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एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अम्बानी जी को पिछले कुछ दिनों से धमकी भरे ईमेल मिल रहे थे | लोग हैरान व परेशान थे , पुलिस भी उस स्थान तक पहुँच पाने में प्रयासरत थी कि आख़िरकार कौन है वह सख्स जो मुकेश अंबानी को फिरौती में 400 / 500 करोड़ रुपये का डिमांड कर रहा है |
मुकेश अंबानी की जान की कीमत 500 करोड़ का आंकड़ा किसने बिठाया ?
पुलिस चकित हुई इस बात से | यह रकम 20 करोड़ रुपये से आरम्भ हुआ , दो दिन बाद पहुंचा 200 करोड़ और पुनः दो दिन बाद 400 करोड़ पर आकर ठहर गया | इतना हीं नहीं ये फिरौती का रकम 500 करोड़ तक पहुँच गया , इसबार 500 करोड़ मांगनेवाला दूसरा सख्स था |
यह घटना 27 अक्टूबर की है | कंपनी के ईमेल आईडी पर एक मेल आया , मेल करनेवाले ने अपना नाम सादाब खान बताया | ईमेल में लिखा था - फ़ौरन 20 करोड़ रुपये दे दो , अगर नहीं दिए तो उनकी खैर नहीं , सख्स उनकी जान ले लेगा |
मुंबई पुलिस को इस बात की जानकारी दी गई जिसके बाद पुलिस उस सख्स की तलाश में लग गई | 28 अक्टूबर को पुनः उसी नाम से एक और मेल आया जिसमे लिखा था - आपसे 20 करोड़ माँगा था , आपने कोई रिस्पोंस नहीं दिखाया इसलिए अब आपको 200 करोड़ देने होंगे | अगर आपको अपनी जान की परवाह है तो पैसे दे दीजिये नहीं तो हमारे पास देश के टॉप शूटर मौजूद है | आप कितनी भी सुरक्षा में रहें , हमारा एक स्नेपर आपका काम तमाम करने के लिए काफी है |
इस धमकी भरे शब्द को पढ़कर रिलायंस परिवार परेशान हुए | पुलिस भी सोंचने पर मजबूर हुई - 20 करोड़ से 200 करोड़ का डिमांड ! चूकी बात मुकेश अंबानी जी की थी तो पुलिस कैसे इंतज़ार कर पाती ? पुलिस ने एक टीम गठित किया जिसमे CIO और क्राइम ब्रांच को इस केस में शामिल कर तलाश जारी की मगर बात यहीं नहीं थमी |
दो दिन बाद फिर एक तीसरी बार मेल आया | इस मेल में यूरोपियन कंट्री वेल्जियम इंडीकेट था | बेल्जियम में बैठकर भारत के उद्योगपति की हत्या करने की साजिश कर रहा व्यक्ति आखिर कौन था ? मुंबई पुलिस परेशान हुई और बेल्जियम में ईमेल होस्ट करनेवाली कंपनी से बात करने की तैयारी कर ली |
चार दिन गुजरा हीं था कि 400 करोड़ रुपये की फिरौती का फिर से मेल आ गया जिसमे लिखा था - हम तो आपको मार हीं देंगे , आपमे कूबत है तो हमें पकड़ लीजिये | एक के बाद एक धमकी सादाब खान के नाम से बेल्जियम में बैठा इंसान कर रहा था |
मुंबई पुलिस ने अपनी पैनी दृष्टि डाली और पुलिस की साइबर एक्सपर्ट टीम ने भेजी गई इमेल आईडी का लोकेशन पता कर लिया | वह ईमेल बेल्जियम से नहीं बल्कि गुजरात के गांधीनगर के करौल से आ रहा था | जिस कंप्यूटर से इस ईमेल को भेजा जा रहा था , पुलिस को उस कंप्यूटर का IP एड्रेस व लोकेशन मिला | पुलिस की एक टीम करोल पहुंची , अब वह व्यक्ति और पुलिस दोनों आमने - सामने थे |
धमकी देने वाले का नाम सादाब खान नहीं बल्कि राजवीर कांत है | इसकी उम्र 20 साल , यह कोई क्रिमिनल नहीं बल्कि कंप्यूटर इंजीनियरिंग पढ़नेवाला एक पुलिसवाले का पुत्र है | यह अपने कंप्यूटर पढ़ाई में इतना गहरा डूबा कि नई खोज करने की तलाश में हर दिन अपना वक्त खर्च करता रहा | यह लड़का डीप नेट और डार्क नेट का अच्छा जानकार है | इसे अच्छी तरह पता है नेट की मासकिंग , VPL के जरिये एप्रोच करना | यह वह पद्धति है जिसके जरिये आदमी किसी से बात करता है तो अपना लोकेशन छुपाकर रखा सकता है या फिर अपनी मर्जी से किसी भी जगह या कंट्री का नाम दिखा सकता है |
कंप्यूटर का धुरंधर और पर्याप्त जानकारी रखनेवाला राजवीर कांत काश ! कानून की जानकारी भी पढ़ लेता तो शायद यह उभरता हुआ सितारा आज जेल में नहीं होता | इन्होने पुलिस को बताया - फिरौती मांगने का मेरा उदेश्य नही था | हम तो आजमाने के लिए एक टार्गेट किया कि हमारी पढ़ाई का लेबल कहाँ तक है ?
