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शक्ति की देवी "महिला" जिसकी ताकत धूमिल सी हो रही है और चूल्हे तक सिमित है | हम पूरी महिला समुदाय की बात नहीं कर रहे हैं मगर अधिकांशतः महिलायें आज भी अपने अधिकार से वंचित हैं |
सरकार ने हर स्तर से महिलाओं को उनके अधिकार देने की घोषणा कर निर्णय पारित किया | उनकी जागरूकता और उनके अधिकार के लिए कई अहम् फैसले लिए | यहाँ बात बराबरी की नहीं , बात अधिकार का है जो महिला शक्ति के हाथों से छिनता जा रहा है जिसकी जिम्मेदार स्वयं महिला है |
हम बात कर रहे हैं - आने वाले 2024 के गणतंत्र दिवस परेड की जिसमे सिर्फ महिलायें हीं हिस्सा लेने वाली हैं | 7 फ़रवरी को गणतंत्र दिवस परेड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का फैसला लिया गया था | यह फैसला "डी ब्रीफिंग" बैठक में लिया गया जो रक्षा सचिव "गिरिधर अरमानी" की अध्यक्षता में हुई थी | इस सभा में जल , थल , वायु सेना , गृह मंत्रालय , आवास एवं शहरी क्षेत्र मंत्रालय , शिक्षा मंत्रालय व संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अभियान के अनुरूप - महिला दस्ता कमांडरो और डिप्टी कमांडरों का चुनाव हुआ | महिलाओं को लड़ाकू भूमिकाओं में तैनाती के साथ - साथ कमान संभालने के अवसर दिए गए |
पिछले माह 29 अप्रैल को 5 महिला अधिकारीयों को आर्टिलरी रेजिमेंट में शामिल किया गया है जिसमे 2 पाकिस्तान और 3 को चीन की सीमा पर नियुक्त किया गया है |
महिलाओं को अपनी ताकत स्वयं पहचाननी होगी , साथ हीं वे अधिकार भी लेने व अपनाने होंगे जिसे संविधान में पारित किया गया है | महिलाओं की मुठ्ठी ताकत से भरपूर है मगर वे इस मुठ्ठी को ढीला छोड़ देती है तभी हाथ से फिसल जाते हैं हर अधिकार व ............. खैर !
अब 26 जनवरी 2024 को कर्तव्य पथ पर होने वाले परेड में सिर्फ महिलाओं का शामिल होना एक इतिहास रचेगा | झांकी व सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी सिर्फ महिलायें हीं नजर आयेंगी | यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने मिलिट्री फोर्सेस और परेड में शामिल होने वाली अन्य विभागों को चिठ्ठी लिखकर दी है |
हम अगर 2023 का पन्ना पलटे तो गणतंत्र दिवस परेड में नारी शक्ति थीम को अपनाया गया था जिसमे - महाराष्ट्र , त्रिपुरा , केरल , कर्नाटक , तमिलनाडु आदि राज्य की झाकियों में देखने को मिला |
समय - समय पर सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत सारे अहम् कदम उठायें हैं | आज एक बार फिर हम कहना चाहेंगे - महिलाओं को स्वयं अपनी ताकत पहचाननी होगी | सरकार ने यह ताकत सिर्फ सरकारी सेवा में शामिल महिलाओं को नहीं दी है , आप इस बात को भली भाँती समझ ले | महिलायें ख़ास हो , सामान्य या आम , यह ताकत महिलाओं की ताकत है जिसे आप अपना धरोहर समझ सकते हैं | ........... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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