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नवादा में दहेज़ के लिए एक और बेटी जलाई गई और ससुराल वालो ने इल्जाम कुकर फटने पर लगा दिया |
आज शनिवार को जलन की तड़प से तड़पती हुई कोमल ने इलाज के दौरान दुनियां को अलविदा कह दिया | ससुराल वालो ने कोमल को जलाने के बाद पावापुरी अस्पताल में भर्ती कराया था , जहाँ इलाज के दैरान उसकी मौत हो गई |
यह घटना नवादा जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के महारथ काशीचक गाँव का है , जहाँ बीते शुक्रवार को ससुराल वालो ने कोमल पर अत्याचार की सीमा को लांघते हुए मुंह में रुमाल ठूंसकर हाथ - पाँव रस्सी से बाँधा और बहु को जिन्दा जला दिया |
सूचना के आधार पर - मुंह में रुमाल ठुंसे जाने से कोमल अन्दर हीं अन्दर घुटती हुई चीख भी न सकी और जिन्दा जलती रही , वहीं ससुराल वाले आँखे फाड़कर देखते रहे | शातिर दिमाग वाले सुसराल के सदस्य ने कोमल के मायके में भाई को जानकारी दी कि -तुम्हारी बहन कुकर फटने से जल गई है , इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने ले जा रहे है |
फिलहाल कोमल के ससुराल वाले फरार है | पुलिस कोमल के शव को बिहार शरीफ अस्पताल में भेज दिया है और तहकीकात जारी है |
इस परिवार को क्या सजा मिलती है ? और कोमल कुमारी को कब और किस तरह का इन्साफ मिलता है ? यह आने वाला कल पर निर्भर करेगा |
कोमल लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र के अरमा बंसिपुर की रहने वाली थी |
कोमल के भाई ने दो ननद , सास और पति पर दहेज़ ह्त्या के लिए जलाकर मार डालने का आरोप लगाया है और बहन के ससुर पर भी मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है | कोमल के ससुर समस्तीपुर में दरोगा के पद पर कार्यरत है और ससुराल वाले अपने पिता , पति के पुलिस में होने का धौंस दिखाकर दजेह का डिमांड किया करते थे |
कोमल का विवाह 1 मई 2019 को कृष्णा कुमार से की गई थी | दहेज़ के साथ साथ जरुरत के सामान भी दिए गए , बावजूद ये लोग बार बार कोमल के परिवार वाले से कुछ न कुछ डिमांड करते रहे | क्यूंकि दरोगा पिता का बेटा कुछ भी कर सकता है , मांग सकता है ! इसबार तो दहेज़ माँगने का सीमा पार हुआ और इन्होने स्कॉर्पियो का डिमांड कर दिया |
बेटी के परिवार वाले कहाँ से स्कॉर्पियो दे पाते ! इसलिए अपना डिमांड पूरा न होते देख ससुराल वालो ने कोमल को जिन्दा जला दिया |
कोमल का एक साल का बेटा भी है जिसे लेकर ससुराल वाले अभी फरार है | पुलिस अपनी तहकीकात कर रही है , परन्तु लोगो के मौखिक ब्यान और इस घटना पर जो प्रतिक्रियाएं दी है , वह ऐसा है कि - एक दरोगा जो अभी पद पर विराजमान है यह अपने घर के बचाव के लिए कितनी भी दूर जा सकते है और कुछ भी मैनेज करने से चुकेंगे नहीं | साथ हीं लड़की वाले को कहाँ तक प्रताड़ना झेलना पड़ेगा ? यह भी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता |
यह केस लम्बा चलने वाला है जिसमे सच को झूठ और झूठ को सच बनाने में कोई कसर शायद बाकी न रहे | क्यूंकि भारत का कानून हीं कुछ ऐसा है कि निर्दोष को सजा न दी जाए और दोष ढूंढने में सालो साल यूँ हीं निकलता चला जाता है और कोमल जैसी बेटी की आत्मा न्याय के इन्तजार में बेकल / बेहाल होकर भटकती रह जाती है |
आखिर कब तक बेटियां दहेज़ की बलि चढ़ती रहेगी ? ससुराल वालो से ज्यादा दोषी बेटी के परिवार वाले होते है जो दहेज़ दे देकर बेटे वालो का शौक बढ़ाते चले जाते है | पहली बार हीं जब कोमल के यहाँ से डिमांड आया तो सचेत हो जाना चाहिए था | आज परिवार वाले दिमाग से काम लेते तो बेटी की जान यूँ हीं नहीं चली जाती | मगर कोमल जैसी बेटी के परिवार वाले बेटी की जान की चिंता न करते हुए लोग क्या कहेंगे ? पर ज्यादा ध्यान देते है और समझ नहीं पाते कि एक दिन उन्हें अपनी बेटी , बहन से हाथ धोना पड़ जाएगा |
यह
कड़वा सच है जो पच पाना बड़ा हीं मुश्किल है - बेटियों को आजतक इन्साफ नहीं
मिला | बेटी को तो कठपुतली बनाकर ऐसे लोग अधिकार छिनकर कुएं में डूबने के
लिए डाल देते है | क्यूँ नहीं दिया जाता है उनकी हक़ की राशि उनके बैंक
अकाउंट में जिससे वह अपनी मन मर्जी से जी सके | गाय की तरह एक खूंटे से
निकालकर दूसरे खूंटे में बाँधने का जुर्म कर बेटी को जल जाने पर मजबूर
करते है ऐसे हीं परिवार वाले | यह कहना शायद गलत न होगा - जिन्दा जलने में
सिर्फ कोमल को दर्द हुआ , न बेटी वाले को , न ससुराल वाले को | ........ (
न्यूज़ / फीचर :- एम० नूपुर की कलम से )
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