Breaking News
यहाँ चेहरे नहीं इंसान पढ़े जाते है , मजहब नहीं ईमान पढ़े जाते है |
और यह देश इसलिए महान है दोस्तों कि - यहाँ एक साथ गीता और कुरान पढ़े जाते है |
कॉमेडी की दुनियां के बादशाह का यह शब्द दिल को छू लेने वाला है | देश - विदेश का सफ़र कर लोगों के दिलों में घर बनाकर ये राज कर रहे , जिनसे शब्दों के जरिये हम आपको रूबरू कराने वाले हैं | उनका नाम है एहसान कुरेशी |
एहसान क़ुरेशी एक ऐसा नाम है , जो लगभग 25 वर्षों से भी ज्यादा बॉलीवुड की दुनियां में विशुद्ध हंसी का प्रकाश विखेरते हुए आनंद उठा रहे हैं , दर्शकों के गोल्डन मुस्कुराहट का | जो इन्द्रधनुषी तालियों की गड़गराहट से उन्हें मालामाल करते है |
हमारी मुलाक़ात उनसे मुंबई अँधेरी के CCD में हुई | हम , वो और कॉफ़ी का प्याला | कॉफ़ी ख़त्म हो गई , मगर बहुत सारी बातें वक्त की तिजोरी में कैद होकर रह गया | जोरदार बारिश के बीच उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा और कॉमेडी हमारे मन को लुभाता रहा | इसी बीच मेरे हर प्रश्न की झड़ी में वे सतरंगी रंग भरकर समर्पित करते रहे |
एहसान कुरेशी मध्यप्रदेश के रहने वाले है | सामने वाले के साथ वो बड़ा हीं मोहित अदा व आदर के साथ पेश होते हैं | उनका शायराना अंदाज सबसे अलग हटकर उनकी अंदरूनी हकीकत को मौजूद रखते हुए उनके व्यक्तित्व में कई सितारे जड़ते हुए निखार पैदा करता है |
एहसान कुरेशी से बातचीत के हुए कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत है | रुपेश आदित्या व एम० नूपुर के साथ एक साक्षात्कार में -
एम० नूपुर - आपको कॉमेडी की दुनियां का बादशाह कहा जाता है | हमारे पाठक जानना चाहेंगे आपसे कि कॉमेडी क्या है ? पहले और आज की कॉमेडी में क्या अंतर है ?
एहसान कुरेशी - चेहरे पर रौनक लाने का नाम हीं कॉमेडी है | कॉमेडी जिंदगी का एक अहम शब्द / हिस्सा है | कॉमेडी के बिना हम सबकी जिंदगी अधूरी है | कॉमेडी की जिंदादिली हंसना और हँसाना है , साथ हीं दुःख बाटना है | कुछ पल के लिए गम के कुएं से निकलकर खुशियों के समुन्द्र में डूबकी लगाने का नाम हीं कॉमेडी है |
जहाँ तक आज और कल के कॉमेडी का सवाल है तो - पहले के कॉमेडी में एक अलग हीं मजा और स्वाभाविकता रहती थी , जो फिल्मों में महमूद साहब , असरानी साहब , केस्टो मुखर्जी , टुनटुन जी , प्रीति गांगुली आदि कॉमेडी के लिए हीं चर्चित थे | पहले का कॉमेडी हम पुरे परिवार के साथ मिलकर देखते थे | लेकिन आज कुछ लोग इसे अश्लीलता में प्रस्तुत कर रहे हैं , जिसमे बड़े छोटे में फर्क नहीं रखा जाता | उनकी बेइज्जती करना हंसी है | चरित्र हनन कर पैसा कमाने का धंधा इतना जोर पकड़ लिया है कि कुछ कहा नहीं जा सकता ! देखने वाले खुद महसूस करते है | मै क्या बोलूं ? लेकिन मैंने कभी भी अश्लील कॉमेडी नहीं किया और न हीं करूंगा | इसलिए कि अच्छे और अश्लील दोनों की प्रस्तुति हमारे माहौल पर असर छोड़ता है | इसलिए भारतीय संस्कृति को न भूलते हुए अच्छाई की तरफ हीं कदम बढ़ाना उचित है सभी के लिए |
आदित्या - आपने कुछ चर्चित लोगों के कपड़े को लेकर कॉमेडी को जरिया बनाकर बहुत कुछ कहा है | इसका मतलब और असर ?
