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नालंदा जिले में 25 नवम्बर को एक चार्जसीट जारी की गई , चार्जसीट एक चार वर्षीय किशोरी के साथ अननेचुरल सेक्स का मामला दर्ज था | जिस किसी की नजर व ध्यान पड़ा उसके पाँव से मानो जमीन फिसलता हुआ जान पड़ा | यहाँ तक की कोर्ट ने भी कहा दिया - किशोरों में आ रही है पशु प्रवृति |
जज साहब का यह कहना कि "किशोर के अन्दर आ रही पशु प्रवृति" इसे आप हल्के में न ले | विस्तार से हम बता दे कि - यह बात तब कही गई है जब बिहार के नालंदा जिले के बिहारशरीफ में किशोर न्यायपरिषद् ने एक किशोर को 3 साल की सजा सुनाई , वह भी चार्जसीट दाखिल करने के दो दिन के अन्दर | यह निर्णय काबिले तारीफ है | कुर्सी की गरिमा और भी सुदृढ़ जान पड़ने लगी | अब देश के किशोर वर्ग को कुछ भी गलत करने से पहले सोंचना पड़ेगा और काँप उठेंगे परिवार जिन्होंने बच्चो को ढील दे रखी है |
पिछले 8 अक्टूबर को 4 साल की मासूम के साथ गाँव का एक किशोर अननेचुरल सेक्स करने का आरोपी बना | मामला जब सामने आया तो परिषद् के प्रधान न्यायधिष मानवेन्द्र मिश्र की कलम न्याय की तरफ चल पड़ी और उन्होंने अपराधी बने किशोर को 3 साल की सजा सुना दी |
आपको बता दे कि - बिहार देश का वह पहला राज्य है जहाँ एक दिन में हीं न्याय और सजा देने की बाते भी दर्ज की गई है | जहाँ ऑन द स्पॉट निर्णय की घोषणा वाली कहावत दर्ज की गई और यह एक रिकॉर्ड बना | यह घटना बिहारशरीफ का है - बच्ची की उम्र 11 वर्ष | अपराधी का नाम कृष्ण मोहन रविदास , सजा की अवधी 25 वर्ष की उम्र कैद | इसके साथ हीं 50 हजार रुपये का जुर्माना और पीड़िता को 7 लाख रुपये की राहत |
कुर्सी पर बैठे न्यायधीश शशिकांत राय का निष्पक्ष फैसला जिन्होंने "देश की बेटी हमारी बेटी" का एक जीता जागता सबूत पेश किया | ऐसे न्यायधीश को देश का सैल्यूट |
हम बात कर रहे थे न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्र की जिन्होंने इस केस में सिर्फ दो दिन के अंदर बेटी के साथ हुए जुर्म की पीड़ा को महसूस करते हुए सिर्फ दो दिन में अपना निर्णय सुनाने का सख्त कदम उठाया |
आज उस मासूम बेटी के परिवार के दिलो पर राहत व सकून का थोड़ा सा शबनम की बारिश तो जरुर हुई होगी , जहाँ सजा के लिए पीड़िता व पीड़िता के परिवार को वर्षो इंतज़ार करना पड़ता है और न्याय के लिए आँखे पथरा जाती है |
जज साहब ने फैसला सुनाते वक्त रामायण और महाभारत के उदहारण भी पेश कर दिए और कहा कि - जहाँ नारी की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते है | अपने भारत में कुमारी कन्या को देवी स्वरुप मानकर पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है |
याद करने की बात है कि - नारी के अपमान का बदला लेने के लिए रामायण के इतिहास पर नजर डाले तो भगवान श्री राम दूसरे देश में जाकर रावण का अस्तित्व हीं नष्ट कर दिया था | ऐसे देश के किशोर वर्ग में पशु प्रवृति आना निश्चिन्त रूप से चिंता का विषय है | किशोरों में महिलाओं के प्रति अच्छे संस्कार और सम्मान को कायम रखने व विकसित करने के लिए हमें अपने समाज में जागरूकता लाने की निहायत जरुरी है |
4 वर्ष की मासूम बच्ची को इमली चौकलेट और खिलौना देने के बहाने बुलाकर मासूम के साथ 14 साल के किशोर ने शर्मनाक हड़कत कर सिर्फ अपने परिवार का हीं सर नहीं झुकाया , बल्कि इस उम्र के बच्चे को भी शर्मसार कर दिया | हमारा देश आज एक बार फिर सोंचने पर मजबूर हुआ कि - क्या हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता का यहीं जीता जागता स्वरुप है ! और देश का भविष्य ऐसे किशोर के हाथ में सौंपी जायेगी ?
5 लोगो की गवाही साक्षात सबूत बना | साक्ष्य / सबूत व गवाहों पर विशेष ध्यान रखते हुए चौदह वर्ष के किशोर को 3 साल की सजा सुना दी गई है |
आप इस घटना से वाकिफ हुए | हमारा काम है - घटना को आप तक पहुँचाना औए सचेत रहने के लिए आग्रह / विनती और सलाह देना , जो हमने किया | परन्तु यह अभिभावक / समाज का फर्ज बनता है कि - वे अपने बच्चो की सही ढंग से पालन पोषण करे | बहकते हुए कदम को रोके , जरुरी नहीं की पुरानी कहावत को जो लोग कहते आये है - "बेटा तो घी का लड्डू होता है , टेढ़ा भी भला" | अब यह उदाहरण बहुत जल्द टूटकर बिखरने वाला है | देश को नहीं चाहिए टेढ़ा लड्डू , तो परिवार अपने बच्चो को सचेत करे , ताकि उनके कदम अपराध की तरफ न बढ़े | अन्यथा किशोर को तो सजा मिलेगी हीं , परन्तु माँ - बाप , परिवार और समाज उस किशोर की सजा सुन तड़प उठेंगे | हालात को रोकिये , यह हमारा फर्ज और कर्तव्य है | क्यूंकि हमें ऐसा लगता है कि अब न्यायाधीशगण उदहारण नहीं देंगे , उदहारण बनेंगे |
एक बार फिर ऐसे न्यायाधीशों को देश का सैल्यूट | आप है तो देश का न्याय सुरक्षित है , हम सुरक्षित है | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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