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लम्बी दूरी की यात्रा करनी हो तो सबसे पहला हमारा अपना "भारतीय रेल" की याद हमें टिकट काउंटर पर दस्तक देने के लिए पहुंचा देती है | स्कूल , कॉलेज की छुट्टी हो , त्यौहार का समय या फिर विवाह लग्न का मौसम तो क्या कहना ! तत्काल के लिए एक दिन क्या दो दिन , तीन दिन तक लगातार आदमी को वहां मौजूद रहना होता है | पुरुष की तो बात हीं छोड़िये मैंने महिलाओं को भी आरक्षण कैम्पस के बाहर शीतलहर में रात गुजारते हुए देखा है |
ऐसे में तत्काल में टिकट ना मिले और जाना बहुत जरुरी हो तो फिर सामान्य बोगी का ख्याल आता है मन में | किसी ट्रेन में दो किसी में तीन और किसी किसी में चार सामान्य बोगी तो रहता हीं है |
सफ़र करनेवाले लोगो ने मुझसे रेल के डब्बे में मौजूद टॉयलेट के विषय में ऐसी जानकारी दी कि मेरा तो रूह हीं काँप गया मगर उनकी बातो पर फिर भी भरोसा नहीं हुआ | अब सवाल यह था कि बिना साक्ष्य हम अपनी भारतीय रेल की शिकायत करना तो दूर सुनना भी पसंद नहीं करते | तो ऐसे में हम निकल पड़े सबूत जुटाने |
वाकई में सच मानिये यह दृश्य देखकर सिर्फ रूह हीं नहीं कांपा मुझे भुमेटिंग जैसा मन मचल गया | आज भी वह दृश्य जब सामने आता है तो मेरी गति घायल के सामान हो जाती है |
सबसे पहले हम आपको यह विडियो दिखा दे जिसे बहुत हीं कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए मैंने शूट किया | विडियो देखकर आपका भी मन भुमेटिंग जैसा मचल न जाए तो जो कहना ! आप तो विडियो देख रहे है , हमें तो सामना करना पड़ा | सोंचिये मेरा क्या हाल हुआ होगा शूट करते वक्त |
अब इस ट्रेन के विषय में हम आपको थोड़ी जानकारी दे दे - तो यह है अवध एक्सप्रेस जो बरौनी ( बिहार ) से खुलकर बांद्रा ( मुंबई ) के लिए सफ़र करती है | लम्बी रूट की गाड़ी का यह डिब्बा मानो लावारिस जैसा प्रतीत होता है जैसे किसी भी स्टेशन पर इसकी सफाई नदारद हुई | अब तो मै भी इसी बोगी में फंस चूका था और मुझे जाना था वाशरूम | मैंने इसी डिब्बे में तलाश की तो सारे टॉयलेट ऐसे हीं मिले जो आप अभी देख रहे हैं |
कुछ यात्री जो फ्रेश मिजाज के होंगे वो तो इसमें नहीं जायेंगे | जिन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता इसी में अपना जुगाड़ भी लगाने की सोंच रखेंगे | तभी तो धीरे धीरे लोगो की जुगाड़ से ये इतना भर गया | खैर ...... मैंने इंतजार किया और पास के एसी बोगी में जाकर फ्रेश हुआ जहाँ मेरा फ्रेश वाशरूम था |
एक बात और , हम तो यहीं कहेंगे - हमारा अपना भारतीय रेल जिसकी गति धरती पर सबसे तेज , भले हीं नजारा ऐसा हो तो इसका क्या कहना ! ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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