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जुर्म करना और जुर्म सहना दोनों हीं गुनाह के दायरे में आता है , भले हीं वह स्वयं के लिए क्यूँ न की गई हो ?
बीते शनिवार की रात MBA की एक छात्रा ने स्वयं अपना गला काटने की कोशिश की | आखिरकार यह विचार उसके मन में कैसे पनपा ? यह सोंच का विषय है ! अपनी कटी हुई गले की तस्वीर Whatsapp पर अपनी एक सहेली को भेजा , जिसका नाम गौरी है | गौरी जैसे हीं इस तस्वीर को देखी , तो अपनी सहेली के घर पहुंची और इस बीच उसके घर वालो को इस बात की जानकारी दी | कहा कि - देवश्री देशमुख ने अपना गला ब्लेड से काट लिया है |
शनिवार देर रात की यह घटना है | परिवार देवश्री को लेकर महाराजा यशवंत राव चिकित्सालय पहुंचे , जहाँ डॉक्टर ने उपचार आरम्भ किया | अपर वाले का शुक्रिया कि देवश्री की जान बच गई | साथ हीं उस सहेली का यह कदम काफी सराहनीय है , जिसने हर कार्य को छोड़कर अपनी सहेली की तस्वीर देख उसके घर पहुंची और परिवार को इस बात की जानकारी दी , तभी समय रहते देवश्री को बचाया जा सका |
देवश्री की उम्र लगभग 24 वर्ष है , ये इंदौर की महालक्ष्मी नगर में रहती है | वैसे इनका पैतृक घर बुरहानपुर में है | बुरहानपुर से इंदौर पढ़ने आई थी | देवश्री MBA की पढ़ाई करने के साथ - साथ एक प्राइवेट कंपनी में कार्य भी कर रही थी |
देवश्री देशमुख की सहेली गौरी ने अस्पताल काउंटर पर बताया कि - ये छत पर हाथ में ब्लेड लेकर घूम रही थी | फिर तस्वीर भेजी तो मै उसके घर पहुंची तब भी वह छत पर हीं थी |
देवश्री ख़ुदकुशी जैसा संगीन जुर्म करने पर क्यूँ मजबूर हुई ? सूचना के आधार पर - देवश्री की बहन राजश्री ने सच्चाई बताने से इंकार करती हुई कहा कि - यह हमारा पारिवारिक मामला है |
देवश्री के घर वाले ने भले हीं सच्चाई बताने से इंकार कर दिया | परन्तु ख़ुदकुशी करना पारिवारिक मामला न होकर यह देश से जुड़ा हुआ मामला अब कहा जा सकता है | क्यूंकि देवश्री ने ख़ुदकुशी करने की कोशिश की | हमारे भारत का कानून हमें इस बात की इजाजत कदापि नहीं देता कि - अपने हाथों हीं अपनी जिंदगी को समाप्त कर दिया जाए |
यह मामला थाने तक भी पहुंचेगी , जिसपर पुलिस करवाई कर सकती है ! क्यूंकि यह पुलिस केस के अंतर्गत आता है | खैर ..... मनोरोग चिकित्सालय के अनुसार - बाद में देवश्री देशमुख की मानसिक हालत के विषय में जानकारी आने की संभावना है | परन्तु अगर देशमुख मानसिक रूप से ग्रस्त हो , तो उनके पास उनकी मानसिक स्थिति को संभालने वाला एक प्यारा दोस्त की उसे जरुरत पड़ेगी | अन्यथा वह फिर ख़ुदकुशी जैसा संगीन कदम उठाने पर मजबूर न हो जाए !
आज के दौर में इंसान कब , कहाँ और क्या कर जाए ? यह सोंच से परे है | परन्तु इतना आसानी से कहा जा सकता है कि - आज की स्थिति युवाओं की मानसिक हालत पर इस कदर प्रहार करता हुआ दिख रहा है , जहाँ उन्हें अपनी जिंदगी का मोल - तोल समझ नहीं आता | अपने दिमाग को सदैव अपने काबू में रखकर अपने आक्रोश पर अंकुश लगाए |
जरुरत इस बात की है कि - आप गुस्सा के अधीन न हो जाए , जिससे की आपको गलत कदम उठाने पर मजबूर होना पड़े | गुस्से को अपना गुलाम बनाकर लश्कर में बांध दीजिये | बहुत सरल है गुस्से पर काबू पाना और फिर देखिये किस तरह जिंदगी बहुत हीं सरल बनकर खुशियाँ आपके कदमों को चूमेगी | बहुत दूर नहीं है मजिल , मंजिल आपकी मुठ्ठी में कैद है | जब जागो तब सवेरा , बस जागने की बात है | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या / एम० नूपुर )
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