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बीते 2 जनवरी साल का दूसरा दिन भी खाली न गया और लोगो ने अपनी चाहत से दुनिया को अलविदा कहा |
नवोदय विद्यालय चुरहट के आठवीं का छात्र अमित प्रजापति ने रुसवाई से परेशान होकर फांसी लगा ली | कहा गया है - धन चोरी चला जाए तो कमा लेने की चीज है परन्तु अगर प्रतिष्ठा में आंच लग जाए तो कुछ लोग दाग मिटाने में लग जाते हैं वहीं कुछ बर्दाश्त नहीं कर पाते |
आज के इस कलयुग का नजारा तो देखिये जब बच्चे भी अपनी उम्र से काफी बड़े हो गए हैं | स्वयं में कमी होते हुए भी उसे उजागर होते नहीं देख सकते | माँ - पिता , परिवार व स्कूल के टीचर्स भी उन्हें आरंभिक दौर में पतंग की तरह ढील देकर आसमान में ढीला छोड़ देते है जो बहुत दुखद है |
बात 19 दिसंबर की है - जब टीचर अजीत पाण्डेय ने अमीत प्रजापति की बेइज्जती सभी बच्चो के सामने किया | कारण था - किसी दूसरे बच्चे का कोई सामान चुरा लेने की शिकायत के बाद वह सामान अमीत के पास से निकली और फिर टीचर अपनी मौजूदगी में सबूत पाकर अमीत का गहरा क्लास ले लिया |
अमित मध्यप्रदेश में सीधी जिले के पड़खुरी 588 गाँव का रहने वाला था | अमित अपनी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर सकता और अपने मन पर काफी गहरा प्रभाव को जब्ज कर जीता रहा |
20 दिसंबर को स्कूल के प्रबंधन टीम ने यह बात अमीत के परिवार से कही | अमित के पिता स्कूल आकर अपने बेटे को साथ घर ले गए | जानकारी के आधार पर - अमित की माँ ने बच्चो को समझाया मगर उनका समझाना और लाड काम नहीं आया , क्यूंकि आज के बच्चे थोड़े में समझते नहीं और परिवार वाले बच्चो पर ज्यादा समय खर्च करना पसंद नहीं करते |
बातों को बहुत हल्का लेते हुए अमित के पिता छतीसगढ़ चले गए | क्लास में बच्चो के सामने हुई बेइज्जती को अमित मन से निकाल न सका और 14 दिन के बाद का असर देखा जा सकता है कि अमित आज इस दुनिया में नहीं |
अमित ने फांसी तो लगा ली , जिंदगी का अंत हो गया मगर ऐसे बच्चो के दिलो पर कितने निशान पड़े होंगे ? काश ! बच्चो की इस मासूमियत भरे मन को टीचर्स और अभिभावक पढ़ पाते तो यह दिन भारत को नहीं देखना पड़ता |
अमित के पिता छतीसगढ़ में मिट्टी के इंट बनाने वाले कारीगर है | बेटे की मौत के बाद उनकी घर वापसी हुई |
पुलिस को अमित के पास सुसाईड नोट मिली है जिसमे लिखा है - प्रणाम पिता जी , मेरे को पता है कि आपको बहुत दुःख होगा | मैंने यह रास्ता अपनाया क्यूंकि मै बहुत गन्दा हो गया था | अन्दर से मै अपनी गन्दी आदत को नहीं छुड़ा पाया | साथ हीं अमित ने लिखा - एक बात बताइये ..... कभी गलती हो जाए तो क्या माफ़ नहीं किया जा सकता ? मुझे ऐसा लगता है - गलती माफ़ की जा सकती है !
अमित ने बहुत कुछ अपने सुसाईड नोट में लिखा है साथ हीं उन्होंने टीचर अजीत पाण्डेय के लिए भी लिखा कि उन्होंने मुझे बहुत गन्दी गन्दी गालियाँ दी | मेरे मम्मी - पापा को भिखारी कहा और भी बहुत कुछ ...... | एक महत्वपूर्ण बात जो अमीत ने लिखा - टीचर ने मुझे कहा कि - जहर खा के मर जा या फिर कहीं जाकर फांसी लगा ले |
अमित ने अपने पिता से कभी भी शराब न पीने की अपील भी की है | अमित ने चोरी की , अपनी गलती को स्वीकार भी किया | बेहतर था कि यह बाते पिता तक नहीं पहुँचती क्यूंकि स्कूल एक शिक्षा का मंदिर होता है और टीचर्स ......... ! ऐसे में टीचर्स को हीं अपने बच्चो के बीच अच्छी सोंच , अच्छे व्यक्तित्व को भरना चाहिए था और बाते वहीं ख़त्म हो जाती | अंग्रेज ने "सॉरी" छोड़ रखा है ,अमित से सॉरी बुलवा लेना काफी था |
ऐसा कहा गया है - क्षमा वरण को चाहिए छोटन का अपराध | शिक्षक महोदय शायद इस पंक्ति को पढ़ना भूल गए होंगे या फिर पढ़ा ही नहीं |
अमित ने टीचर पर कड़ी करवाई की भी विनती की है |
अमित ने क्या चुराया था ?
ड्राइंग बॉक्स , कॉपी , कुछ पैसे | अमित ने डाका तो नहीं डाला था न रिवाल्वर निकाली थी | हाँ चोरी की थी जो ठीक नहीं था बावजूद अमित को सारे बच्चो के सामने जलील करना एक शिक्षक को शोभा नहीं देता मगर देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे टीचर्स की कमी भी नहीं जो बच्चो की छोटी - मोटी गलती पर सीख - सबक नहीं देकर उन्हें सबके सामने गालियों से रंग देते हैं | ऐसे टीचर्स पर करवाई तो होनी हीं चाहिए |
भारत ने एक बेटे को असमय खो दिया | पता नहीं इस देश में वह कौन सा रंग बिखेरता और देश की तरक्की होती ? खैर ....... बच्चो को भी उतावला नहीं होनी चाहिए और अभिभावक का बच्चो पर समय खर्च न करना भी बेईमानी है | .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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