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यूँ तो कहा जाता है कि ईश्वर के इजाजत के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता | ऐसे में 25 अप्रैल को केरल में , एक ऐसा विवाह संपन्न हुआ जिसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता है | या फिर करने वाले ने सोंचा भी नहीं होगा की हमें ऐसे दौर से भी गुजरना होगा | मगर सौ फीसदी सच है , समय से पहले और भाग्य से ज्यादा , न किसी को मिला है न किसी को मिलेगा | लोग बेवजह माप - तौल करते हैं | इस धरती पर जो भी कर्म किया जाता है , शायद ! उस कर्म का आदेश ऊपर वाले के द्वारा हीं संचालित होता है |
अगर देखा जाए तो , रामायण ग्रन्थ की बात ले लीजिये , भगवान श्री रामचन्द्र जी को 14 वर्ष का वनवास क्या यूँ हीं मिल गया था | लोग भले हीं माँ केकयी को दोषी ठहरा दे , मगर यह सत्य नहीं है | वो निर्देश तो ऊपर से आया था , तभी दासी कुबरी के जीभा में माँ सरस्वती निवास कर ली | यह सत्य सभी लोग भली - भांति जानते हैं फिर भी ! आज के युग में लोग कहते है कि माँ केकयी के कारण हीं भगवान श्री राम को बनवास भोगना पड़ा |
किसी भी शुभ या अशुभ कार्य में कारण तो हर हाल में लगता है | कारण के बिना कुछ भी नहीं होता इस धरती पर |
केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित एक मेडिकल कॉलेज में शादी से पूर्व भारतीय संस्कृति के सात फेरे व वचनों की गहराई भांपी गई | जब एक लड़की दुल्हन बन PPE कीट में Covid-19 वार्ड में पहुंची , अपने होने वाले वर से शादी रचाने | मरीज हॉल , मैरेज हॉल में तब्दील कर दिया गया |
अब हम आपको विस्तार से बता दे कि :-
होने वाले दुल्हे का नाम शरत जो विदेश में कार्यरत है , कुछ हीं दिन पहले विवाह करने के लिए उनका भारत आना हुआ था | शादी के खरीदारी करते समय हीं वे कोरोना संक्रमित हुए और कुछ हीं दिन बाद उनकी माँ जिजिमोल भी कोरोना संक्रमित हुई और दोनों अलाप्पुजा मेडिकल कॉलेज में covid वार्ड में भर्ती हैं | इन दोनों की शादी बीते 25 अप्रैल को होना तय हुआ था | अब लड़का शादी की खरीदारी व तैयारी करने के बाद कोरोना जैसे ग्रहण में उलझ गए , विवाह हो तो कैसे ?
लेकिन कहते हैं , गर समस्या है तो उसका सामाधान भी है | लेकिन यह उनके लिए है जो आज भी भारतीय संस्कृति के कई रूप - रंग व निराली सोंच को आज भी इस धरती पर बरकरार रखा है , रख रहे हैं और रखना चाहते हैं | तभी तो लोग कही अपने भाग्य को कर्म से जोड़ते है तो कहीं कर्म को अपने भाग्य से और सोंचते है कर्म किये जा , फल जो भी होगा देखा जायेगा |
ऐसे में दोनों परिवार मिलकर शादी टालने की जगह शादी कर देना तय किया और जिला कलेक्टर और अन्य सम्बंधित अधिकारीयों से जरुरी अनुमति मांगी एवं 25 अप्रैल को हीं Covid वार्ड को मैरेज हॉल में तब्दील कर दोनों की शादी संपन्न करा दी गई | इसके लिए दुल्हन के साथ एक उनके परिजन दोनों PPE कीट में Covid-19 वार्ड में पहुंचे | वार्ड में पहले से हीं मौजूद शरत व उनकी माँ उपस्थित थी | शरत की माँ वर - वधु के लिए वरमाला लिए मौजूद थी | माँ ने दोनों को वरमाला बढाया , वर - वधु ने एक दूसरे के गले में माला पहना दी और कुछ रस्म के बाद शादी संपन्न हुई और चंद तालियों की गरगराहट विवाह का साक्ष्य व सबूत बना |
अभी देश में अधिकांशतः जगहों पर कोरोना का भयावह प्रकोप देखा जा रहा है | जहाँ किसी भी समारोह या उत्सव में लोग डर से भी नहीं जा रहें है और ऐसे में जिंदगी को दांव पर लगा देना , एक लड़की के लिए , इस तरह का अहम निर्णय बहुत हीं ज्यादा मायने रखता है | जहाँ मांग की सिन्दूर कुर्बानी भी मांग सकती है | लेकिन हौसला बुलंद हो तो आँधियों में भी चिराग जलाया जा सकता है | यह तो अपनी - अपनी नजरियें , सोंच की बात है | ईश्वर ने जितना कदम लिखा होगा , एक दूसरे के साथ रहना , वह सौभाग्य तो कोई छीन हीं नहीं सकता है और लड़की ने कदम बढ़ा दिया | ऐसे में कोरोना मरीज से शायद कोई शादी न करें , लेकिन इसे हीं कहते है प्यार | चूकि इन दोनों की मंगनी तो पहले हीं हो गई थी | यह शादी देखकर हमें राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म विवाह याद आ गई जिसमे शहीद कपूर व अमृता राव थी , शहीद कपूर ने कुछ ऐसा हीं किया था | ऐसी - ऐसी फिल्मे अगर बनती है तो निजी जीवन में भी प्रेरणा बनकर , पटल पर उतर जाता है और जीवन को सुखद बनाती है | फिल्म अनुकरण ......
लड़का शरत मोन व लड़की अभिरामी दोनों केरल के रहने वाले है | बीते 25 अप्रैल को ये विवाह बंधन में बंधे और नए दम्पति बन गए | तो ! आप दोनों को शादी बहुत - बहुत मुबारक | ईश्वर आपके हौंसले को बुलंद रखें और आप ऐसे हीं आगे बढ़ते रहे | अक्सर जीत अपने हीं हाथ में होती है | .... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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