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प्यार में आकर इस कदर बच्चो को सब कुछ सौंप देना स्वयं से बेईमानी है , यह बात पहले पता नहीं था | हर पिता ऐसा सोंचता है - उम्र बढ़ने के साथ उनका कारोबार जब उनके पुत्र को हीं संभालना है तो फिर देरी क्यूँ की जाए और उसके बाद जब कारोबार का डोर हाथ से फिसल जाता है तो बड़ा दुःख होता है | एक पिता सोंच हीं नहीं पाता कि उनके हीं बच्चे जिसे उन्होंने नाजो से पाला था और धन की बदौलत उच्च शिक्षा देकर बड़े उद्योग से जोड़ते हुए अपना सबकुछ समर्पित कर दिया , उसके बाद पश्चताना अन्दर तक घायल कर जाता है | यह शब्द विजयपत सिंघानिया जी का है , उन्होंने अपने दर्द को इसी शब्दों में व्यक्त किया है |
गौतम सिंघानिया विजयपत सिंघानिया के पुत्र है और इनदिनों घरेलु मामले में उलझे पड़े हैं | अपनी पत्नी को तलाक देकर स्वयं से अलग करना चाह रहे हैं , ऐसे में बिजनेस पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है |
विजयपत सिंघानिया ने बेटे और बहु को अलग होने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया मीडिया को दी है |
रेमंड कंपनी को एक छोटी फेब्रिक कंपनी से विश्वस्तर तक प्रसिद्धि दिलाते हुए एक मशहूर ब्रांड बना देना आसान नहीं था | आपको बता दे कि - रेमंड का नाम "रेमंड" तब डाला गया जब यह कंपनी कम्बल निर्माण करने के लिए छोटे से स्तर में सिमटा हुआ था | धीरे - धीरे प्रयास से इस उंचाई पर रेमंड को लाकर विजयपत ने खड़ा किया और अपने कारोबार में रौशनी भर दी |
2017 का पन्ना पलटा जाए तो विजयपत ने अपने बेटे पर आरोप लगाया था - गौतम सिंघानिया ने दक्षिण मुंबई में अपनी परिवारक सम्पति जे के हाउस बिल्डिंग से उन्हें बाहर निकाल दिया | तब यह मुद्दा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ , जब दीपावली समारोह में उनके पुत्र उन्हें घर में आने नहीं दिया था और यह मुद्दा आदालत तक पहुँच गया |
रेमंड कपड़े का वह ब्रांड है जिसे हर कोई लेना चाहता है | दुनिया भर में ख्याति प्राप्त कर काफी धूम मचाया और भारत के हर छोटे - बड़े शहरों में इसके ब्रांड के शोरुम खोले गए | आज भी विवाह के दौरान खासकर लड़का "रेमंड" के हीं कपड़ा पहनना पसंद करते हैं , न पहने तो उन्हें उनका कद छोटा दिखाई पड़ता है |
रेमंड की चर्चा तब तब हुई जब इसकी गति आसमान को छुआ | इस ब्रांड की उंचाई को देखकर महसूस किया जा सकता है - इस कारोबार को उंचाई पर पहुंचाने में विजयपत ने कितनी मेहनत की होगी और आज वहीं इंसान किराए के मकान में अपना जीवन गुजार रहा है | एक आह ! छू लेता है गुजरा हुआ वह कल जो बद्दुआ दे जाता है , तभी तो भारत में वृद्धआश्रम की कमी नहीं |
आज रेमंड के चेयरमैन व एमडी गौतम सिंघानिया है और इनकी पत्नी नवाज मोदी से घरेलु विवाद छिड़ा है | बीते 13 नवम्बर को गौतम सिंघानिया ने X पर अपनी पत्नी नवाज मोदी से तलाक लेने का सन्देश पोस्ट किया तो देश व दुनियां तक के लोग आचम्भित हुए | धीरे धीरे यह क्रम बढ़ता हीं गया और आज इस दौर में शामिल हुआ कि इनकी पत्नी नवाज मोदी ने कथित दौर पर गौतम सिंघानिया के 11 हजार करोड़ रुपये की सम्पति का 75% हिस्से की मांग कर बैठी है जिससे गौतम सिंघानिया काफी परेशान है |
