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पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा का एलान किया जिसमे - रवि कपूर , अमित शुक्ला , अजय कुमार व बलवीर मल्लिक दोषी करार दिए गए |
कोर्ट ने इन चारो पर जुर्माना भी लगाया है | इनसभी को "मकोका" प्रावधानों के तहत सजा सुनाई गई है |
सौम्या विश्वनाथन दिल्ली की एक महिला टीवी पत्रकार थी , उनकी ह्त्या 30 सितम्बर 2008 को दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर उस वक्त हुई थी जब वह नाईट शिफ्ट करके दफ्तर से अपने घर लौट रही थी | कार में हीं गोली मारकर उनकी ह्त्या कर दी गई | पुलिस को सौम्या का मृत शरीर उनके हीं कार में मिला था |
15 साल बाद आया कोर्ट का फैसला जिसमे अपराधी को सजा मिली है | चोरी का सामान लेनेवाला पांचवा दोषी अजय सेठी भी सजा का हकदार बना |
सौम्या विश्वनाथन की माँ ने इस फैसले पर कहा - हमने अपनी बेटो को खोया है परन्तु यह फैसला अन्य लोगो के लिए एक निवारक का काम करेगा | उन्होंने दोषियों के लिए आजीवन कारावास की मांग की थी | इनके माता - पिता दोनों ने कोर्ट के इस फैसले पर कहा कि न्याय हुआ है |
इस न्याय के लिए परिवार को 15 साल इंतजार करना पड़ा तब जब पुलिस ने इनसभी अपराधी पर कठोर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम लगाय था | पुलिस को विश्वनाथन हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा | पुलिस केस में कभी कभी ऐसा मामला देखने को मिला है जहाँ आँखों के सामने अपराधी खड़े हो और लोग ढूंढते रह जाते हैं अपराधी को | एक कहावत है - बच्चा बगल में ढिंढोरा नगर में |
पुलिस को गुत्थी सुलझाने में बीपीओ में काम करनेवाली जिगिशा घोष की ह्त्या जिसका अपरहण 18 मार्च 2009 को हुआ था उससे सुलझा | ऑफिस की कैब ने उन्हें उनके घर करीब सुबह चार बजे उतारा | वो अपने घर जा रही थी तभी कुछ लोगो ने उनका अपरहण कर लिया और तीन दिन के बाद 21 मार्च को सूरजकुंड में जिगिशा की लाश मिली थी |
जिगिशा मर्डर में शामिल इन्हीं 5 लोगो का नाम सामने आया - रवि कपूर , अमित शुक्ला , अजय कुमार , बलजीत मल्लिक और अजय सेठी | इन पांचो ने जिगिशा का अपरहण करने के बाद क़त्ल किया था और जांच से हीं पता चला कि इन चारो ने हीं मिलकर सौम्या विश्वनाथन की हत्या की है |
फ़रवरी 2010 में इस केस का आरम्भ हुआ , 2009 से ये सभी जेल में है | 2008 में उस वक्त दिल्ली दहल गया था जब इन दोनों की हत्या का मामला सामने आया | सौम्या "इंडिया टुडे" से जुड़ी पत्रकार थी | इनकी ह्त्या दिल्ली के बसंतकुंज इलाके में हुई थी , उस वक्त इनकी उम्र 25 साल थी | उस वक्त इंडिया टुडे में टेलीविजन जिसे उस वक्त हेड लाइन टुडे कहा जाता था में काम करती थी इसलिए मशहूर थी | इस घटना पर सभी की दृष्टि गई और लोग घायल हुए |
CCTV कैमरे की फूटेज से पता चला कि एक कार सौम्या का पीछा कर रही थी | सौम्या को इसकी भनक तक नहीं लगी कि मौत उसके पीछे से दौड़ती हुई आ रही है और देखते हीं देखते सांसे समाप्त हो गई |
इस केस की जांच के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम को बुलाया गया था | वारदात की जगह पर तलाशी ली गई ताकि पुख्ता सबूत जुटाए जा सके | सबूत के बावजूद अपराधी का चेहरा सामने नहीं था |
जब 2009 में जिगिशा की हत्या हुई जो कॉल सेंटर की एक्जीक्यूटिव थी तो इस केस में उपरोक्त अंकित नाम वाले अपराधी को गिरफ्तार किया गया था जिसमे पहले 2 अपराधी हीं पुलिस की गिरफ्त में आई - रवि कपूर और अमित शुक्ला | इन दोनों ने पूछताछ के दौरान सौम्या विश्वनाथन की ह्त्या भी कबूल कर लिया जिसके बाद पुलिस ने अजय सेठी , बलजीत मल्लिक के खिलाफ चार्जशीट दायर की जिसकी सुनवाई साकेत कोर्ट में 16 नवम्बर 2010 को हुई और 6 साल बाद 19 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने अपनी सुनवाई पूरी कर अपना फैसला व निर्णय अगली सुनवाई के लिए सुरक्षित रख लिया और यह फैसला सामने नहीं आया |
किसी न किसी क़ानूनी करवाई को लेकर यह टलता रहा जिससे परिवार और देशवालो को वर्षो वर्ष इस फैसले का इंतजार करना पड़ा | आखिरकार किसी भी सुनवाई में इतना वक्त क्यूँ लगाया जाता है ? इस सवाल का जवाब कौन मांगेगा और किससे मांगेगा ? आखिर क्यूँ इतने साल वह फैसला फाइल में बंद पड़ा रहा ? क्यूँ नहीं बाहर आया ? लोग जानना चाहते हैं ! जो फैसला और निर्णय हो चूका था तो फिर आखिर कौन सा ऐसा कारण और उलझन सामने आया जिसे सुनने में लोगो की आँखे पथरा गई और यह पहला मामला नहीं और न हीं गिनती करनेवाले आखिरी मामले में से एक है |
आज भारत में न जाने ऐसे कितने सारे फैसले फाइल में दबे पड़े धुल खा रहे हैं और इन्तजार कर रहे हैं बाहर निकलने का मगर किसे फुर्सत है उस फाइल से धुल हटाने का !
यह दर्दभरी दास्ताँ हम आपको बता दे - सौम्या विश्वनाथन केरल की रहने वाली थी और विश्वनाथन और माधवी की एकलौती संतान थी , इनकी शादी की चर्चा चल रही थी | 25 वर्ष की उम्र में एकलौती बेटी की हत्या हो जाना आदमी को कितना घायल व विचलित करता है समझा जा सकता है ! पुलिस ने मोकाका न लगाया होता तो यह फैसला अभी तक चलता हीं रहता |
अगले फीचर में हम आपको बताएँगे "मोकाका" क्या है और ये कब शुरू हुआ ? इससे अपराधी और केस करनेवाले के बीच का जो पाट है उसपर कितना असर पड़ता है ? खैर ......... आप अपनी सोंच को हमेशा सुमार्ग की तरफ ले जाइए | जिंदगी में ऐसे दोस्तों की क्या जरुरत जो ह्त्या के बल पर अपना व्यापार खड़ा करता हो , व्यापार सुखद चीजो का कीजिये जिससे समाज और देश का हीत जुड़ा हो | ..........( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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