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16 करोड़ का एक इंजेक्शन आख़िरकार किसने बनाया ? और इस 16 करोड़ में बिकने वाले इंजेक्शन के अन्दर क्या है ? जिससे इसकी कीमत इतनी अधिक है | साथ हीं वह कौन सी बीमारी है जिसमें 16 करोड़ का इंजेक्शन हीं इंसान को नई जिंदगी दे सकता है |
इस इंजेक्शन को हर किसी को देखना दुर्लभ है और ईश्वर न करे किसी को देखना पड़ जाए | लेकिन सभी के लिए इसका नाम जानना बहुत जरुरी है , तो इस इंजेक्शन का नाम है जोल्गेंसमा ( Zolgensma ) , इसकी कीमत 16 करोड़ रुपया है |
बिहार के रहने वाले नेहा और आलोक सिंह अपने 10 माह के बेटे की जिंदगी बचाने के लिए विलाप कर रहे हैं | इनके बेटे का नाम आयांश है | राजधानी पटना के डॉक्टरों ने इस दम्पति को बैंगलोर में बच्चे को दिखलाने की नसीहत दी | इसलिए कि पटना के डॉक्टर को पता हीं नहीं चल पा रहा था कि मर्ज क्या है ? और जबतक मर्ज पता न चले , तबतक इलाज करना संभव नहीं होता | इसलिए बच्चे को बैंगलोर में दिखाने की सलाह दी गई |
यह बच्चा दो माह से हीं बीमार है | उसकी तबियत बिगड़ने लगी , 15 दिन तक तो पता हीं नहीं चला कि कारण क्या है ? खैर ... ये लोग बैंगलोर के Nimhans अस्पताल में पहुंचे | 5 डॉक्टर की टीम ने जाँच कर के बताया कि इनके बेटे आयांश को कौन सी बीमारी है ? इस बीमारी का नाम स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी ( Spinal Muscular Atrophy ) है | इस बीमारी में शरीर का मांस धीरे - धीरे जलने व गलने लगता है | ऐसे बच्चे ज्यादा से ज्यादा डेढ़ से दो साल तक हीं जीवित रह पाते हैं |
अब इस बीमारी के इलाज के लिए खर्च कितना पड़ेगा ? दम्पति के यह पूछने पर डॉक्टर ने जब इलाज के लिए एक इंजेक्शन का दाम बताया तो दम्पति के पैर से मानो धरती हीं फिसल गई | एक इंजेक्शन का दाम था 16 करोड़ रुपया |
तस्वीर :- दैनिक भास्कर के सौजन्य से
एक माध्यमवर्गीय परिवार के लिए 16 करोड़ रुपये सोंच से ऊपर की राशि है , वो तो लाख का भी नहीं सोंच सकते ! लेकिन जिस बच्चों को जन्म दिया गया , उनके माता - पिता के दिल पर क्या गुजरा होगा ? इस मर्म का एहसास किया जा सकता है | यह 16 करोड़ का इंजेक्शन अमेरिका में बनता है और इसे वहीं से मंगाया जाना है | यह बात विधानसभा और लोकसभा में उठी और इन्हें आश्वस्त किया गया है कि सरकार संज्ञान में लेगी |
पूर्व में यह दम्पति सोशल मीडिया के माध्यम से भी धन जुटाने का कार्य किया था | परन्तु इतनी बड़ी धनराशि जुटा पाने में अक्षम रहे , फिर इन्होने सरकार से सहायता के लिए दामन फैलाया | यह परिवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मदद की गुहार लगाईं है |अब आयांश को विधान परिषद् के कार्यकारी सभापति ने कहा है कि- सरकार ने संज्ञान में लिया है , प्रावधान के अनुसार इसके लिए प्रयास होगा |
बच्चे का इलाज बैंगलोर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेस की देखरेख में चल रहा है | अब आयांश की जिंदगी को बचाने के लिए 16 करोड़ रुपये की व्यवस्था कब उपलब्ध होती है ? और साथ हीं यह भी बता दे कि - इस बिमारी में सिर्फ एक हीं इंजेक्शन पड़ने है , जिसकी कीमत 16 करोड़ है |
