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आज महावीर जयंती है | दुल्हन की तरह सज गया बिहार की पावन धरती वैशाली , जहाँ 3 दिवसीय महोत्सव कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया है |
इस महोत्सव का उद्घाटन उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद करेंगे और अध्यक्षता वैशाली जिला प्रभारी मंत्री जयंत राज करेंगे | इस पावन अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में अनेक मंत्रीगण उपस्थित होंगे , वहीं रंगारंग कार्यक्रम में कुमार सानु अपनी आवाज से लोगो को मुग्ध करेंगे साथ हीं इस अवसर पर महावीर के उपदेश की गाथा दोहराई जायेगी | आज दुनियां भर में महावीर को मानने वाले इनकी जयंती पर प्रभात फेरी निकालते है | स्वर्ण और रजत कलशो से महावीर स्वामी का महाभिषेक किया जाता है और शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है |
जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर की जयंती चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है |इनका जन्म बिहार की पावन धरती वैशाली के कुंडल ग्राम में 599 ई० पूर्व हुआ था | इन्होने दुनियां को अहिंसा , जीव पर दया की भावना , मानव कल्याण के कई उपदेश दिए थे |
सत्य की तरफ बढ़ना , सत्य के लिए जीना हीं जीवन के सफल दौर की पूंजी है | महावीर की नीति है कि - सुखी और शांति भरा जीवन जीने के लिए जरुरत के अनुसार हीं सामान या धन को इकठ्ठा कीजिये , तभी सबो को सामान सुख मिलेगा | किसी को भी अनैतिक तरीका अपनाकर हराना सच्चाई की प्रवृति नहीं | अपनी आत्मा को जानिए और सच्चे सुख व मार्ग को खोजिये |
मगर लोग भागते है सड़को पर , दौड़ते है बेलगाम होकर अपने सपनो को पूरा करने के लिए | उन्हें कहीं भी शांति नहीं मिलती , परन्तु शांति क्यूँ नहीं मिलती ? इसे वे सोंचते नहीं | अपने मन की शांति को ढूँढने में वे चाँद पर जमीन खरीद रहे है , कीमती गाड़ियों में घूम रहे है , आलिशान बंगले को खरीद रहे है , मगर आत्मा में हीं परमात्मा को ढूंढा जा सकता है जो नहीं करते |
इन्होने जन्म के बाद से हीं वैभव सुख शांति का त्याग कर दिया था , क्यूंकि इन्हें ऐसी जिंदगी से कोई मोह नहीं था जहाँ समानता न हो | इसलिए राज वैभव का त्यागकर सन्यास ले लिया और आत्म कल्याण के पथ पर चल पड़े | 12 वर्षो की कठोर तपस्या के बाद उन्हें ज्ञान प्राप्त हुई , जहाँ इनका उपदेश नूर बिखेरता हुआ दुनियां को सही राह की तरफ ले जाने के लिए पुकारता रहा और आज भी पुकार रहा है |
महावीर ने अहिंसा की इस कदर सूक्ष्म व्याख्या की है जो मनुष्य के लिए सोंच पाना भी दुर्लभ है | सिर्फ मनुष्य से मनुष्य की मोहब्बत नहीं बताई बल्कि पशु पक्षी , कीड़े मकोड़े , वनस्पति , वायु , अग्नि , मिट्टी , पानी व समय आदि का मोल बताते हुए इनके प्रति भी प्रेम भाव को दर्शाते हुए अहिंसक विचार रखने का व इनपर दयावान बनने का उपदेश दिया है |
इन्हें मानने व जैन धर्म वालो के लिए आज का दिन बड़ा हीं शुभ है | क्षमा पर इन्होने ज्यादा जोर दिया है | महावीर की सोंच से देखा जाए तो - अहिंसा , तप , सयंम हीं सबसे बड़ा धर्म है | जिनके मन में सदैव त्याग , प्रेम है वहीं सही मायने में धर्मात्मा है | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या, एम० नूपुर की कलम से )
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