Breaking News
सचिन वाल्मीकि धरती के एक ऐसे सपूत है , जो आज किसी परिचय के मोहताज नहीं |अपने बलबूते व हौंसले से अँधेरे को चीरकर सतरंगी सुबह लाने वाले सचिन वाल्मीकि ने अपने नाम को इतिहास के गोल्डन पन्ने में दर्ज करवाकर भारत को गौरवान्वित किया है |ये उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी के रहने वाले है |
सा रे गा मा पा - 2016 के टॉप 5 फाइनलिस्ट में एक नाम सचिन वाल्मीकि का आता है , जो अब करोड़ों दिलों में सुर दीपक जलाती हुई मन में इन्द्रधनुषी रंग को बिखेरते हुए , वातावरण को सिर्फ सुगन्धित हीं नहीं बनाती , बल्कि लोगों के मन पर कई उमंगो - तरंगो की हिलौरे भी पैदा करती है | जब - जब सुर , ताल , अलाप का दस्तक सुनाई पड़ता है , तब - तब करोड़ों दिलों की धड़कन में एक नाम सचिन वाल्मीकि का भी लिखा होता है |
2019 में सोनी टीवी से प्रसारित "सुपरस्टार सिंगर" रियलिटी शो में ये मेंटर / कैप्टन के रूप में नजर आये थे | इनके साथ सलमान अली , नितिन कुमार , ज्योतिका टंगरी भी कैप्टन के रूप में मौजूद रहे | इस शो को होस्ट किया था - जय भानुशाली ने और जज के रूप में स्टेज की शोभा बढ़ाने बैठे थे - अलका याग्निक , हिमेश रेशमिया और जावेद अली |
सचिन बिल्कुल साधारण लगे , परन्तु वे शालीन , सुन्दर , व्यक्तित्व के धनी कहे जा सकते है | कहा भी गया है - जिस पेड़ में आम लग जाए , तो वह स्वतः झुक जाता है | इनका पूरा नाम सचिन कुमार वाल्मीकि है | ये लोकप्रिय रियलिटी शो "सा रे गा मा पा" में हिस्सा लेकर मंच पर लगे भीड़ को चीरते हुए 5 चुनिंदा सिंगर में पहले पहल अपना नाम अंकित करवाया | फिर "सा रे गा मा पा" के स्टेज पर हलचल मचाते हुए दुनियां के दिलों पर घर बनाने के हकदार बनते हुए सुर का डंका बजाकर रौशनी फैलाई |
आज हम आपको उनके विषय में कुछ जानकारी दे रहे है और बहुत हीं जल्द उनसे आपको रूबरू भी करवाएंगे | हम सबसे पहले उनके व्यक्तित्व के विषय में थोड़ा विस्तार कर दे फिर कृतित्व के विषय में भी परिपूर्ण करवाएंगे -
मैंने जब भी उन्हें देखा , तो उनकी लवो पर अधखुली मुस्कराहट की अंगड़ाईयां गुलाब की बिखरी पंखुड़ी समेटती हुई दिखाई पड़ी और चहरे पर गीत की यह लाइन दस्तक देती हुई मालूम पड़ी , जिसके बोल है - "तुम इतना क्यूँ मुस्कुरा रहे हो , क्या गम है जिसको छुपा रहे हो" महसूस हुआ ! हो सकता है यह परिवार की जुदाई का असर हो ! क्यूंकि किसी भी व्यक्तित्व को कुछ पाने के लिए खोना भी पड़ता है | उनमे से एक सचिन भी है , जिसे मेरी आँखों ने जीया है |
सूचना के आधार पर हम आपको बता दे कि - इन्होने बहुत पहले हीं यह ठान लिया था कि उन्हें कुछ बनकर दिखाना है | 7 वर्ष की मासूम उम्र से हीं वे सहर के गुलाबी भोर से हीं आलाप के रंगों में स्वयं को रंगकर अपने व्यक्तित्व को निखारने , जादुई चमक लाने में लीन हुए | यह सच है कि - सुर , आलाप से सींचा गया पौधा आज कितना बड़ा बन गया , जो करोड़ों मन को ठंडक प्रदान करते हुए आगे की ओर बढ़ रहा है |
कहते है - धरती पर हीं स्वर्ग का अनुभूति होता है | सचिन के लिए जन्नत का सफ़र अब बहुत दूर नहीं | सचिन - तबला , ढोलक , किबोर्ड , ड्रम आदि के उस्ताद कहे जाते है | उगते हुए सूरज को सभी प्रणाम करते है | इनके लिए भी हम ऐसा हीं कह रहे है कि - जिन्होंने कभी सचिन के हुनर की कद्र नहीं की , आज वे कहते है कि - मैंने सचिन के लिए ये किया , मैंने वो किया | परन्तु सच्चाई का पर्दा कभी न कभी करवटे बदल लेता है | क्यूंकि सच उसे हीं माना जाएगा , जिसे सचिन वाल्मीकि अपनी जुबानी तय करेंगे |
