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आज गुरुवार को बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार व डिस्को किंग कहे जाने वाले बप्पी दा की अंतिम यात्रा निकाली गई | इनकी पार्थिव शरीर को फूलों से सजा ट्रक पर रखा गया जहाँ लोगो के मन में आसूं की झड़ी गिरती रही | लोगो ने इन्हें विलेपार्ले के श्मशान घाट तक पहुंचाया |
इनके बेटे बप्पा बुधवार देर रात अमेरिका से मुंबई पहुंचे , इसलिए बप्पी दा के पार्थिव शरीर को बेटे के लिए इंतज़ार करना पड़ा |
बप्पी दा की मृत्यु मंगलवार रात 11 बजकर 45 मिनट पर जुहू स्थित क्रिटी केयर हॉस्पिटल में हुई , जहाँ उन्होंने अपनी बेटी रीमा की गोद में हीं अंतिम सांस लेकर दुनियां को अलविदा कहा | एक बेटी के दिल पर उस वक्त क्या गुजरा होगा ? यह शब्दों में व्यक्त कर पाना संभव नहीं |अपने पिता के मृत शरीर को थामकर वह फूट फूटकर रो पड़ी जो अभी तक कायम है |
फूलो से लदा अंतिम यात्रा के लिए तैयार शरीर पर वह इस कदर बिलख कर रो पड़ी जैसे किसी बच्चे का खिलौना उससे छीन गया हो | परिवार के सदस्य इन्हें शरीर से हटाते हुए सत्वाना देने के प्रयास में लगे रहे , मगर अब संभव नहीं कि बप्पी दा के हाथ उनकी आंसू को पोछ सके |
अस्पताल से जब इन्हें घर लाया गया तो बॉलीवुड के कलाकारों के आने का ताँता लग गया | जिसने भी सुना उनके कदम बप्पी दा के घर की तरफ दौड़ पड़ा | यह एक ऐसा सदमा है जिसे पाट पाना संभव नहीं | क्यूंकि यह नियति है - हर कोई इस सदमे को छोड़कर किसी और दुनियां में रुखसत हो जाने पर मजबूर होते है |कौन चाहेगा भला इस खुबसूरत दुनियां को यूँ हीं अलविदा कह देना |
जीवन की सच्चाई से मुंह मोड़ा नहीं जा सकता | पांच तत्व से बना चलता फिरता शरीर , इसी मिट्टी के हवाले कर दिया गया | बची रह गई सिर्फ यादें जो संगीत के हर पन्ने में सिमटा रहेगा और जब जब कोई धुन छेड़ेगा तो उनकी आँखों में बप्पी दा की सूरत नजर आएगी |
सोना से सजा जिश्म आज राख की ढेर बन गया , जिन्होंने अपने देश को अपनी धुन से सुप्रभात किया | ऐसी आत्मा , परमात्मा के द्वारा दिया गया एक अनमोल व अनोखा उपहार होता है जो देश की धरती पर जन्म लेकर रौशन करते है दुनियां को | जिसमे सिर्फ व्यक्ति नहीं देश का नाम भी गौरवान्वित होता है |
आशा भोसले ने नाम आँखे व रुआंसे मन से बोला - एक गाने वाली और एक म्यूजिक बनाने वाले दोनों चले गए | यह बाते बहुत के दिल को छू गया और रोंगटे खड़े कर दिए | सुनकर ऐसा लगा - रिक्त हो गया लय और धुन की लड़ियाँ | मगर आज भी इसी धुन के साथ , इसी लय के साथ लोग उन्हें सदियों सदी याद करेंगे | ऐसी आत्मा मरती नहीं सदैव इतिहास बनकर जिन्दा रहता है पन्नो में |
लोग यह जानना चाहेंगे कि - इनकी मृत्यु आखिरकार किस कारण हुई ?
तो बप्पी दा पिछले एक साल से OSA संक्रमण से पीड़ित थे | यह बहुत हीं खतरनाक बीमारी है जिसमे इंसान को सही तरीके से साँस लेना मुश्किल हो जाता है और नाक बंद हो जाने के कारण मुंह से साँस लेना पड़ता है जिससे शरीर को काफी कष्ट होता है | क्यूंकि साँस की गति फेफ़रे से जुड़ा है |
साढ़े चार दसक से ज्यादा बॉलीवुड में अपनी हुनर और योग्यता का रंग बिखेरने वाले बप्पी दा 29 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे | 15 फ़रवरी को उन्हें डिस्चार्ज किया गया , मगर घर आते हीं उनकी तबियत पुनः खराब हो गई, जिसके बाद फिर से उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया , जहाँ उन्हें बचा पाना मुश्किल हुआ |
"याद आ रहा है तेरा प्यार" गीत में संगीत
बिखेरने वाले के प्यार को भारत कभी भूला नहीं पायेगा | ........ ( मनोरंजन
की दुनियां :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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