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करोड़ों दिलों की धड़कन बॉलीवुड अभिनेता व पद्मभूषण सम्मानित दिलीप कुमार की आज सुबह मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में मृत्यु हो गई , वे 98 वर्ष के थे |
अपने प्रेमी व पति दिलीप कुमार से बेइंताह प्रेम करने वाली उनकी पत्नी अभिनेत्री सायरा बानो की स्थिति , बहुत हीं गमगीन व नाजुक बनी हुई है | उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा की उनका साथ ऐसे छुट जाएगा , जैसे आसमान में लहराते हुए पतंगों का डोर से अलग हो जाना | आज दो हंसों का जोड़ा बिछड़ गया |
जब - जब उनकी तबियत बिगड़ी , सायरा बानो की मोहब्बत ने यमराज से लड़कर अपनी पति को वापस पाया है | मगर ये तो श्रृष्टि का नियम है , जो आया है , उसे तो जाना हीं पड़ता है | यहाँ किसी का वश नहीं चलता | सायरा बानो व उनके फैंस को अपने मन को समझाना पड़ेगा और ये दावे के साथ कहा जा सकता है कि - इतनी लम्बी उम्र तक , अगर वे सफ़र कर सके हैं तो वो सिर्फ सायरा बानो के मोहब्बत के दम पर | क्यूंकि उनकी मोहब्बत में हीं वह जादू है , जिससे वह हर बार सावित्री की तरह हीं यमराज से लड़कर अपने पति को वापस पाया | मगर इस बार यमराज ने सायरा बानो को धोखा दे दिया और दिलीप कुमार के प्राण पखेरू उड़ गए |
जब - जब दिलीप कुमार बीमार पड़े , हर बार दूसरी तरफ ईश्वर - अल्लाह के सामने लाखों करोड़ों अंजुरी एक साथ दुआ के लिए उठी | आज वह अंजुरी खाली रह गया | सायरा बानो अपने साहेब के मृत शरीर को लेकर , अपनी आँखों से छलकती हुई आंसूओं के साथ खाली हाथ घर पहुँचने का मर्म , शायद कभी नहीं भुला पायेंगी | यहीं पर इंसान की जीत है यहीं पर हार |
इन दोनों की प्रेम कहानी एक मिशाल के तौर पर उजागर है | आज तक एक को चुभन हो तो दूसरे के दिलों पर दर्द महसूस होता रहा है | परन्तु आज किस्मत का क्या कहिये कि सिर्फ दर्द रह गया , जो सदैव चुभन बनकर टीसता रह जाएगा सायरा बानो के दिल व मन पर | आज उनका पूरा जहान हीं लूट गया | दिलीप कुमार की हर सांसे सायरा बानो के लिए , उनकी खुशियों की चाबी थी , वह चाबी आज समुन्द्र की हिलोरों के साथ बहती हुई बहुत दूर निकल गई | आज बचा रह गया सिर्फ वो यादें ,जिनको समेटकर अब तमाम उम्र जीना पड़ेगा | यहीं जीवन का रीत - प्रीत , छाँव और धुप है |
दिलीप कुमार ने ढेर सारे फिल्मों में काम कर , हर फिल्म में अपनी अदाओं का एक अलग हीं छाप छोड़ा | इनकी अदाओं पर मरने वाले बहुत सारे लोगों में फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेतागण भी है , जिन्होंने इन्हें अपना प्रेरणा माना है | दिलीप कुमार की फिल्मों में गाई यह गीत जो गंगा - जमुना का है "नैन लड़ जइयो तो मनमा मा कसक होइबे करी , प्रेम का छुटिहें पटाखा तो धमक होइबे करी" काफी सुर्खियाँ बटोरी और यह गीत ने न जाने कितनों को दीवाना बनाया - वह ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी , सभी दीवाना बने | क्यूंकि इस गीत में स्वाभाविकता कूट - कूट कर भरी है |
वैसे भी हर फिल्मों में इनका अभिनय ,आसमान को छूता रहा | जिससे बड़े - बड़े स्टार इन्हें अपना आदर्श मानते रहे और यहीं कारण है कि आज तक उनका नाम हर जुबान पर चढा रहा और लोगों के मन पर इनकी फ़िल्में छाई रही |
मगर अफ़सोस कि आज वे सभी को छोड़कर इस दुनियां को अलविदा कह दिया | मगर देखा जाए तो , वे आज भी जीवित है , अपने फिल्मों के जरिये और यह फिल्म एक इतिहास है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता |
दिलीप कुमार व सायरा बानो की जिंदगी , जो मोहब्बत के समुन्द्र में सनी हुई थी , जिसे सिर्फ उलफ़त करने वाले हीं समझ सकते है | जब - जब दिलीप कुमार बीमार पड़े , तो शरीर से बीमार पड़े | मगर सायरा बानो हर बार मन से बीमार पड़ती चली गई | बेपनाह मोहब्बत करने वाली सायरा बानो की मोहब्बत को जुदा होते देख , करोड़ों लोगों के दिलों को आज छलनी कर गया | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर )
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