश्य को जगाने क्रम में एक मजबूत कदम उठाया है | दशहरा के मौके पर वे शहीद जवानों को श्रधांजलि भी अर्पित करेंगे |
14 अक्टूबर को राष्ट्रपति लेह के सिन्धुघाटी का दर्शन करेंगे | सिन्धु दर्शन पूजा में शामिल होने के बाद वे उधमपुर सेना के जवानों से भी मुलाक़ात करेंगे | इसलिए आज वे राजधानी दिल्ली से जम्मू कश्मीर व लद्दाख के लिए रवाना होने वाले है |
दशहरे के मौके पर राष्ट्रपति का दौरा एक मजबूत कदम है | वहां के लोगों को आत्मबल और शक्ति मिलेगी , क्यूंकि इनदिनों वहां आतंकी गतिविधि पर इजाफा देखने को मिल रहा है | अब तो केंद्र की ओर से भी निर्देश जारी किया गया है कि - आतंकियों का जल्द से जल्द खात्मा किया जाएगा | NIA भी आताकियों के सहयोग करने वाली टीम के ठिकानों पर छापा मारने का कार्य जोरो पर कर रही है |
सूचना के आधार पर मंगलवार यूनाइटेड कश्मीरी सिख प्रोग्रसिव होरम के एक प्रतिनिधि मंडल ने जम्मू कश्मीर के राजभवन में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाक़ात की | जहाँ उन्होंने सिख समुदाय और अल्पसंख्यक के लोगों के हत्या के विषय में बाते की | उप राज्यपाल महोदय ने इसके जवाब में कहा कि - हत्या को अंजाम देने वाले को बख्सा नहीं जाएगा | उन्होंने UKSPF के अध्यक्ष एस० बलदेव सिंह रैना के नेतृत्व में एक ज्ञापन सौंपा है , जिसमे सिख समुदायों से मांगो की सूची अंकित है |
जम्मू कश्मीर और लद्दाख का इलाका एक विशिष्ट संस्कृति के लिए भी प्रसिद्द है | जैसा कि सभी लोग जानते है - दशहरा माता रानी के आगमन की एक सूचना है , जहाँ धूमधाम से इनके आगमन को दस दिन तक मनाया जाता है | साथ हीं बुराई पर अच्छाई की विजय का भी दिन है | जम्मू कश्मीर माता वैष्णों देवी और अमरनाथ की गुफाएं के लिए भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल में से एक माना जाता है | यहाँ गाँधी नगर में भगवन श्रीराम की जयघोष के साथ अहंकारी रावण व मेघनाथ , कुम्भकर्ण के पुतलों का दहन भी अग्निवाण चलाकर किया जाता है , जिससे एक सन्देश भी मिलता है | इस सन्देश में यहीं दर्शाया जाता है कि - बुराई कितना भी मजबूत क्यूँ न हो ! एक दिन वह अच्छाई के भार से दब हीं जाता है |
गांधीनगर में वीर बजरंगी और जय श्रीराम के जयघोष से पूरा वातावरण में एक अद्दभुत छवि , साज - सज्जा और आवाज के रंगों से रंगकर छा जाता है | इस बीच भगवान श्रीराम की झांकी भी निकाली जाती है | इस झांकी में भगवान श्रीराम , श्री लक्ष्मण और श्री हनुमान और सेना सवार होती है | लोग इस झांकी को प्रणाम करते है और सर झुकाकर आशीर्वाद पाते है | यहाँ लंका का एक रूप - आकार देकर माँ सीता को निकालने का दृश्य भी लोगों को दिखाकर भावविहल किया जाता रहा है , जिससे की लोगों को एक आत्मशक्ति मिलती है कि - जीत अपनी मुठ्ठी में है |
जब रावण के अत्याचार को ख़त्म करने के लिए भगवान श्रीविष्णु को रामावतार में धरती पर आना पड़ा | उसका मुख्य कारण इस धरती पर से अत्याचार को मिटाना , राक्षसी प्रवृति का खात्मा और धरती पर खुशियों को लाना था | हर वर्ष पुरे भारतवर्ष में दशहरे के मौके पर श्रीराम के नाम की जयकार गूंजती है |
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी 14 और 15
अक्टूबर को इसी पावन धरती पर कदम रखकर माता वैष्णों देवी और जय श्रीराम के
उत्सव में शामिल होकर वीर जवानों के हौसला को बुलंद करेंगे | ....... (
न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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