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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने पद को छोड़ देने की बात देश को समर्पित किया | उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा है कि - मैंने हाल ही में मुंबई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिला और उनसे राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने की बात कही | उन्होंने सोमवार को पद छोड़ने का एलान कर दिया |
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अब अपना बचा हुआ जीवन लिखने - पढ़ने व दूसरी गतिविधियों में बिताना चाहते हैं | बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि कोश्यारी एक मजे हुए लेखक भी हैं |
आखिर ऐसा क्या हुआ कि राज्यपाल महोदय अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होने की बात लिख दी ?
तो 19 नवम्बर को औरंगाबाद के एक विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शिवाजी महाराज को पुराने दिनों का आइकॉन कहा था | इस सभा में भाजपा नेता नितिन गडकरी , NCP प्रमुख शरद यादव भी मौजूद थे | राज्यपाल महोदय ने सभी के सामने बाबा साहब अम्बेदकर और केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को आज के ज़माने का आइकॉन बताया |
उनके इस विचार से विपक्ष के नेता उनपर हमला बोल दिया और उनसे इस्तीफे की मांग कर बैठे | मामला तो पहले भी उतार - चढ़ाव का रहा और इनकी बातों पर पूर्व में भी विवाद रहा |
भगत सिंह कोश्यारी राजनीति में अपनी सादगी व शालीनता के लिए प्रसिद्ध है |
शिंदे गुट ने भी कोश्यारी के ब्यान पर विरोध किया था |
संजय राउत ने कहा - राज्य में गवर्नर की गरिमा समाप्त हो गई | समझा जा सकता है कि यह निशाना राज्यपाल महोदय के लिए था और यह भी कहा था कि - हम उन्हें गवर्नर मानने के लिए तैयार नहीं है |
वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समूह के शिवसेना विधायक संजय गायकवाड ने आज भाजपा से राज्यपाल को हटाने की मांग कर दी | गायकवाड ने कहा - राज्यपाल को इतिहास की जानकारी नहीं है , उन्हें राज्य से बाहर भेज देना चाहिए |
राज्यपाल कोश्यारी के ब्यान ने उन्हें पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया | शांत , सुलझे , विचारधारा व व्यक्तित्व के धनी कोश्यारी ने मुंबई में आर्थिक राजधानी होने का क्रेडिट भी यहाँ रहने वाले राजस्थानियों और गुजरातियों को दे दिया था जिसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर अपनी विचारो का संशोधन करना पड़ा |
बात निकलती है तो उलझते हुए बड़ा लम्बा जाता है जिसमे ठहराव नजर नहीं आता |
पूर्व मुख्यमंत्री उर्द्धव ठाकरे ने भी कहा कि - भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में हर चीज का आनंद लिया अब वह समय आ गया है कि अब वो कोल्हापुरी चप्पल भी देखे |
बात यहीं नहीं थमी | आज राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी विवादों के कारण स्वयं को इस उलझन से नई जिंदगी में प्रवेश लेना चाहते है | 6 दिसंबर को उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा और सलाह मांगी थी |
मनसा के संस्थापक राज ठाकरे ने भी उनके उस ब्यान पर लिखा - अगर आपको इतिहास की जानकारी ना हो तो मत बोले | राज्यपाल एक प्रतिष्ठा और सम्मान का पद है इसलिए लोग आपके खिलाफ बोलने से बचते हैं लेकिन आपके बयानों से महाराष्ट्र की जनता की भावनाएं आहत होती है | महाराष्ट्र में मराठी मानुष ने अपना दिल और जमीन ठीक से रखी है तभी तो दूसरे राज्यों के लोग यहाँ व्यवसाय करने आये और आ रहे हैं |
मराठी मानुष को नहीं उकसाने जैसी बातें लिख दी जिसके बाद परिस्थिति को देखते हुए राज्यपाल महोदय ने अपने दिए हुए ब्यान में बड़ा अच्छा पत्र सोशल मीडिया पर डाल दिया जो मराठी मानुष को संकू देने वाला था |
सोमवार को कोश्यारी ने पद छोड़ने की बातें देश के सामने रख दी | ये उतराखंड के कुमाऊं के रहने वाले हैं | 16 जून 1942 को इसी क्षेत्र के बागेश्वर जिले के कपकोट प्रखंड के एक गाँव में इनका जन्म हुआ था |
राज्यपाल महोदय का जीवन दर्शन और गतिविधि बहुत जल्द हम आपके सामने प्रस्तुत करेंगे | फिलहाल हम इतना हीं कहना चाहेंगे - छोटी सी एक भूल ने सारा गुलशन जला दिया | कभी - कभी माहौल देखकर शरबत भी फूंककर पीनी चाहिए मगर ऐसा सबके वश में होता कहाँ है ? ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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