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सुपरटेक ट्विन टावर जो देश की सबसे ऊँची ईमारत है , कल रविवार 28 अगस्त को इसे ध्वस्त किया जाना है | 9 सकेंड के भीतर यह ईमारत विलुप्त हो जाएगा |
800 करोड़ की भी ज्यादा की लागत से निर्माण किया गया "ट्विन टावर" जो अभी भी अधूरी अवस्था में है , इसकी खूबसूरती में या व्यवस्था में चूक के कारण इसे सुप्रीमकोर्ट ने अवैध घोषित करते हुए इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया है |
डायनेमो से करेंट उत्पन्न करने के बाद इसमे लगाए गए विस्फोटक प्रज्वलित होकर बिल्डिंग को ध्वस्त करने में मदद करेगा | ब्लास्ट का फाइनल बटन "चेतन दत्ता" दबायेंगे | चेतन दत्ता एक भारतीय ब्लास्टर है , इनके साथ ब्लास्टर जोशफ ब्रिक्समैन सहित अन्य 6 लोग 100 फीट के दायरों में मौजूद रहेंगे |
आसपास में बने 6 सोसाइटी के लिए गाइडलाइन जारी किया गया | भारत के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी ईमारत ध्वस्त होगी | कुतुबमीनार से भी ऊँचा है नोएडा का ट्विन टावर जिसमे 35 हजार टन से भी ज्यादा मलबा निकलने की संभावना है | 3000 से भी ज्यादा फ्लैट्स का मलबा नीचे गिरने वाला है |
चेतन दत्ता इस भव्य ईमारत को वगैर नुकसान गिराने की बात कही और बताया कि - इस ईमारत को गिराने में 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया जा रहा है | ब्लास्टिंग क्षेत्र लोहे की जाली की 4 परतो और कम्बल की 2 परतो से ढका हुआ है , इसलिए मलबा का छिटकाना संभव नहीं | हाँ धूल के उड़ने की संभावना रहेगी जिसे थमने में आधे घंटे का वक्त लगेगा |
28 अगस्त की दोपहर 2 बजकर 30 मिनट के बाद इस भव्य ईमारत का नामोनिशान मिट चूका रहेगा और इस मलबे को साफ़ करने में 3 से 4 माह का समय लगने वाला है |
नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के बीच मिली भगत का परिणाम है की इसे ध्वस्त किया जायेगा | ब्लास्ट के दौरान भवन के आसपास के विशेष क्षेत्र में ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं होगी | इसके आसपास 2 सोसाइटी - एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के सभी नागरिको को बाहर रहने के निर्देश जारी किये गए हैं | चिन्हित स्थान तक मवेशी , वाहन या नागरिक अपनी दूरी बनाये रखेंगे |
इस वक्त फायर बिग्रेड , पुलिस दल , स्थानीय प्रशासन और मेडिकल टीम सहित हाई स्पीड कैमरा इसके कैच करने के लिए निगरानी में बनी रहेगी |
इस ट्विन टावर का निर्माण 2009 में आरम्भ हुआ जिसमे दोनों टावरो में 950 से भी ज्यादा फ्लैट्स बनाये जाने थे | परन्तु जिन लोगो ने फ्लैट्स ख़रीदे उन्होंने आरोप लगाया - बिल्डिंग के प्लान में बदलाव किया गया है जिसके बाद खरीदारों का एक ग्रुप बनकर 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में दस्तक दे दिया | जानकारी के आधार पर 133 खरीदारों को दूसरे प्रोजेक्ट में मकान दिए गए , वहीं 248 लोगो ने अपने पैसे वापस लिए | कुल 633 लोगो ने फ्लैट्स बुक कराये थे , 252 लोग ऐसे है जिन्हें न तो फ्लैट्स मिले और न ही पैसे वापस मिला | 2014 में कोर्ट ने इसे अवैध घोषित करते हुए गिराने का निर्देश दे दिया , साथ हीं नोएडा प्राधिकरण को भी फटकार लगाईं |मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा और वर्षो लग गए |
पीछे का पन्ना पलटे तो - 23 नवम्बर 2004 से जब नोएडा विकास प्राधिकरण ने सुपरटेक को नोएडा के सेक्टर 93A में हाउसिंग सोसाइटी निर्माण के लिए जमीन आवंटित की | 14 टावर और 1 शोपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण की इजाजत पाकर नक़्शे के अनुसार सभी टावर ग्राउंड सहित 9 मंजिला पास हो गया |
नोएडा के सेक्टर 93A के पास एमराल्ड कोर्ट में बने टावरो में से यह एक है | यह भवन शर्तो पर खड़ा नहीं उतरा जिसके बाद इसे अवैध घोषित कर दिया गया |
ध्यान देने की बात है - इसके ध्वस्तीकरण के समय छत पर से देखने , खिड़की या दरवाजा खुला रखने , फोटो लेने और विडियोग्राफी की अनुमति नहीं होगी | इस दरमियान लोगो से अपील की गई है कि ज्यादा से ज्यादा स्वयं को अलग रखकर सहयोग करे ताकि जानमाल का खतरा न हो |
एक
छोटी सी भूल के कारण लोग तो बेघर हुए हीं साथ हीं देश की इतनी सम्पति नष्ट
होने वाली है जिसका भुगतान कौन करेगा ? कहा गया है - रोटी , कपड़ा और मकान
इसपर देशवासियों का अधिकार है , मगर यह चूक होता रहा तो क्या लोगो की
मुठ्ठी खाली नहीं रह जायेगी ! ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या ,
एम० नूपुर की कलम से )
रिपोर्टर