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लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के वारदात के बीच किसानों के ऊपर मंत्री के बेटे का गाड़ी चला देना एक आन्दोलन का रूप लिया , जिसके बाद शुक्रवार को उनके बेटे आशीष मिश्रा को पुलिस ने पूछताछ के लिए उपस्थित होने की बात कही थी , परन्तु वे उपस्थित नहीं हुए | आज फिर पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए 11 बजे बुलाया है |
सूचना के आधार पर कहा जा रहा है कि - आशीष मिश्रा नेपाल चले गए | परन्तु उनके पिता व मंत्री अजय मिश्रा ने कहा है कि - उनके बेटे की तबीयत ठीक नहीं है , इसलिए वह पेश नहीं हुए हैं | आशीष कहीं नहीं भागा है , वह घर पर हीं है | आशीष मिश्रा पर केस दर्ज किया जा चूका है , लेकिन पेशी नहीं होने के कारण मामला उलझता हुआ जान पड़ रहा है | इनके द्वारा जितने भी लोगों की हत्या हुई , उसका नतीजा और न्याय कब तक मिलेगा कुछ कहा नहीं जा सकता ! क्यूंकि इसकी अगली तारीख 20 अक्टूबर निर्धारित कर दी गई है |
सुप्रीमकोर्ट ने इस केस की सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि - हत्या के मामले में पुलिस आरोपी के खिलाफ क्यूँ नहीं करवाई की ? आरोपी के लिए अलग व्यवहार क्यूँ ?
केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर भी राजनीति में आने से पूर्व मर्डर और तस्करी के भी आरोप लग चुके है | मंत्री , उत्तरप्रदेश के लखीमपुर जिला के बनवीरपुर गाँव के रहने वाले है और यह क्षेत्र नेपाल से बिल्कुल सटा हुआ है | गाँव की यह सड़क सीधा तिकुनिया के तरफ हीं जाता है , यहीं पर अजय मिश्रा के बेटे ने अपनी गाड़ी से लोगों को कुचलते हुए आगे बढ़े , जिसमे 8 लोगों की मौत हो गई , वहीं एक पत्रकार की भी मरने की खबर है |
आशीष मिश्रा के ऊपर हत्या का आरोप लगा और पुलिस की नजर से वे अभी दूर थे | जिस गाँव में ये रहते है , उस गाँव की आबादी 5 हजार है | आरंभिक दौर से हीं गाँव में इनका काफी दबदबा रहा है , क्यूंकि इनके दादा जी भी काफी समय से गाँव के प्रधान रहे | इसी रुतबे के कारण कोई भी व्यक्ति उनके खिलाफ कुछ बोल नहीं सकता , सभी लोग उनका सम्मान करते है | किसी ने अगर बातों की गहराई में जाने की कोशिश की है , तो उन्हें वहां नाकाम हीं होना पड़ा |उनके खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं , कारण चाहे जो हो !
इनपर जो भी मुक़दमा दर्ज था , वे 1996 में बंद कर दिया गया | 90 के दसक में राजनीति में सक्रीय कदम रखने वाले मंत्री अजय मिश्रा की उम्र 61 वर्ष है और इन्होने कानपूर से Bsc किया है साथ हीं लॉ की डिग्री भी प्राप्त किया है | इनका खेल के प्रति भी गहरी आस्था रही और इन्होने यूनिवर्सिटी स्तर पर कई मुकाबले भी जीते | पॉवर लिफ्टिंग और क्रिकेट का इन्हें काफी शौक रहा है | इनका घर का नाम टेनी है , यह नाम इनके पिता ने प्यार से रखा था , जिसे उन्होंने अपने नाम के साथ आज भी बरकरार रखा है |
आश्चर्य इस बात की है कि - इतने पढ़े - लिखे होने के बावजूद भी इनपर ऐसा आरोप क्यूँ ? मामला बातों से भी सुलझाया जा सकता था | परन्तु जब 2000 में ये भारतीय जनता पार्टी से खड़े हुए , तो उस वक्त एक व्यक्ति और भी स्थानीय राजनीति में कदम रखा था , जिनका नाम था प्रभात गुप्ता | ये भी लखनऊ में छात्र राजनीति में कदम बढ़ा रहे थे और समाजवादी युवा जन से जुड़े थे |
8 जुलाई को पंचायत चुनाव को लेकर दोनों का जब आमना - सामना हुआ , तो विवाद घिरता चला गया और घर के बाहर प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई | इनके भाई राजीव गुप्ता ने विस्तारपूर्वक मीडिया को बताया , जिसका कुछ हीं अंश हम आपके बीच प्रस्तुत कर रहे हैं |
