Breaking News
फ़रमानी नाज़ एक ऐसा नाम है जो आज से कुछ साल पहले सुर्खियों में छाई तब जब रानू मंडल ने लता मंगेशकर की गाई गीत "एक प्यार का नगमा है" से वायरल हुई और बॉलीवुड में छाती हुई हीमेश रेशमिया के दिलो पर दस्तक देते हुए उनके संगीत स्टूडियो तक अपनी पहचान बनाकर कई नए गीत को अपनी आवाज में ढालकर दुनिया तक पहुँचाया |यह काम आसान इसलिए हुआ क्यूंकि उनके पीछे एक बहुत मजबूत हाथ था |
फ़रमानी नाज़ जब उभरी तो उनकी पहुँच भी "इंडियन आइडल" के मंच तक आकर ठहर सी गई और उन्हें कोई मजबूत सहारा नहीं मिला | मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी गति को कम व ज्यादा बढ़ाती रही |
सावन के इस दौर में उनका एक गीत "हर हर शम्भू" काफी वायरल हुआ और विवादों में भी उलझा | साहिल की खोज में निर्भीक होकर फ़रमानी नाज़ अपनी बातो को देश - दुनिया तक पहुंचाने का काम किया | उन्होंने इतना तक कह दिया कि - हमारे वंशज सनातन थे |
फ़रमानी नाज़ एक मुस्लिम महिला है , इसलिए कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इनका विरोध करते हुए कहा कि - यह धर्म का अपमान है |
वहीं इनके पक्ष में उत्तरप्रदेश की एक मुस्लिम संगठन के जिला संयोजक "राव मुशर्रफ अली" ने इनके गाये भजन को सुना और उसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि - हम फ़रमानी के गाये हुए भजन का समर्थन करते है | उन्होंने कहा है कि - यह उलेमा दिन जब गौ हत्या होती है तब फतवा जारी क्यूँ नहीं करते ? ऐसे मौलानाओं और इनके फतवों के कारण हमारे देश में कट्टरवाद फ़ैल रहा है |
उन्होंने कहा कि - फ़रमानी नाज़ एक सिंगर है और एक सिंगर को हर तरह का गाना व भजन गाना होगा चाहे वह किसी भी मजहब का क्यूँ न हो | उन्होंने ऐसे लोगो को याद दिलाया , मशहूर सिंगर मोहम्मद रफ़ी साहब के गाये हुए भजन का जो आज भी मंदिरों में अपनी मौजूदगी और आस्था का दस्तक देता है |
उन्होंने कहा है कि - मुस्लिम राष्ट्रीय मंच फ़रमानी नाज़ का समर्थन करती है और बहुत जल्द हमारी संस्था उन्हें सम्मानित करेगी |
कहा गया है - कहीं न कहीं बेसहारो को सहारा मिल जाता है | हर हर शम्भू गाकर फ़रमानी नाज़ सावन के उत्सव में आवाज की जादू से सावन का रंग और भी खुशनुमा बना दिया और शिव का आशीर्वाद इनपर बरस गया | एक तरफ लोग बगावत में उतरे तो वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम संस्था हीं इनका समर्थन कर सम्मानित करने का मन बना लिया | अब बहुत सारी मुस्लिम संस्थाएं इनके पक्ष में उतर पड़ेगी , क्यूंकि यहाँ तो लोगो को ताली पर ताली ठोकने की आदत है और तब जाकर काफिला बढ़ता है आगे |
उत्तरप्रदेश मुजफ्फरनगर की रहने वाली फ़रमानी नाज़ की शादी 2018 में हुई | उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया , बेटे को अस्वस्थ पाकर पति और ससुराल वालो ने उन्हें अलग कर दिया | इतना अलग की पति ने दूसरा निकाह भी कर लिया | अब फ़रमानी जाए तो जाए कहाँ ?
कहा गया है - जीवन जीने के लिए हमदम और सहारो की जरुरत पड़ती है | ये दोनों में फ़रमानी नाज़ के पास कुछ भी नहीं था , मगर ऐसे में उनके पास एक गुण तो था जिसके बल पर वो आत्मनिर्भर होने की सोंच को उजागर करने हेतु कदम बढ़ाया | इन्होनो समाज में अपने बल बूते जीने की कोशिश की - कहीं हाथ नहीं फैलाया तो सामाजिक ठेकेदारों को अच्छा नहीं लगा |
ये लोग उस वक्त कहाँ थे ? जब फ़रमानी नाज़ के पति ने वेगैर तलाक दिए दूसरी शादी कर ली | उनके बच्चे को किसी ने सहारा नहीं दिया | इनदिनों बहुत सारी घटना देखने को मिला जहाँ स्वयं को असहाय पाकर लोग खुदकुशी कर लेते है | ऐसे में नाज़ एक जीवट वाली महिला कही जा सकती है जो अक्षम महिलाओं व लोगो के लिए एक खुबसूरत नाम है |
फ़रमानी नाज़ ने कानून को हाथ में नहीं लिया और न हीं समाज को ठेस पहुँचाने की कोई कोशिश की | इन्होने तो बस अपनी आत्मा की तार को परमात्मा से जोड़ने का कार्य किया है और परमात्मा कोई मजहब नहीं सिर्फ एक पॉवर है | इस बात को लोग समझ ले तो दुनिया का नक्शा हीं बदल जायेगा | बस अब इतना कहना लाजमी होगा - आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे , क्या पता किस घड़ी वक्त का बदले मिजाज | आज फ़रमानी नाज़ की तरफ लोग का मिजाज बदल रहा है और लोग उन्हें पसंद करने लग गए है और ये उड़ान का सोपान कहा जा सकता है | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
रिपोर्टर