सूचना के आधार पर - टीका बनाने वाली कंपनी का नाम "नोवार्टिस" है , यह स्विटजरलैंड की एक कंपनी है | यह कंपनी हर साल इस बीमारी से ग्रसित 50 रोगियों को मुफ्त में टीका मुहैया कराती है | इस टीके की कीमत 16 करोड़ है , जो टैक्स जोड़कर 22 करोड़ रुपया में उपलब्ध हो पायेगा |
इससे पूर्व भारत सरकार ने इस टीके को भारत के बच्चों को लगाने के लिए अपना टैक्स माफ़ कर दिया था | जिससे 22 करोड़ का यह इंजेक्शन 16 करोड़ में उपलब्ध हो सका , जिसे एक बच्ची को दिया जा चूका है | बच्ची का नाम इशानी है और यह बच्ची 21 माह की है | अभी इसे छह माह तक डॉक्टर की निगरानी में रहना है , जिसकी जानकारी हम आगे आपको देंगे | इशानी को यह इंजेक्शन 17 जून को दिया गया है और यह इंजेक्शन उन्हें कंपनी की तरफ से बिल्कुल फ्री में मिला है | इस दम्पति ने नोवार्टिस कंपनी का शुक्रिया अदा किया है |
आज के आधुनिक दौर में जहाँ लोग उंचाई की तरफ आगे बढ़ रहे हैं , वहीं दूसरी तरफ उन्हें घोर कठिनाई का सामना भी करना पड़ रहा है | चाँद पर पहुँचने के होड़ में यहाँ धरती के सुख हीं नसीब नहीं | आज न स्वस्थ वातावरण , न संस्कृति , न खानपान , न पानी , अमृत के समान दूध भी अब जहरीला हीं बिक रहा है बाजार में | यहाँ तक कि अब तो पूर्णरूप से स्वच्छ मिजाज भी नहीं रहा मनुष्य के अन्दर , तो कहाँ से वह स्वस्थ जीवन जी पायेंगे और गर जीवन हीं स्वस्थ नहीं रहा तो फिर स्वस्थ बच्चे कैसे जन्म ले सकते है धरती पर |
अब तो सिर्फ इंजेक्शन पर हीं चलानी तय हो रही है जिंदगी , जहाँ रुपईया से सैकड़ा और सैकड़ा के बाद हजार , फिर लाख और करोड़ के बाद करोड़ों के दाम में इंजेक्शन उपलब्ध होना तय होता जा रहा है | अब छोटे बच्चे को जिंदगी बचानी हो तो करोड़ों में इंजेक्शन तो खरीदने हीं होंगे अन्यथा खोने के लिए तैयार होन पड़ेगा अपने जिगर के टुकड़े को | आज ऐसा लगा रहा है कि हम जी नहीं रहे हैं , यह जिंदगी , सिर्फ चिंता की चिताओं पर सजाई जा रही है | वह वक्त भी बहुत जल्द आने वाला है जहाँ मनुष्य के पास चिंतन करने का भी समय नहीं रहेगा | अगर इसे हीं आधुनिकता कहा जा रहा है , तो ऐसा आधुनिकता का जामा आखिरकार कौन पहनना चाहेगा ?
मगर यह सच है कि अब इलाज बहुत महंगा पड़ने वाला है | अभी भारत में कुछ नवजात शिशु ऐसे हैं जिनकी जिंदगी बचाने लिए उन्हें 16 करोड़ का इंजेक्शन लगाया गया है और ये सभी बच्चे मध्यमवर्गीय परिवार के हैं | माता - पिता का तो जान हीं निकल गया , यह सुनकर कि - बच्चे को बचाने में 16 करोड़ रुपये के एक इंजेक्शन लगाने पड़ेंगे | यह तो सिर्फ इंजेक्शन का खर्च है , बाकी हॉस्पिटल और डॉक्टर का खर्च अलग से जोड़ा जा सकता है |
अपने भारत को हम सोने की चिड़िया भी कहते है , तो इस सोने की चिड़िया के आँचल में इनके बच्चों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर जुटा लिए धन और बचा लिए अपने बच्चों को जिंदगी |
16 करोड़ का यह इंजेक्शन अमेरिका बनाती है | इस इंजेक्शन को अमेरिका , जर्मनी और जापान से ख़रीदा जा सकता है | सोशल मीडिया के जरिये से धन इकठ्ठा कर बच्चे की जिंदगी बचाई जा रही है | लेकिन सोंचने वाली बात है कि ऐसे हीं बीमारी बढ़ती चली गई तो बच्चों को बचाना कितना मुश्किल हो जायेगा | ....... ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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