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कोरोना का कहर इस कदर बरप रहा है कि यहाँ इस दर्द से हर व्यक्ति कंगाल के कगार पर खड़ा है | इंसान दो तरह से दौलत मंद होते हैं , एक धन से और दूसरा जन से | धन कमाने की चीज है परन्तु अगर जन हाथ से फिसल जाए तो इसका मर्म भुलाये नहीं भुला जा सकता | एक नासूर बनकर छा जाता है मन मस्तिष्क पर और तमाम उम्र कुरेदता रह जाता है |
बीते दो सप्ताह की बात है | पुणा एयरफोर्स के सुपरिटेंडेंट अरुण गायकवाड की जिंदगी उथल - पुथल हो गई | 43 वर्षीय उनकी पत्नी वैशाली , उनके सास जिनकी उम्र 62 वर्ष , साला 38 और एक 40 वर्ष की मौत कोरोना की वजह से हो गई | मिस्टर अरुण की दास्ताँ जो हाल व्यान कर रहा है , यह सोंचकर रूह काँप जाना स्वाभाविक है |
एयरफोर्स के इस अफसर के मर्म पर अब ! मरहम कौन लगाएगा ? इसके बावजूद वे अपना दिमागी संतुलन बनाये हुए हैं | लेकिन ! वहीं उनकी माँ और दो बच्चे भी इस संक्रमण के शिकार है | इनकी माँ को अभी पता नहीं कि उनके बेटे किस क्लेश / पीड़ा से पल - पल जूझ रहे हैं |
कोरोना का संक्रमण उनके परिवार में जनवरी माह में आया | उनके ससुर की ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई थी , इसके बाद घर में स्वच्छता या मन की संतुष्टि के लिए एक पूजा रखी गई थी | इस पूजा में उनके परिवार के लगभग सभी सदस्य शामिल हुए | उसके बाद से हीं एक के बाद एक में संक्रमण फैलता चला गया | सबसे पहले साला जिसकी उम्र 38 वर्ष है उन्हें संक्रमण हुआ | 28 मार्च को जब उनकी पत्नी वैशाली कोरोना पोजेटिव निकली तो उनकी हालत बेहद खराब थी | डॉक्टरों का कहना था कि - वैशाली को हर हाल में वेंटीलेटर पर ले जाया जाए , परन्तु मिस्टर अरुण की सारी कोशिशें नाकाम रही |
लाख कोशिश के बाद एक रिश्तेदार की मदद से अस्पताल में उन्हें एक बेड मिला | मगर अफ़सोस ! देर हो चुकी थी और 30 मार्च को उनकी मृत्यु हो गई , जिससे मिस्टर अरुण की दुनियां हीं उजड़ गई , गाड़ी का एक पहिया बिखर गया | सूचना के आधार पर मैंने आपको अभी तक की बातें बताई , आगे भी काफी कुछ इस सन्दर्भ में बताना है जिससे रूह काँप जाएगा | यह सच्ची घटना है और जिंदगी के बहुत करीब भी लेकिन ! वहीं समझ से परे है कि एयरफोर्स के सुपरिटेंडेंट के साथ ऐसी परिस्थिति कैसे उत्पन्न हो सकती है ? जहाँ उन्हें दो दिनों तक अपनी पत्नी के लिए बेड न मिले ! एयरफोर्स भारत सरकार का एक अहम , शक्तिशाली और मददगार इकाई हैं , जो भारत की सुरक्षा व्यवस्था में सदैव तत्पर रहती है | ऐसे में उनके व उनके परिवार के लिए सरकार सभी व्यवस्थायें व सुविधायें उपलब्ध कराती है | तो फिर ! उन्हें बेड कैसे नहीं उपलब्ध हुआ ? ए तो देश को शर्मशार करने वाली बात है की देश के रक्षक को हीं जूझना पड़ गया इस बेवस आलम से |
लेकिन किस्मत में अभी उन्हें और भी दर्द झेलना था | 3 अप्रैल को उनके साले रोहित की मृत्यु हुई , 4 अप्रैल को सास की मौत और 14 अप्रैल को अतुल भी चल बसा | अभी उनकी जिंदगी में उनकी माँ और दो बच्चे है जिनके स्वस्थ हो जाने का आस लगाये बैठे हैं , अरुण | क्या पता किस्मत कब करवट बदले कुछ कहा नहीं जा सकता , जूझते हुए परिजन इससे उबर भी सकते है और कोरोना इन्हें निगल भी सकता है , दावं पे लगी है जिंदगी |
अरुण पुणा में अपनी जिंदगी के अहम अंगो को खोते चले गए | अब आगे क्या होगा वक्त के हाथ में है | सुना था कि प्रलय आएगा , तो ! यह कोरोना प्रलय से कम भी नहीं दिखता जो लोगों को बेकल / बेहाल करता जा रहा है | कोई ऐसा रास्ता नहीं कि स्वयं को लोग सुरक्षित रख सके , कर सके |
कल का भोर कैसा होगा ये अब सोंच का विषय है , उनके लिए भी और अपने देश के लिए भी | गमगीन कर गया इनका हाल |
जिंदगी बचाव अभियान में आप अपनी सुरक्षा स्वयं करे , सुरक्षित रहे | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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