पिछले दिनों सादाब खान के नाम राजवीर खंत का ईमेल पत्र - पत्रिकाएं , न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया पर छाता रहा |
अब बात करते हैं 500 करोड़ माँगनेवाले सख्स की जो 1200 किलोमीटर दूर बैठा तेलंगाना का एक 19 साल का लड़का जो कंप्यूटर की पढ़ाई हीं कर रहा है | उसे लगा कोई और भी धमकी दे सकता है तो मै क्यूँ नहीं !
मालुम हो कि पिछले कई सालो में मुकेश अंबानी जी को टार्गेट किया और हर बार भाग्य और कर्म ने उन्हें बचाया साथ हीं लोगो का प्यार भी है | लेकिन इस बार तो हद हीं हो गई , तेलंगाना का यह 19 वर्षीय लड़का जिसका नाम रमेश वनपार्थी है , इसने फिरौती में 500 करोड़ का डिमांड कर दिया | रमेश वनपार्थी बी कॉम थर्ड ईयर का स्टूडेंट है और तेलंगाना यूनिवर्सिटी में पढ़ता है |
मुंबई से गुजरात , गुजरात से तेलंगाना घुमती रही पुलिस और केस को सुलझा दिया | हम मुंबई , गुजरात व तेलांगना पुलिस को धन्यवाद देते है | उनकी टीम एक ऐसे रंगदार को पकड़ लिया जिन्होंने मुकेश अंबानी , उनके परिवार और चाहनेवाले का जीना मोहाल कर दिया था , अब जाकर राहत मिला |
बच्चो में यह कैसी सनक और पागलपन जिसमे ईरादा धन लेने का नहीं था बल्कि स्वयं की अध्यन की उंचाई व मजबूती को परखना था मगर इस होनहार बच्चे को क्या इतना पता नहीं कि अपराध तो अपराध हीं होता है | पकड़े गए तो इसकी सजा क्या होगी ? 19 , 20 वर्ष के बच्चो में इतनी चालाकी भरी सोंच कि हम सभी को चकमा देकर बच जायेंगे तो क्या भारत में बुद्धिमानो की कमी है या फिर उसकी नजर में पुलिसवाले नाकाम खैर ....... ! जितनी बुद्धि उसका इस्तेमाल कर चले गए दोनों जेल के अन्दर अब सफाई से क्या फायदा ?
अब चलते - चलते एक बात हम स्पष्ट कर दे कि उन्हें अपनी ऊंचाई हीं आंकनी थी तो रास्ते बहुत थे | एशिया का सबसे धनी व्यक्ति को टार्गेट में लेकर अपनी सफलता को आंकना कितना सही या गलत था ! इसपर गौर करना बड़ा हीं जरुरी है | नामी लोगो के साथ नाम जोड़कर स्वयं को मशहूर बनाना वह भी कानून को ताख पर रखकर बहुत बड़ा अपराध है |बचिए और बचाइये स्वयं को अपराध भरे मार्ग पर चलने से |
अब आनेवाले कल में हम आपको डार्क नेट और डीप नेट की भी जानकारी देंगे | .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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