एहसान कुरेशी - देखिये हमारे समाज में महिला आज भी घूँघट लेकर रहती है | हम राजस्थान की तरफ जाते है , तो बड़े बुजुर्गो की तरफ बहुएं आज भी घूँघट डालकर जाती है | लेकिन मैं समझ गया आपलोगों का इशारा कहाँ है ?
जिनकी चर्चा आप सुनना चाहते है | उन्होंने ऐसा अंग प्रदर्शन किया है और जो हावभाव दिखाए हैं , वो उन्हें स्क्रीन पर नहीं दिखाना चाहिए | हमारी भारतीय संस्कृति नहीं कहती - पैसा कमाने के लिए कपड़ा उतारो | तो मैंने कमेन्ट किया और लोगों ने उसका समर्थन भी किया | आज से बहुत से चर्चित चेहरें विदेशी फिल्मों में काम करने लगे है , तो उन्हें कपड़े उतारने की आदत सी पड़ गई है | ऐसे लोगों को विदेश और भारत की फिल्मों में फर्क करना हीं पड़ेगा | इसलिए कि फिल्म और कॉमेडी हम परिवार के साथ मिलकर देखते है | हमारी पीढ़ी पर इसका गलत असर पड़ता है | हमें अपने भारत में विदेश की ऐसी संस्कृति को नहीं आने देना है और भारत के सभ्य लोग भी यहीं चाहेंगे | इस अंग प्रदर्शन पर सरकार की तरफ से भी अंकुश लगना चाहिए |
एम० नूपुर - आप शिक्षक भी रहे हैं | तो बच्चों को पढ़ाना , उनके साथ वक्त बिताना कैसा लगता है ?
एहसान कुरेशी - बच्चे मुझे बहुत पसंद है | हमारा आने वाला कल उनको हीं संभालना है | बच्चे बहुत मासूम होते है और उनके जुबान से भगवान बोलते है | कभी - कभी ऐसा सवाल कर बैठते है कि जवाब देना भारी पड़ जाता है | जैसे मुझे याद है - मैंने बोर्ड पर अंडे का चित्र बताकर उनसे पूछा था - बेटे इसके अन्दर से मुर्गी निकलेगा कैसे ?
तो बच्चा पलटकर कहा - सर पहले आप ये बताओ कि मुर्गी इसमे घुसेगा कैसे ? हंसी आती है बच्चों की तोतली - तोतली बातें सुनकर | वैसे बच्चा तो देश का आने वाला कल है | जैसा पेड़ लगायेंगे फल वैसा हीं मिलेगा | इसके लिए हम सबको मिलकर सोंचना होगा !
आदित्या - लाफ्टर चैलेन्ज शो में तो आप छा गए | लोगों ने आपको बहुत पसंद किया था | एक कवि के रूप में आपको उस वक्त कैसा लगा था ?
एहसान कुरेशी - सुख की अनुभूति को शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता | दुनियां के सामने एक नया अंदाज आया | कवियों ने अपने - अपने ढंग से सबको हंसाया | चुटकुले - लतीफे को अगर लाइन में कस दे और बोले तो वो और भी मजा देता है | वो रिद्म का अंदाज लोगों ने लिया | जाने - अंजाने अगर उच्चारण में मुझसे गलतियाँ हो जाती है , तो मै माफ़ी भी मांग लेता हूँ |
एम० नूपुर - शिक्षक , हास्य कवि , टेलीविजन शो और अब फिल्म | आपके नज़रों में स्टेज शो और स्क्रीन दोनों में क्या फर्क है ?
