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यदि आपको भारत में रहना है तो "राधे राधे" कहना होगा | नहीं तो जैसे बंटवारे के दौरान लोग पाकिस्तान गए थे , आप भी जा सकते है , आपकी यहाँ जरुरत नहीं |यह बाते उत्तरप्रदेश के भाजपा उम्मीदवार मयंकेश्वर शरण सिंह का है , जिसपर चुनाव आयोग ने उन्हें कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए एक नोटिस भेजा है |
चुनाव आयोग ने इनके खिलाफ भारतीय दंड सहिंता और जनप्रतिनिधित्व कानून से सम्बंधित धाराओं को लगाते हुए 24 घंटे का समय दिया है | नेताजी भड़काऊ भाषण का जवाब दे | उन्होंने भारत के नियम और कानून का उलंघन किया है | इन्हें अपने भड़काऊ भाषण देने व संशोधन के लिए 24 घंटे का समय मिला | यह नोटिस उन्हें रविवार को जारी किया गया |
चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि - निर्धारित समय के भीतर अगर ये अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देते है तो इस स्थिति में कोई भी सन्दर्भ दिए बिना आयोग द्वारा उचित करवाई का निर्णय लिया जाएगा |
हम यहाँ कहना चाहेंगे - मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना | हमारे भारत में चार मजहब के लोग है और चारो के लिए बराबर मान / सम्मान दिया जाता रहा है | बात सिर्फ इतनी कि वह भारत के लिए वफादारी करते रहे , क्यूंकि भारत हमारा घर है | ऐसे में किसी नेता के द्वारा हिन्दू धर्म के नारे लगाने पर जोड़ नहीं दिया जाना चाहिए | भारत में यह स्वतंत्रता है कि भारतवासी अपने मन से ऊपर वाले को किसी भी रूप में याद करे और नेता जी को यह बात समझना चाहिए कि - यहाँ बहुत सारे ऐसे हिन्दू है जो मस्जिद , गुरुद्वारा और चर्च में पूजा / अर्चना के लिए जाते है | वहीं बहुत सारे मुस्लिम / सिख और पारसी ऐसे है जो हिन्दू धर्म में पूर्ण रूप से आस्था कर गणपति उत्सव या अन्य त्यौहार बड़े हीं हर्षोल्लास से मनाते है |
तो यहाँ भारत की एकता को बांटने या पाकिस्तान जाने की बात कहाँ से आ गई ? चुनाव आयोग ने ऐसा कदम उठाकर सराहनीय काम किया है , साथ हीं किसी भी धर्म पर उंगली न उठाई जाए इसके लिए एक बड़ी सिख और सबक भी दिया है |
अब देखना यह है कि नेताजी अपना बचाव किस तरह करते है | यहाँ एक बात और कहना चाहेंगे कि - ये नेता भारतीय जनता पार्टी के सदस्य होकर भी अपने पार्टी के छवि को धूमिल करते हुए थोड़ा भी नहीं सोंचा कि - ऐसा भाषण तो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी स्वीकार नहीं करेंगे | क्यूंकि वे चारो मजहबो को एक समान देखते है | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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