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पोथी पढ़ि - पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोय , ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होए | प्रेम का कोई एक रूप , रंग , सौन्दर्य नहीं होता | प्रेम का इन्द्रधनुषी आभा तो पुरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है , जिसे समेटना मुमकिन नहीं | जहाँ प्रेम नहीं वहां कुछ भी नहीं | निःस्वार्थ भरा प्रेम में ऐसा कशिश व आकर्षण है कि आप इससे किसी को भी और कभी भी अपने वश में कर सकते है |
इसलिए लिखने वाले ने इस बात को बखूबी अनुभव करके लिखा है कि - भक्त के वश में है भगवान | जहाँ भक्त और भगवान की बात आती है , वहीं एक अद्दभुत गुलाबी प्रेम उत्पन्न होता है , जो मन को ठंडक देता है | सागर से भी गहरा जिसका कोई थाह नहीं | ऐसे तो प्रेम की कई परिभाषायें है और कई उदहारण भी , परन्तु लोगों की जुबान पर अक्सर एक हीं नाम आता है | वह है श्री हनुमान का यानि श्री राम भक्त हनुमान | कभी भी , कहीं भी जब आपकी बातों पर लोग भरोषा नहीं करते है तो आप उनसे नाराज होकर बोल पड़ते है - हम हनुमान नहीं , जो दिल चीर कर दिखला दें | यानि अपनी सत्यता को रौशनी दिखलाने के लिए हमें ऐसे उदाहरन का सहारा लेना पड़ता है |
इतनी सारी बातों के बीच हम आपको एक सुखद सन्देश भी दे दें कि , आज श्री राम भक्त हनुमान का जन्म दिवस है , जिसे हम हनुमान जयंती के नाम से जानते है | यह चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है | आज के हीं दिन हनुमान का जन्म हुआ ऐसा माना जाता है | हनुमान को कलयुग के सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना गया है | इनका जन्म श्री राम की सहायता के लिए हुआ | इसी लिए भोले शंकर ने स्वयं श्री राम की सहायता के लिए इस धरती पर हनुमान के रूप में 11 वां अवतार लिया है | इस धरा पर जिन सात मनुष्यों को अमर्त्य का वरदान प्राप्त है उनमे बजरंग बली भी है |
आज मंगलवार है और त्रेता युग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को भी मंगलवार था , उसी दिन चित्रा व मेष लग्न के योग में सुबह 6 : 03 बजे भारत के झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजम नामक छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में माँ अंजनी द्वारा इनका जन्म हुआ था | इन्हें बजरंग बली के रूप में जाना जाता है , इसलिए की इनका शरीर वज्र की तरह है | वहीं इन्हें पवनपुत्र और मारुति भी कहा जाता है |
अक्सर इनका रूप बानर मुख जैसा दिखाया या दर्शाया जाता है | कंधे पर जनेऊ और लंगोटी पहने शरीर अनावृत , मस्तक पर स्वर्ण मुकुट एवं शरीरों पर स्वर्ण का आभूषण के साथ सिंदूर का जमावड़ा , वैसा हीं रंग मानो सिंदूर से नहलाये गए हों | रामायण की पांचवी पुस्तक सुन्दर काण्ड श्री हनुमान के चरित्र पर आधारित है | श्री राम के 14 वर्ष वनवास के बाद हनुमान इनके सहयोगी बने | सोलहवीं शताब्दी के भारतीय कवि तुलसी दास जी ने हनुमान को समर्पित एक हनुमान चालीसा लिखा | जो भक्तो का दुःख हरने व मनोरथ पूर्ण करने , शत्रुओं पर विजयी प्राप्ति और शक्ति से भरपूर होने का एक संजीवनी है |
हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है | उनके जन्म दिवस के रूप में यानि आज और दूसरा विजय अभिनन्दन समारोह के तौर पर | इस दिन माँ सीता ने श्री हनुमान में समर्पण और भक्ति देखा था , तो उन्हें अमरता का वरदान दे दिया | इसलिए दीपावली के दिन भी हनुमान जयंती मनाई जाती है जो बहुत कम लोग जानते हैं |
ऐसा कहा गया है कि सब देवो के देव तुम्हीं हो , हर - हर - हर महादेव और हनुमान शिव के अवतार है | तो इस धरती पे शिव से बड़ा ना कोय यहीं सत्य है और इनकी शक्ति ऐसी की तीनों लोकों में मच गया हाहाकार | ये तब हुआ जब माँ अंजनी एक दिन बाल हनुमान को कुटी में लिटाकर कहीं चली गई | थोड़ी देर बाद हनुमान को तेज भूख लगी | अचानक उनकी नजर आकाश में उगते हुए सूरज की तरफ गया | इन्होने समझा की लाल - चंपा रंग का कोई मीठा फल है और उन्होंने बस एक हीं छलांग में सूर्य भगवन के पास जा पहुंचे और अपनी नन्हीं उँगलियों से पकड़कर मुंह में रख लिया | उसी तरह राहू के साथ भी होने वाला था | राहू को हनुमान ने देखा तो उन्हें लगा कि यह भी कोई काला फल है | जैसे हीं वे उनके तरफ झपटते की राहू बचकर भाग गया | तभी देव राज इंद्र ने हनुमान पर ब्रज का वार कर दिया , जिससे हनुमान बेहोश हो गए | यह देखकर वायुदेव को क्रोध आ गया , उन्होंने समस्त संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया और चारो तरफ अँधेरा भी था | तो ! हनुमान को मनाने के लिए बहुत सारे परिश्रम करने पड़े और परम पिता ब्रह्मा फिर हनुमान को होश में लाये और मन्नतों के बाद , सारे देवताओं ने अपनी - अपनी शक्ति हनुमान को दी | सूर्य ने अपना 100 वां भाग शक्ति और सौर्य हनुमान को प्रदान की , तब जाकर हनुमान ने अपना मुंह खोला |
बहुत जल्द मान जाने वाले हैं हनुमान | इन्हें अगर खुश रखना है तो इनके सामने सिंदूर की पोटरी खोल दीजिये , उन्हें सिंदूर से नहला दीजिये और फिर देखिये आशीर्वाद का कमाल | माँ सीता को सिंदूर लगाते देख , श्री हनुमान ने अपने पुरे शरीर को सिंदूर से भर लिया था और ये सब उन्होंने श्री राम के लम्बी उम्र के लिए किया है |
श्री हनुमान ने 3 विवाह किया , उनके पुत्र भी हैं लेकिन उन्हें ब्रह्मचारी कहा जाता है | उनकी पहली पत्नी सुवर्चला , दूसरी अंनगकुसुमा , तीसरी सत्यवती व पुत्र मकरध्वज |
आज सम्पूर्ण देश में हनुमान जयंती काफी धूमधाम से मनाई गयी | साथ हीं श्री राम महोत्सव के 15 दिवसीय कार्यक्रम का समापन विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा किया गया | इस 15 दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अपने देश , विश्व से कोरोना का नामो निशान मिटा देना भी था | .... ( फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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