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आज सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की माँ का निधन हो गया , वे 100 वें साल में प्रवेश कर चुकी थी | इसी साल 18 जून को उनका शतक आरम्भ हुआ था जिसमे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी कल्पनाओं को देश के सामने परोसा था |
उन्होंने कहा था - मै अपनी ख़ुशी , अपना सौभाग्य , आप सबो से साझा करना चाहता हूँ | साथ हीं लिखा - मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है वो मेरे माता - पिता की देन है | आज मै दिल्ली में बैठा हूँ तो कितना कुछ याद आ रहा है | माँ एक व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व है |
आज शोक में डूबे हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मगर यही जीवन का सच है ...... जो आया है उन्हें एक न एक दिन तो जाना हीं पड़ता है | हीराबेन मोदी जब इस धरती को छोड़ी है तो अपनी जिंदगी में हर पल खुशियों से नहाती हुई सफ़र की | यह उनका सौभाग्य कहा जा सकता है कि उन्होंने सिर्फ एक बेटे को जन्म नहीं दिया बल्कि उन्होंने भारत को एक पुत्र रत्न सौंपा है जो देश के इतिहास में कई पन्नो को अंकित कर आगे की दौर भी जारी रखा है |
माँ हीराबेन मोदी की तबियत मंगलवार की रात 27 दिसंबर को बिगड़ी जिसके बाद उन्हें अहमदाबाद के UAN मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था | 28 दिसंबर की दोपहर प्रधानमंत्री दिल्ली से सीधे अस्पताल पहुंचे | करीब डेढ़ घंटा रुके और फिर दिल्ली वापस गए क्यूंकि देश की बागडोर जनता ने अपने विश्वास के साथ उनके हाथ सौंपा है |
आज सुबह 3:30 बजे दुनिया को शोक सन्देश मिला कि हीराबेन मोदी नहीं रही | यह जानकारी दुनिया को प्रधानमंत्री के ट्विटर अकाउंट से मिला | प्रधानमंत्री ने अपनी माँ की अंतिम विदाई में उन्हें कन्धा देते हुए मंजिल तक पहुँचाया | उनकी मन की भावना व उनके दिल में उत्पन्न दर्द को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता |
आडम्बर से बहुत दूर इस शोक कार्यक्रम को देखा जा सकता है जो दुनिया के लिए एक सीख और सबक भी है | साथ हीं प्रधानमंत्री के ट्विटर अकाउंट पर यह भी पढ़ा जा सकता है कि - उनके पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है | माँ के पंचतत्व में विलीन होने के बाद हर कार्यक्रम निर्धारित समय अपनी गति पर चलता रहेगा |
राष्ट्रकार्य में घरेलु बाधा उत्पन्न नहीं होगी ऐसा प्रधानमंत्री का निर्देश है | देश के लिए ऐसा जूनून , ऐसे हीं सफल पुत्र की निशानी है जिनके पदचिन्हों पर अगर हर कोई चले तो सपनों से सजा मंजिल सामने दिखाई पड़ेगा | मगर अफ़सोस की ऐसा होता नहीं क्यूंकि आडम्बर में हीं आधे से ज्यादा उम्र गुजर जाती है और लोग अपनी मंजिल तक पहुँच नहीं पाते | वहीं इसका जीता जागता उदाहरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है जिन्होंने आडम्बर को कभी गले नहीं लगाया |
आज भी पश्चिम बंगाल में होने वाले विडियो कांफ्रेंस मीटिंग में हिस्सा लेते हुए "नेशनल गंगा काउंसिलिंग" को वे मजबूत करेंगे |
प्रधानमंत्री ने अपनी माँ की अंतिम विदाई में कन्धा देते हुए साथ चल पड़े | रास्ते में बहुत सी यादें आती रही होंगी , आँखों में आंसू जज्ब होता रहा , कुछ छलकता रहा | अब सिर्फ माँ की यादें शेष बची है एक धरोहर के रूप में जो इतिहास कभी बुझेगा नहीं , न विलीन होगा | उनकी मुस्कराहट सदैव एक याद बनकर लोगो के दिलो में सौन्दर्य प्रदान करेगा क्यूंकि ऐसे सपूत को जन्म देने वाली माँ कभी मरती नहीं , सदैव जिन्दा रहती है दिलो में याद बनकर |
माँ हीराबेन की हर मुस्कराहट में लगता था कि जैसे गुलाब की पंखुड़ी झड़ रहे हों | वे कभी गुस्सा नहीं होती थी मैंने ऐसा सुना था | मेरी भी चाहत थी कि उनसे मिलूं मगर अफ़सोस चाहत अधुरा रह गया | ईश्वर उन्हें एक अलग हीं दुनिया में हर सुख - सुविधा प्रदान करेंगे क्यूंकि हीराबेन कहा करती थी - मेरे पास क्या है जो कोई छीन लेगा ? काम करो बुद्धि से और जीवन जीयो शुद्धि से | इन्हीं शब्दों में छुपा है जीवन का सार जो शायद ! सभी के समझ से बहुत दूर है , जो समझ गया अर्थ इसका उसकी मुठ्ठी में ........... !
भव्याश्री परिवार की तरफ से उन्हें सहृदय भावविनी श्रधांजलि | दुःख इस बात का नहीं कि वे इस दुनिया से दूर गई क्यूंकि यह सत्य है मगर ख़ुशी इस बात की है कि वे भरपूर गई | ............ ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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