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गुजरात की धरती सूरत के एक रेस्टोरेंट में मीट की जगह परोसा जा रहा है "बीफ" यानि गाय व बछड़े का मांस जो अपराध है |
ये मन संभल जा जरा , क्यूँ जीव हत्या कर धन इकठ्ठा करने में लगा है तू | सभी जानते है - खाली हाथ आये हैं और खाली हाथ हीं जाना है तो फिर इस पाप में हिस्सेदारी क्यूँ , किसके लिए ?
सूरत की पुलिस ने बीफ बेचने वाले रेस्टोरेंट के मालिक सरफराज मोहम्मद वजीर खान को गिरफ्तार कर लिया है और उनपर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और IPC की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया |
पुलिस ने पहले उस मांस को FLS को भेजकर पहले यह पुष्टि करवाई कि यह किस जीव का मांस है ? तो वीफ पाया गया | साक्ष्य व सबूत के आधार पर पुलिस की कदम आगे बढ़ी और उनके रेस्टोरेंट की तलाशी ली गई तो 60 किलो गाय का मांस पाया गया जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया |
मांस की जगह गौ मांस परोसने पर उनकी गिरफ्तारी हुई है | ऐसे देखा जाए तो हर जीव में वहीं दर्द , वहीं आह ! है जो बेजुबान है और ऐसे बेजुबान की हत्या करना इंसानियत को शर्मसार करता है |
जानकारी के आधार पर लालगेट थाना के हेड कांस्टेबल यजेंद्र दादुभई ने कहा कि - उनके पास बीते 11 सितम्बर को एक शिकायत आई थी कि दिल्ली दस्तरखावाँ रेस्टोरेंट में गाय का मांस परोसा जा रहा है जिसके बाद उन्होंने अपनी टीम को लेकर रेस्टोरेंट की तलाशी ली जहाँ मांस के 6 पैकेट पाए गए , प्रति पैकेट का वजन 10 किलो था | ये सभी पैकेट FSL को भेजा गया जहाँ जांच के बाद स्पष्ट हो गया कि इस पैकेट में गाय और बछड़े का मांस रखा गया है |
पुलिस को अब बीफ सप्लाई करने वाले अंसार की तलाश है जिसपर प्रतिबंधित मीट सप्लाई करने का आरोप लगा है |
बीते गुरुवार की देर रात सरफराज मोहम्मद वजीर खान गिरफ्तार कर लिए गए | अब सूरत पुलिस की नजरे चौकन्ना होते हुए ऐसे अपराधी की तलाश में लगी है जो बीफ बेचते है | जानकारी के आधार पर हम आपको बता दे कि गुजरात में गाय और बछड़े की हत्या पर प्रतिबन्ध है और सरकार द्वारा प्रतिबंधित कोई भी कार्य को नजरअंदाज कर धन कमाने वाले का यहीं अंजाम होता है | वहीं आगे की प्रकिया कितना सख्त व कड़ा होगा और इनपर सजा और जुर्माना कितना ठोका जाएगा ? कहना मुश्किल है | बहुत जल्द सभी स्पष्ट होकर सामने होगा , ऐसे लोग अभी भी संभल जाए तो अच्छा है |
इसी धरती पर जन्म लिए हमारे महात्मा गांधी जी को एक बड़े क्रांतिकारी जिनका नाम हम अंकित नहीं करेंगे ने कहा था - आप मांस नहीं खायेंगे तो इतनी बड़ी लड़ाई अंग्रेजो से कैसे लड़ेंगे और भारत की आजादी कैसे संभव है ? दरअसल गाँधी जी जहाँ गए थे वहां उन्होंने खाने में झींगा बनाया था | गाँधी जी सॉरी बोलते हुए अपना रुख बदल दिया | वहीं सामने वाले को यह अपमान लगा और नागवार गुजरा | इसी बात को लेकर दोनों में मन मुटाव हुआ जिससे तनाव भी बढ़ा | गाँधी जी कभी हिंसा को पसंद नहीं किये और ये पूर्णरूप से शाकाहारी थे |
इंसान का शरीर बहुत ही पवित्र माना गया है , क्यूंकि इनमे सोंचने / समझने की क्षमता मौजूद है | परन्तु राक्षसी प्रवृति वाले लोग जीव हत्या कर इसे भोजन बनाकर टूट पड़ते है | शरीर व आत्मा को भक्ति से बिलकुल दूर कर प्रकृति को भी गन्दा कर रहे हैं | मांस तो वहीं खाते है जिसके अन्दर राक्षसी प्रवृति जिन्दा है | स्वयं को रोकिये और अपने शरीर के अन्दर ऐसा भोजन मत जाने दीजिये जो तन को भी गन्दा करे और मन को भी गन्दा करे |
इंसान के लिए तो हमारी धरती माता ने बोझ उठाया है और अन्न / फल दूध से भरे है गोद अपने | खाते रहिये शुद्ध मिठाइयाँ , पकवान , दूध , दही , माखन और पौष्टिक आहार | तंदरुस्त बनिए और लम्बी उम्र सफ़र कीजिये | क्या रखा है जीव हत्या में और उस भोजन में ? जीव हत्या सम पाप नहीं और जीव रक्षक बनने सा कोई पूण्य नहीं | आप भी पूण्य के भागीदार बनिए , पाप के बोझ से मत दबिये , मत लिबिये | इसी बोझ के कारण तो इंसान का जीवन कम होता जा रहा है | पहले के लोग आसानी से शतक पार कर लिया करते थे , आज 50 वर्ष भी पार करना बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा है |
प्रकृति रूठी है इसलिए किसी बीमारी या एक्सीडेंट से लोग मृत्यु की गोद में समा रहे हैं | जरा सोंचिये , अपने मन से पूछिये और आत्मा पर दस्तक दीजिये , क्या जीव हत्या पाप नहीं ? जहाँ बेजुबान की हत्या कर उनके मांस को पकाया और खाया जा रहा है | ईश्वर , प्रकृति और धरती इस नज़ारे को नहीं देख सकती |
100 साल जीने की तमन्ना लिए शुद्ध शाकाहारी भोजन करके तंदुरुस्त रहिये | बचिए और बचाइए आसपास के समाज को |.......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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