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मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए डॉ० मोहन यादव , ये उज्जैन दक्षिण क्षेत्र से तीसरी दफा विजयी हुए हैं | ये अपने क्षेत्र के काफी लोकप्रिय नेता हैं | इनके विषय में अगले फीचर में हम विस्तार देंगे फिलहाल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शिवराज सिंह चौहान का न होना महिलाओं की आँखों में आंसू दे गया |
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कहने लगी लाडली बहना - मैंने तो आपको चुना था भईया और गले लग फफककर रोने लगी | यह प्यार था उनकी बहनों का जिसे पाने में कई वर्ष लग गए | शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी का यूँ सरक जाना कई सवाल छोड़ गया और लोगो को याद दिला गया महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस की जो कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान थे |
यह कैसी मज़बूरी थी जो प्रमोशन से डिमोशन में लाकर खड़ा कर दिया | डिमोशन की वह दर्दभरी दास्तां जिसकी पीड़ा / क्लेश / वेदना से देश के लोग परिचित है मगर उनके कदम डगमगाए नहीं और उन्होंने इस डिमोशन को भी स्वीकार कर लिया |
आज मध्यप्रदेश के हर नागरिक की आत्मा में शिवराज सिंह चौहान का घर बसता है | उसे कोई छीन नहीं सकता मगर यह कैसी मज़बूरी कि कोई कुछ बोल नहीं सकता , कुछ कर नहीं सकता ! वहीं लाचार हुए शिवराज सिंह चौहान खामोश होकर बहुत कुछ बोल उठे |
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पत्रकारों के सवाल पर कहा - एक बात मै विनम्रता के साथ कहता हूँ - अपने लिए कुछ माँगने जाने से , मै मरना बेहतर समझूंगा इसलिए मैंने कहा था कि मै दिल्ली नहीं जाऊँगा |
यह उनका स्वाभिमान था जो सभी के सामने बोल पड़ा और सच्चाई छनकर सामने आई | खैर ...... अब खेल ख़त्म हो चूका है | मतदान देनेवाले बोल रहे हैं - मैंने तो मामा को वोट दिया था , ये क्या हो गया ! मामा की कुर्सी छीन ली गई | जनता का यह पीड़ा मध्यप्रदेश के विकास को रौशनी दिखा रहा है |
महिलाओं का वह पॉकेट मनी जो हर माह ख़ुशी बुनता रहा , एक भाई की याद दिलायेगी |
भारत में एक मात्र चकाचक शहर "इंदौर" इतिहास लिखा है | इसका श्रेय शिवराज सिंह चौहान और वहां की जनता को जाता है | वहां के नेतागण और जनता का प्रेम हीं माहौल को निर्मल बनाता है परन्तु एक बात सत्य है जो मै आपको बता दूँ - शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी का छीन जाना उन्हें गम तो दे गया परन्तु कुर्सी इसलिए भी छिनी गई क्यूंकि लाडली बहना को दी जानेवाली प्रतिमाह 1500 की राशि चुनाव के बाद 3000 देने का वादा हर पोस्टर पर देखा गया था तो क्या अब वो राशि बरकरार रहेगी ! कहीं कुर्सी जाने का कारण इससे सम्बंधित तो नहीं !
एक कहावत है - चीटी को गर बुलाना हो तो चीनी डालिए | अब तो भारी संख्या में चीटियों का भीड़ इकठ्ठा हो गया और चीनी के डिब्बो का ढक्कन बंद , अब खोलेगा कौन ! यह तो आनेवाला समय हीं बतायेगा - रहस्य और अंजाम खैर ......... !
अब हम फिर वहीं आते हैं जहाँ शिवराज सिंह चौहान का वह दर्द कि मर जाना बेहतर होगा | हम अगर विश्व की बात करे तो किसी भी देश के एक प्रतिष्ठित नेता के लिए डिमोशन से बेहतर है क्षेत्र को त्याग देना | रास्ते कई है विकास के लिए , आपके कदम जहाँ भी पड़ेंगे रौशनी वहीं पर जगमगा उठेगी क्यूंकि आप पूर्णिमा के वो चाँद हो जिसकी रौशनी कभी खत्म नहीं होती | आपके दामन में आंधियो में भी चिराग जला देने का हुनर मौजूद है तो फ़िक्र क्यूँ और किसलिए |
हर बार आपकी लाडली बहना की वो राखी आपका इंतज़ार करेगी | ये अलग बात है कि वो दौर कुछ और था जब आपके चेहरे पर कुछ देने की मुस्कराहट थी अब ये दौर कुछ अजीब सा होगा जब आप चाहकर भी असमर्थ होंगे | खैर ...... मध्यप्रदेश की शुभकामनाएं सदैव आपके साथ बनी रहेगी | ........... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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