फोटो :- अमर उजाला के सौजन्य से
मुश्किलों के दिन भी , जब कभी इनकी जिंदगी पर दस्तक दिया , तो वे दर्द भरी मुस्कराहट को लेकर आगे बढ़ते गए |अपने पिता के अस्वस्थ होने पर उनके कार्य को भी संभाला | इनकी जिंदगी की कुछ अंदुरनी बातें ऐसी है , जिन्हें अभी लिखना शायद उचित न होगा ! जब तक की सचिन अपनी जुबान से न बोल दे | मगर यह सच है कि - उन्हें बीच में हीं पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी थी , यह एक दुर्भाग्य था | परन्तु हम इसे उनका सौभाग्य मानते है , क्यूंकि दुःख के बाद हीं सुख का दरवाजा खुलता है | मंजिल तो किसी एक रास्ते से होकर हीं पहुंचती है |
सचिन वाल्मीकि एक समाज सेवक भी है , जिन्होंने निःशुल्क कई बच्चों को संगीत शिक्षा से परिपूर्ण करवाया है और कुछ बच्चे उनकी प्रतीक्षा में अभी भी पलकों पर इंतज़ार लिए रुके हैं |अपने माता - पिता के नाम से एक अनाथालय बनवाने की तमन्ना रखने वाले सचिन का उद्देश्य है कि - बच्चों के बीच वे अपना भरपूर प्यार , दुलार , खुशियाँ बाँट सके | जिस गम के समुन्द्र को तैरते हुए सचिन ने यहाँ तक का सफ़र तय किया , उस समुन्द्र को तैरने में बच्चे को कठिनाई का सामना न करना पड़े |
आरंभिक दौर में तो इन्होने कल्पना हीं नहीं की होगी कि - सपनों की नगरी मुंबई में वो बॉलीवुड के सितारों के बीच अपना सफ़र तय करेंगे और शाबासी पाएंगे | आज उनका सपना सच हुआ है , कई सपनों को सच करने में कदम आगे की ओर बढ़ता जा रहा है | अब उन्हें कई रियलिटी शो में आमंत्रित भी किया जाता है , ताकि उन्हें देखकर नए बच्चों का हौसला बुलंद हो |
इनके पिता का नाम मुन्ना लाल वाल्मीकि है और ये इनके पहले गुरु भी है | जिन्होंने इन्हें पहला गाना सिखाया , जिसके बोल है - "का करू सजनी आये न बालम" फिल्म "स्वामी" से है | इस गीत में भी बहुत दर्द है | शायद यह सच है कि - दर्द हीं दर्द का मलहम है ! जो आँखों की तूफ़ान को आंसुओं की धार से शांत कर ठंढक प्रदान करता है | इस गीत को सचिन घंटों आईने के सामने बैठकर गाया करते थे |
कहते है - सपूत का लक्षण पालने में हीं नजर आता है | पालने से निकलकर 7 वर्ष के उम्र में हीं इनके पिता ने इनके लक्षण को पहचान लिया था और निखारने में इनकी मदद की | आज हर उन सुर संगीत के बादशाह तक सचिन की पहुँच है , जिसकी कल्पना भी लोग नहीं कर सकते | ल्र्किन आप भी अपने सपनों का पंजा उठाइये , देखिये तो सही सितारों तक वह पहुँच रहा है या नहीं | अगर आसमान आपकी मुठ्ठी तक नहीं पहुँच पा रहा है , तो छलांग लगाइए | मेरा दावा है कि - आप पूर्णिमामयी चांदनी से रौशनी जरुर बटोर पायेंगे |हौसला बुलंद रखिये , ये मत भूलिए रौशनी आँधियों में भी जलाई जा सकती है |
क्यूंकि ये सच है - कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती | इसी का नतीजा है कि - 7 वर्ष की उम्र में गाया हुआ पहला गाना - "का करू सजनी आये न बालम" गाकर उन्होंने अपने बालम - सुर , ताल और अलाप को आज मुठ्ठी में कैद कर माँ सरस्वती के चरणों में अर्पित कर दिया है | आप भी पा सकते है अपने बालम को सचिन को अपनी प्रेरणा के रूप में मानकर | ........... ( मनोरंजन जगत से :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
रिपोर्टर