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बॉलीवुड के उभरते हुए अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत पर बनी फिल्म "न्याय द जस्टिस" के रिलीज पर उनके पिता केके सिंह की कोशिश नाकाम रही | जल्द हीं फिल्म पर्दें पर देखी जा सकती है |
दिलीप गुलाटी के निर्देशन में बनी फिल्म "न्याय द जस्टिस" के रिलीज पर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने दिल्ली हाई कोर्ट में फिल्म रिलीज पर रोक लगाने के लिए गुहार लगाईं थी , परन्तु वे नाकाम रहे | हाई कोर्ट ने फिल्म के पक्ष में अपनी स्वीकृति की मोहर लगाते हुए फिल्म को रिलीज करने की बात कही है |
जून में इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया था , जिसे देखकर "SSR" के फैंस भड़क गए थे और सोशल मीडिया पर फिल्म को बैन करने की मांग उठी थी | जबकि सुशांत के पिता केके सिंह ने ट्रेलर रिलीज से पहले हीं फिल्म पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी , जिसे हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया |
अब फिल्म के निर्माता राहुल शर्मा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं | उन्होंने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा है कि - यह फिल्म मैंने पैसे कमाने के लिए नहीं बनाई , बल्कि SSR को न्याय दिलवाने के लिए हमारी कोशिश व पेशकश है , जिसमे मैंने कदम बढ़ाया है | सच सामने आये और न्याय मिले | परन्तु सवाल यह है कि - जब जाँच प्रक्रिया हीं अभी पूरी नहीं हुई है तो सच उभरकर कैसे सामने आ सकता है | दूसरी बात कि - जब इस फिल्म का ट्रेलर देखकर SSR के फैंस इतना भड़क सकते है , जिसे सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है तो फिर ! फिल्म के अन्दर कितनी सारी वो बातें होंगी जो उनके फैंस व परिवार को आघात पहुंचाएगा या फिर मलहम लगाएगा , यह कहा नहीं जा सकता |
इस फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है | सभी पात्रो ने सफलता पूर्वक अभिनय निभाने की कोशिश की होगी | जिसमे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के चीफ के रूप में मशहूर अभिनेता व खलनायक शक्ति कपूर को देखा जा सकता है , जो अब खलनायक कम कॉमेडियन ज्यादातर दिखाई पड़ रहे हैं | वहीं उनका व्यक्तित्व एक पिता भाई व दोस्त आदि के किरदार में भी खूब फबता है | उनके अभिनय की दक्षता जिंदगी के बहुत करीब होने का एहसास दिलाते हुए वास्तविकता के पास ले जाते हुए दिखाई पड़ती है , जिसे वह निभा रहे हैं | रिया चक्रवर्ती जो SSR के बहुत करीब रही , उनकी भूमिका में श्रेया शुक्ला दिखाई पड़ेंगी | जुबेर खान सुशांत सिंह राजपूत का किरदार निभा रहे हैं , वहीं सुधा चंद्रन CBI ऑफिसर के रूप में दिखाई पड़ने वाली है | सूचना के आधार पर इतना बताया जा सकता है कि - इस फिल्म में अंकिता लोखंडे , सारा अली खान , SSR के परिवार वालों का हिस्सा व कुछ झलक ऐसी है जो अब तक ऑडियंस के बीच सामने नहीं आया है , देखने को मिलेगा |