इतने बड़े घर में तलाक का मामला इस कदर क्यूँ खड़ा हुआ ? कम आमदनी वाले घरों में धन के अभाव के कारण हर दिन किसी न किसी समस्या को लेकर लड़ाई हो जाना स्वाभाविक है मगर ऐसे घर में जहाँ इतना धन हो कि अगर भारत में रहते हुए अमेरिका में जाकर चाय पीने की इच्छा या कुछ खरीदने का मन हो जाए तो भी बड़ी बात नहीं | ऐसे में गौतम सिंघानिया के घर का मामला समझ से परे है मगर इतना तो जरुर है कि पति - पत्नी में किसी एक की गलती का परिणाम तलाक कभी नहीं हो सकता |
नवाज मोदी स्वयं एक अच्छे व्यक्तित्व की धनी महिला है , उनपर अपनी हुकूमत भला कौन करेगा ! ऐसे में पति मारपीट या प्रताड़ित कैसे कर सकते हैं ? मगर नवाज मोदी ने ऐसा कहा तो मन दोनों पहलु पर सोंचने पर मजबूर है | तलाक की बातें देश - दुनियां में आने के बाद उन्होंने अपने पति पर ऐसा इल्जाम लगाया और गौतम सिंघानिया खामोश है तो ऐसे में कुछ भी सोंचना मुश्किल होगा | जब मामला कोर्ट में गया है तो कोर्ट तय करेगी |
बाते जो छनकर सामने आती है या फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये , मीडिया वाले उन्हें अपने अनुसार सहज रूप से अंकित करते हैं और कलम सही ढंग से हीं चलता है क्यूंकि एक प्रतिष्ठित परिवार के विषय में लिखने से पूर्व बहुत बार सोंचना पड़ता है और जरुरी भी है | यहीं कारण है कि उनकी बातो को कल तक पहुंचाने में मेरे कलम को भी कितना समय लग गया | 13 नवम्बर को उनके तलाक की कहानी बाहर आई , मामला कोर्ट तक पहुंचा और आज इतने दिनों के बाद हम उसे आप तक पहुँचाना भी अपनी एक जिम्मेदारी मानते है ताकि ऐसा घर जो आए दिन बिखरने के लिए तैयार है , ऐसे लोग इस कहानी व समस्या को पढ़कर ठहर जाए और पति - पत्नी स्वयं आपस में सुलह कर लें |
एक मशहूर कारोबारी विजयपत सिंघानिया गौतम सिंघानिया के पिता ने सिर्फ अपने पुत्र के लिए हीं नहीं बल्कि हर माँ - पिता के लिए ऐसा कहा है - "अपने बच्चे को सबकुछ देने से पहले बहुत सावधानी से सोंचना चाहिए" दिल मन जब घायल होता है तो शायद ऐसी हीं आवाज निकलती है | विजयपत सिंघानिया ने सभी शेयर अपने बेटे गौतम सिंघानिया के नाम कर दी जिसके बाद उसी बेटे ने अपने पिता के कद को छोटा करने में कोई कसर नहीं छोड़ा |
पिता ने कहा - कुछ पैसे मेरे पास धोखे से बचे थे जिससे आज मै जीवित हूँ अन्यथा सड़क पर आ जाता | आज वे इस उम्र में किराए के मकान में पति - पत्नी अकेले रहते हैं | उन्होंने कहा - मुझे यकीन है कि मेरा बेटा जब उन्हें हीं फेंकने में कसर नहीं उठाया तो फिर अपनी पत्नी के साथ ऐसा किया विश्वास करना पड़ेगा , मुझे पता है वो कैसा इंसान है | विजयपत ने कहा - हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार अलग होने की स्थिति में पति का 50% हिस्सेदारी स्वतः पत्नी के पास चला आता है इसके लिए किसी पत्नी को लड़ने की आवश्यकता नहीं है | बहुत साधारण वकील भी इस हक़ को दिला सकता है |
