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आज ट्विटर पर एक विडियो देखकर रूह काँप सा गया | हमारे आजाद भारत के बच्चे की मानसिकता किस कदर हत्या प्रवृति की तरफ बढ़ती हुई दिखाई पर रही है |
सबसे पहले हम आपको एक विडियो दिखा रहे हैं | यह विडियो हमारे देश के मशहूर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने अपने ट्विटर पर शेयर किया है | आनंद महिंद्रा की सोंच और इस विडियो पर उनकी प्रतिक्रिया से कुछ अलग हटकर हम यूजर्स की प्रतिक्रिया को आपतक शेयर कर रहे है , जिसमे बहुत सारे कमेंट को मैंने पढ़ा जो दिल को छू गया |
इस विडियो में आप देख सकते है - एक छोटा सा बच्चा नदी / तलाब किनारे हाथ से बनी हुई मशीन के द्वारा मछली पकड़ने की तरकीब को दिखा रहा है | हालाकि यह विडियो कई जगह कट के साथ एडिट किया गया है | जिससे साफ़ जाहिर होता है कि - विडियो की पहचान बनाने व वायरल करने के पीछे एक शातिर दिमाग का इस्तेमाल किया गया है |
विडियो देखने के लिए इस टाइटल पर क्लिक करे :-
इस विडियो में बच्चे की ऐसी मानसिकता का इस्तेमाल करना हमारे देश के भविष्य को राक्षसी प्रवृति बनाने का एक पहचान दे रहा है जो देश के हित में नहीं है | वहीं यह बच्चा 2 बड़ी मछली को मारकर अपने थैले में डालते हुए दिखाई पड़ा | एक मासूम कंधे पर अभी से मृत जीव को उठाने का भार डालना लोगो के दिलो पर एक प्रहार है |
आश्चर्य की बात है कि -हमारे देश के उद्योगपति जो बहुत हीं सहृदय है और लगातार लोगो को प्रोत्साहित करते हुए लाखो रुपये का उपहार उनपर समर्पित किया , इसे उनका लोगो के प्रति प्यार कहा जा सकता है | वहीं बहुत सारे लोगो के कष्ट को उन्होंने राहत दी है | बहुत दुःख के साथ उनके लिए मुझे यह लिखना पड़ रहा है कि - उन्होंने इस विडियो पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया कैसे दे डाली ? यह सवाल बहुत सारे लोगो के मन को कुरेद कर छलनी कर रहा है |
बहुत सारे यूजर्स का कमेंट मैंने पढ़ा | कुछ कमेन्ट हम आपके साथ साझा कर रहे है जिसे पढ़कर आपको समझ में आएगा कि जिंदगी क्या चीज है ?
मनोहरलाल विश्नोई लिखते है - यह सक्सेस की श्रेणी में नहीं आता सर | एक बेजुबान जीव की हत्या कर रहा है यह बालक और आप इसको उच्च किस्म में परख रहे हो | जीव हत्या महापाप माना जाता है , आपको पता है कुछ !
सनातनी मुखवाले लिखते है - मै इस विडियो में सिर्फ कष्ट और पीड़ा देख सकता हूँ जो एक मृत्यु है | गुलामी का अर्थ - मांस किसी मरे हुए जीव का होता है जो जीना चाहता है |
मैंने बचपन में सिखा था जीव हत्या सम पाप नहीं और यहीं बाते बापू ने भी कही थी , यानि गाँधी जी ने | उन्होंने कभी भी मांसाहारी भोजन को ग्रहण नहीं किया , क्यूंकि मांसाहारी भोजन को राक्षसी भोजन माना गया है जिससे मन राक्षसी प्रवृति का बन जाता है | गाँधी जी अहिंसा प्रेमी थे , हिंसा को भारत से अलग रखने का उनका प्रयास था |
मांसाहारी खाने वाले इस दर्द का अनुभव नहीं कर सकते , क्यूंकि यह एक नशा है और नशा में कुछ दिखाई नहीं पड़ता | हमारा यह लिखना शायद अतिश्योक्ति न होगा कि - एक बेजुबान की ह्त्या , मौन मन का कलप है शायद ! .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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