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कोनंदा निवासी मयूर भायल की पत्नी अपने मायके दोगांवा गई हुई थी और बीते 11 सितम्बर 2021 को गणेश चतुर्थी के दिन 2 जुड़वा बेटी को जन्म दिया | परिवार के सहमति से बेटी का नाम रखा गया - रिद्धि - सिद्धि | नाम कुछ ऐसा कि - ख्याल आ जाए ईश्वर की आराधना का |
मगर सिर्फ नाम रख देने भर से नहीं , इस नाम का तमाम उम्र इज्जत करना भी जरुरी होगा |
मालुम हो कि - "रिद्धि - सिद्धि" ये पवित्र नाम "गणपति बप्पा के दोनों पत्नी के है | लोग ईश्वर या देवी - देवताओं के नाम पर अपनी बच्चो का नाम रख देते है , मगर ये कितना उचित है कुछ कहा नहीं जा सकता है | जितना मन उतनी सोंच ... खैर |
बीते शनिवार बहु अपनी दोनों बेटी रिद्धि - सिद्धि को लेकर कोनंदा अपने ससुराल वापस आई | शनिवार यानि 15 जनवरी - ठीक लगभग 4 माह बाद | ससुराल वालो ने अपने बहु को बड़े हीं धूमधाम से लाने का इंतजाम करवाया | बहु व बच्चो को रथ में बैठाकर घर लाये , रास्ते भर जुलुस , ढोल , नगारे बजते रहे | करीब 2 घंटा तक रथ को पुरे नगर में घुमाया गया | एक बहु के लिए यह पहला मौका था , जब वह अपनी बेटी को लेकर गर्वान्वित महसूस कर रही थी |
बहु को यह गौरव अपनी दोनों बच्चो के बदौलत हासिल हुआ | वहीं बच्चे के दादा - दादी और बाकी सदस्य रथ के सामने झूमते चले जा रहे थे |
नवजात शिशु ने खूब आनंद उठाया | ग्रामीणों ने रिद्धि - सिद्धि का बड़े प्यार से जमकर स्वागत किया | 2 किलोमीटर की दुरी तय करने के बाद पुरे गाँव वाले दादा जगदीश भायल के सोंच की तारीफ़ कर रहे थे | डेढ़ वर्ष पूर्व जगदीश भायल ने अपने बेटे मयूर भायल की बड़े हीं धूम धाम के साथ ब्याह रचाया था |
गणेश चतुर्थी के दिन बहु ने साक्षात दो लक्ष्मी को समर्पित किया | जगदीश भायल किसान वर्ग से आते है और मयूर भायल की कुक्षी में कपड़े की दूकान है | बेटी को साक्षात देवी का रूप कहा जा रहा है - लोग दूर दूर से बिटिया को दर्शन के लिए आ रहे है | बहु का सम्मान कई गुना ज्यादा बढ़ गया |
सच कहा जाए तो बच्चे जुड़वा हो - बेटा हो या
बेटी हो | किसी भी बच्चे का सम्मान इसी तरह का आयोजनकर यादगार बना देना
चाहिए , ताकि बड़े होने पर उसे जन्म की अहमियत पता चल सके | बच्चे के मुठ्ठी
में हीं छुपा है कुल का नया निर्माण | ....... ( न्यूज़ / फीचर :-
भव्याश्री डेस्क )
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