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30 जनवरी को शिवबती मंडावी के ब्याह की रश्म अदा हो रही थी |इस रश्म में उन्हें हल्दी लगाया जा रहा था | 31 जनवरी को शादी होनी था | इस समारोह में लड़की और लड़के दोनों पक्ष के लोग मौजूद थे | शादी का आमंत्रण पत्र पाकर दूर - दूर से सभी रिश्तेदार भी आ चुके थे |
हल्दी आदायगी की रश्म के समय हीं लड़की के पेट में दर्द उठा और दर्द ऐसा की उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा | लड़की के पेट में उठने वाला दर्द मामूली दर्द नहीं था , यह था प्रसव पीड़ा जहाँ उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया |
लोग इस बात को किस रूप में लेंगे कहा नहीं जा सकता ! मगर भारत में हीं अनगिनत ऐसे समाज है जिसके विषय में लोग आज भी अनभिज्ञ है |
31 जनवरी को पूर्व निर्धारित समारोह में लोग आये , प्रीतिभोज का आयोजन किया गया और लोगो ने तीनो को आशीर्वाद दिया | यह शादी आदिवासी समाज का था |
सूचना के आधार पर - उड़ीसा के किंड़गीडिही जिला नवरंगपुर की रहने वाली एक बेटी जिसका नाम शिवबती मंडावी है जो कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के मौके पर अपने बॉय फ्रेंड के घर गई और वहां वह 6 महिना तक रही | यह स्थान छतीसगढ़ के वस्तर जिले में बडेराजपुर ब्लॉक के बांसकोट गाँव का है |
आदिवासी समाज का एक अलग प्रथा है जिसमे कुंडली का मिलान और पंडित जी द्वारा शादी का मुहूर्त न देखते हुए अगर लड़का - लड़की विवाह के लिए एक दूसरे को पसंद कर लेते है तो लड़की लड़के के घर में रहने चली जाती है और लड़का - लड़की अपनी पसंद से शादी का फैसला भी ले लेते है | इस प्रथा का नाम है "पैठू प्रथा" जिस प्रथा को आज के आधुनिक दौर में भी लोग लेकर चल रहे है |
31 जनवरी को आशीर्वाद देने का समारोह तो संपन्न हो गया और सभी लोगों के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा कि आज सुबह हीं दुल्हन ने एक बेटे को जन्म दिया है |
इस घटना से आप वाकिफ हो गए होंगे कि शादी से पूर्व बच्चे को जन्म देना यहाँ गुनाह नहीं माना जाता | इसलिए कि जिस वक्त लड़की लड़के के घर रहने चली गई , उस वक्त लोगों ने उन्हें बहु मानकर घर में स्थान दिया था और 6 महीना रखा |
अब इस प्रथा के विषय में थोड़ा विस्तार कर दे - तो यह प्रथा ज्यादातर नवाखाई में आज भी है जहाँ लड़की लड़के के घर रहने चली जाए तो समझिये लड़के के घर उस लड़की की शादी तय हो चुकी है | उस समय लड़की के ऊपर पानी डालने का रश्म है जिसे आरंभिक रश्म कहा जा सकता है | इस रश्म में वर और वर पक्ष के लोग शामिल होते है | इस पानी में हल्दी मिला होता है | लड़की के आने से पूर्व हीं लोग मिट्टी का एक घड़ा खरीदकर घर में लाते है और लड़की के आने पर पैठू रश्म की शुरुआत की जाती है | फिर उन्हें कमरे में ले जाकर पीढ़ा पर बिठाया जाता है और नया वस्त्र पहनाकर रात भर नाच - गाने का कार्यक्रम बड़े हीं धूमधाम से होता है और दूसरे दिन लड़की पक्ष वालो को खबर दी जाती है |
लड़की पक्ष के लोग भी वहां पहुँचते है और समाज के प्रमुख लोग एकत्रित होकर लड़की को बहु के रूप में लड़के पक्ष को सौंप दिया जाता है | बहु बनने के बाद प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है जिसे आप शादी समारोह का आयोजन कह सकते है |
परन्तु इस प्रथा में ऐसा भी है कि लड़की वाले इस बीच लड़की को अपने घर ले गए तो लड़का वाले दंड स्वरुप लड़की वालो पर भारी पड़ते हुए जुर्माना डाल देते है जिसे लड़की वालो को भरना पड़ता है | इस जुर्माने को ठेंगा उतारना कहा जाता है | जुर्माने में मिली गई राशि को सामाजिक कोष में जमा किया जाता है और लड़की को अपने घर वापस जाने की स्वीकृति मिल जाती है |
इसी आधार पर 30 तारीख को हल्दी रश्म के दौरान जब शिवबती मंडावी को अस्पताल ले जाया गया जहाँ 31 जनवरी को बच्चे ने जन्म लिया जिस बात से सभी लोग अवगत थे | अन्यथा दूसरी समाज में इस तरह की बाते सामने आती तो विवाह हो पाना असंभव था | मगर कहीं - कहीं शादी से पूर्व बच्चे को जन्म देना शुभ माना गया है | भारत में बहुत सारी प्रथाएं है जो सुनने और देखने में बड़ा अजीब सा लगता है | वह इसलिए की इस समाज को हमने जीया नहीं |
हमें
याद आ रहा है एक और ऐसी हीं प्रथा जिसपर एक फिल्म बनी थी , इस फिल्म का
नाम था - तुम मेरे हो | इस फिल्म में जूही चावला और अमीर खान ने भूमिका अदा
की थी | जिसने भी इस फिल्म को देखा उन्हें यह फिल्म खूब पसंद आई | इस
फिल्म में कुछ ऐसी हीं प्रथा थी जो बड़ा हीं अजीबो गरीब था | मगर आज भी यह
समाज अपनी प्रथा को जीवित रखने के लिए "पैठू प्रथा" का आयोजन पुरे हौसले से
करते है और इसमे कोई बुराई नहीं मानते | .......... ( न्यूज़ / फीचर :-
रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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