सुशांत सिंह राजपूत के पिता का कहना था कि - फिल्म "न्याय द जस्टिस" पर रोक लगा दी जाए | इसलिए कि इस फिल्म से उनके बेटे के छवि धूमिल होती है और वो नहीं चाहते है कि उनके एकलौते मृत बेटे की बदनामी की जाए | क्यूंकि इस फिल्म में क्या दिखलाया जाना है , यह तो किसी को मालूम नहीं | इस फिल्म की कहानी एक सच्चाई पर आधारित कही जा सकती है | निर्माता का कहना है कि - उन्होंने न्याय दिलवाने के लिए फिल्म का सहारा लिया है | यह सभी जानते है कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है | ऐसे में एक पिता के गुहार को न्याय की मंदिर से वंचित कर देना कितना उचित था ? सोंचने पर मजबूर करता है ! इस न्याय पर कोई सवाल न करते हुए इतना तो कहा हीं जा सकता है कि - एक पिता के लिए उनके बेटे का जीवन , जिस बेटे को उन्होंने जन्म दिया उस बेटे के जीवन पर किसी भी कहानी को पटल पर अंकित किया जाए यह उनकी सोंच से अलग है , तो उसपर रोक तो लगनी हीं चाहिए थी |
अब सवाल है कि वगैर स्वीकृति किसी के भी जीवन पर फिल्म बनाकर प्रदर्शित किया जा सकता है , इस बात को एक्ट के द्वारा खंगालना होगा , तभी संविधान में उनके पिता के न्याय और अन्याय की दर्ज बातें अंकित की जा सकती है | ये तो अभी उनके पिता के सहनशीलता व इस वृद्धावस्था में एक परिक्षण है , जिसे उन्हें सहना पड़ेगा | क्यूंकि निर्माता ने भले हीं न्याय दिलवाने की बातें कह दी | मगर क्या न्याय दिलवाना उनके हाथ में है ? वह भी एक पिता के दुखती हुई दिलों की धड़कन पर तलवार चलाकर |
इससे बेहतर था कि एक्टर के जिंदगी पर फिल्म बनाने से पूर्व उनके पिता की सहमति लेना जरूरी था जिसपर उनके पिता का अधिकार है | दूसरी बात कि - अगर फिल्म पैसे कमाने के लिए नहीं बनाइ गई है , तो फिर इस फिल्म से हुई आमदनी की राशि का होगा क्या ?
अभिनेता के पिता की तरफ से उनके अधिवक्ता विकास सिंह ने इस फिल्म को बड़े पर्दें पर न लाने की लड़ाई लड़ी | हाई कोर्ट ने कहा कि - इस फिल्म को कोई राहत नहीं दी गई है , फिल्म रिलीज के लिए तैयार है |
अब सवाल है कि - जज साहब ने पूरी फिल्म देखी होगी या फिर किस आधार पर फिल्म रिलीज की स्वीकृति दी या फिर किस एक्ट में इसका स्पष्ट प्रवधान दिया गया है , इस बात का विस्तार तो अधिवक्ता विकास सिंह हीं दे सकते है | क्यूंकि इस विद्या के पुजारी हीं मंदिर के एक्ट के विस्तार में माहिर होते हैं | न्यायलय को धरती का एक मंदिर माना गया है , जहाँ सभी बराबर होते हैं | ऐसे में किस एक्ट केआधार पर फिल्म रिलीज की स्वीकृति मिली है यह जानना जरुरी है | अभिनेता के परिवार व फैंस यह जानने को बेताब होंगे कि इसकी स्पष्टता उन तक पहुंचे | हो सकता है आनेवाले कल में उन्हें इस सवाल का जवाब मिल सके |
14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत इस दुनियां से दूर सफ़र कर गए , अब उनकी सिर्फ यादें जीवित है | इस धरती पर से उनकी जुदाई के कारण का पता अभी अधुरा सा है | NCB व CBI की जाँच अभी जारी है और यह दोनों हीं संस्थान पूरी ईमानदारी पूर्वक इसे अंजाम तक पहुंचाने में लगी है | उनके परिवार , फैंस व देश को इंतज़ार है ! तो कुछ समय और उन्हें इंतज़ार करना पड़ेगा | इसलिए कि इंतज़ार भी सफलता का सबूत होता है |
दिल्ली हाई कोर्ट में अभिनेता के पिता की याचिका द्वारा गुहार लगाईं गई याचना भले हीं अधूरी रह गई हो | परन्तु देश उनके बेटे को अपने दिल से और दृष्टि से इस फिल्म को देखकर न्याय जरुर देगा | लेखक ने अपना कितना कलम चलाया , निर्देशक और कैमरामैन की सुझबुझ ने सुशांत सिंह राजपूत की जीवन को कितना जीया या कितना करीब से देखा है , यह तो फिल्म देखकर हीं पता लगाया जा सकता है | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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