गुप्ता परिवार ने अपने बेटे के मरने के बाद , अजय मिश्रा और उनके तीन सहयोगियों पर मुक़दमा दर्ज किया था | प्रभात गुप्ता के कनपटी पर गोली दागी गई , दूसरी गोली सीने पर चलाई गई और तीसरी गोली पेट पर चली | परंतु साक्ष्य / सबूत के बावजूद पुलिस ने किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया | पिछले पन्ने को जब पलटा जा रहा है , तो हकीकत उभरकर सामने आई , जो चौंका देने वाला था |
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने UP के मुख्य सचिव योगेन्द्र नारायण को पत्र लिखकर करवाई करने की बाते कही थी | परन्तु प्रधानमंत्री का पत्र भी बेअसर हुआ | मामला आगे बढ़ता चला गया , आखिरकार गुप्ता परिवार की याचिका पर सुनवाई हुई और अजय मिश्रा आत्मसमर्पण कर स्वयं की अस्वस्थ होने की हवाला देते हुए जिला अस्पताल में भर्ती हुए | अगले हीं दिन उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गया , जिसे गुप्ता परिवार देखकर हैरान हुए | मामला 2004 में ख़त्म हुआ और उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया | दोषमुक्त करने वाले जज दूसरे दिन हीं रिटायर भी हुए |
सवाल यह नहीं कि अजय मिश्रा बीजेपी के मंत्री है , सवाल ये है कि - पुरे भारत का अगर आंकड़ा देखा जाए , तो कितने मंत्री ऐसे है जिनपर गुनाह का इल्जाम नहीं है ! इसलिए बीजेपी को बदनाम करना शायद उचित न होगा ! मुद्दा पार्टी का नहीं , मुद्दा कानून के उलंघन का है , खैर ......|
अभी आशीष मिश्रा क्राइम ब्रांच के सामने पेश हुए है | वे निर्धारित समय 11 बजे से पहले पहुँच चुके थे | SP विजय कुमार ढुल वहां मौजूद है |
स्थानीय लोग दावा कर रहे है कि - जिस थार जीप ने किसानों को कुचला था , उसके पीछे फोर्च्यूनर में आशीष मिश्रा बैठे थे | लखीमपुर मामले में सियासत जारी है और सुप्रीमकोर्ट ने UP सरकार को भी फटकार लगाईं है | मामले के बाद प्रियंका गाँधी , राहुल गाँधी और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव के बाद अब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की लखीमपुर में डेरा ज़माने की बात सामने आ रही है | ये लोग शुक्रवार से हीं मौन व्रत रखकर अनशन पर बैठे है |
जिस पत्रकार की मरने की खबर सामने आई , उनके यहाँ भी ये सभी पहुंचे और अब मामला है कि - जबतक मंत्री का आरोपी बेटा गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता तबतक मौन व्रत और भूख हड़ताल जारी रहेगा | इस घटना का असर इस कदर बढ़ा कि - पहली बार इन्टरनेट सेवा बंद कर दी गई थी और अभी 8 अक्टूबर को फिर से लखीमपुर में इन्टरनेट सेवा को बंद कर दिया गया |
मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी की मांग बढ़ती
जा रही है , जिससे की आशीष मिश्रा की मुश्किलें भी ठहरने का नाम नहीं ले
रहा | आज पूछताछ के बाद देखना है कि - इन्हें उस मामले से अलग कर दिया जाता
है या फिर इनकी गिरफ्तारी के लिए कदम आगे बढ़ाया जायेगा | मामला अभी क्राइम
ब्रांच के हाथ में है , इसलिए कि आज क्राइम ब्रांच के सवालो के बीच आशीष
मिश्रा क्या जवाब दे पाते हैं ? नतीजा इसपर आधारित होगा और महत्पूर्ण बात
यह है कि - क्या आशीष मिश्रा की गाड़ी से वे लोग कुचले गए या फिर उनके साथ
जा रही गाड़ी से , इस नतीजा पर आरोप तय होगा | .... ( न्यूज़ / फीचर :-
भव्याश्री डेस्क )
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