पिता ने कहा - गौतम सिंघानिया अपनी सम्पति का 75% देने के लिए राजी नहीं होंगे | बेटे का आदर्श वाक्य है - हर किसी को खरीदें और सबकुछ खरीदें , यह बात पिता को याद आ गई | लड़ने से उसे बहुत कुछ नहीं मिलेगा जबतक कि उनके साथ हरीश साल्वे , मुकुल रोहतगी , कपिल सिब्बल जैसा व्यक्ति न हो |
गौतम सिंघानिया पत्नी नवाज मोदी द्वारा लगाये गए इल्जाम पर खामोश रहते हुए कहा - अपनी दो खुबसूरत बेटियों के हीत में मै अपने परिवार की गरिमा बनाए रखना चाहूँगा | अपने निजता के सम्मान करने की बात करते हुए किसी तरह का टिप्पणी नहीं की | इसी बेटे ने अपने खिलाफ एक पिता को फ़्लैट की लड़ाई और हक़ के लिए कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया , आज बेटा खड़ा है |
राजसी अंदाज और शानोशौकत के लिए विजयपत सिंघानिया जानेजाते रहे हैं , बेटे ने उन्हें औंधेमुंह गिरा दिया | हवाई जहाज व हेलिकॉप्टर के शौक़ीन रहे विजयपत स्वयं भी उड़ान भरा करते थे | उनके नाम से 5000 घंटे का फ्लाइट उड़ान अनुभव दर्ज है | 67 की उम्र में उन्होंने इतिहास रचा और अपने नाम दर्ज किया वर्ल्ड रिकॉर्ड | हॉट एयर बैलून में दुनिया में सबसे ऊँची उड़ान भरने का रिकॉर्ड दर्ज किया है | 1994 में इंटरनेशनल एरोनॉटिक्स फेडरेशन द्वारा आयोजित एयर रेस में 34 हजार किलोमीटर की दूरी 24 घंटे में तय कर गोल्ड जीता जिसके बाद भारतीय वायुसेना ने एयर कमोडोर की मानद रैंक से उन्हें नवाजा था |
भारत सरकार द्वारा 2001 और 2006 में उन्हें पुरस्कार दिए गए - 2006 में उन्होंने राष्ट्रपति डॉ ए० पी० जे० अब्दुल कलाम से पद्मभूषण प्राप्त किया |
भारत में ऐसे अनमोल रत्न हुए जिन्होंने जमीन से लेकर आसमान तक का सफ़र ऐसे तय किया मानो हर साल सावन का बरसना | स्नेह स्नेह अपने कारोबार को बुलंदी तक पहुँचाने वाला ऐसा जांबाज आज अपना सबकुछ खोकर फिर वहीं के वहीं खड़ा है | अब कहा नहीं जा सकता कि यह उंचाई का आरम्भ है या अंत मगर यह सत्य है कि 2015 में उनके सपनों से भरी गुब्बारे की चटकने की शुरुआत हुई | यह गुब्बारा फिर से उसी गति में आएगी कहना मुश्किल है |
आसमान में पतंग खिलते हुए नजर आते हैं | पतंग चाहे किसी का भी कटे , खाली तो आसमान रह जाता है और रंग - बिरंगी पतंगों के अभाव में आसमान में वह रंग भर नहीं पाता जो खिलते हुए पतंगों से मिलता है | परिवार भी एक आसमान की तरह है जिसमे बहुत सारे पतंग शामिल होते है | किसी भी पतंग को न काटिए न कटिए , उसे भरपूर खिलने दीजिये आसमान में |समय के साथ वह स्वयं कटती है तो बेहतर तो ऐसे में एक इतिहास बनता है , जिंदगी भी तो एक पतंग हीं है , हो सके तो इसमे रंग भरिये इसे काटिए नहीं न कटने दीजिये | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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