एहसान कुरेशी - यहाँ तक की यात्रा तो आप लोगों की दुआ से , देश की दुआ व मोहब्बत से बहुत हीं सफल रहा | 25 साल से अधिक हो गए कविता करते हुए , जगह - जगह पढ़ रहा हूँ | जहाँ भी गया लोगों ने अपना भरपूर प्यार - आशीर्वाद दिया | इसके बाद मेरा छोटे स्क्रीन पर आना हुआ , जहाँ लोगों ने बहुत पसंद किया | जिसमे -
The Great India Laughter Challenge
Takeshhi's Castle
Bigg Boss - 2
Raju Hazir Ho
Tu Mera Hero
Hum Aapke Ghar me Rahate Hai
The Kapil Sharma Show
Ye Un Dino Ki baat Hai आदि | इस अंदाज को भी लोगों ने काफी पसंद किया | अब बड़े स्क्रीन पर्दें पर आ रहा हूँ - कुछ फ़िल्में की है और कुछ कर रहा हूँ | लेकिन यह बहुत हीं बड़ी मेहनत / लगन का काम है | स्टेज पर सिर्फ माइक होता है , माइक आते हीं हम शुरू हो जाते है | कुछ जुबानी फिसलन हो तो , हम क्षमा मांगते हुए आगे बढ़ जाते है | लेकिन बड़े पर्दे पर यानि फिल्म में एक किरदार होता है , आप उसके बाहर नहीं जा सकते , जिसमे कई रिटेक होता है | कभी सही जवाब नहीं आ पता , तो कभी टेक्नीकल प्रोब्लम | हमें डायलॉग को याद करना पड़ता है जिसमे डायरेक्टर के हिसाब से भाव दर्शाना पड़ता है | स्टेज पर ज्यादा मजा होता है , जो रिटेक में नहीं आता |
हमारी कुछ फ़िल्में , जिसमे - बॉम्बे टू गोवा , हनुमान भक्त हवलदार , भावनाओं को समझो , एक पहेली लीला , मेरे जिन अंकल आदि |
आदित्या - आपने कई देशों की यात्रा की है , लोगों के बीच रहे हैं | भारत और अन्य देशों में अपना अनुभव बताइये ?
एहसान कुरेशी - जी हाँ , मैंने 24 देशों से भी ज्यादा यात्रा किया है , लेकिन भारत जैसा कोई नहीं लगा | इसीलिए कहा जाता है - सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा , हमारा भारत महान | हम खुशनसीब है कि भारत में जन्म लिए और अपनी हीं संस्कृति में पले , बड़े हुए और इसे कायम भी रखेंगे |
एम० नूपुर - आपके भविष्य की योजना , क्या आने वाले कल में आप फिल्म निर्माण भी करेंगे ?
एहसान कुरेशी - मौका मिला और किस्मत ने साथ दिया तो हास्य फिल्म बनाने का ईरादा है | लेकिन जब शरू किया तो बहुत दूर तक जाऊंगा |
एम० नूपुर - आपको पढ़ने वाले और इस देश के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?
एहसान कुरेशी - अपने पाठक से मै यह कहूँगा कि - भारतीय एकता को बनाये रखें | अपने पड़ोस को खुश रखें , पड़ोसी सुधर जायेंगे तो देश भी सुधर जाएगा | पुरे देश को सुधारने से बेहतर है , अपने आसपास की गन्दगी को साफ़ कीजिये | सभी लोग ऐसा करने लगेंगे तो फिर भारत ऐसे हीं चमक उठेगा | भारत हमारा है , हम सबका है | यह लोकतांत्रिक देश है , जहाँ हिन्दू - मुस्लिम - सिख - ईसाइ सभी लोग एक साथ मिलकर रहते है | इसलिए भारत को मिलकर आगे बढ़ाने का कार्य करे | हम एक - दूसरे को अपना मानकर सहयोग दें / सहयोग ले | जब भारत हमारा है , तो फिर यहाँ के सभी लोग हमारे हीं है | मै सभी को यहीं कहूँगा - हमेशा हंसते रहिये , मुस्कुराते रहिये और खुशियाँ बाटते रहिये |
एहसान कुरैशी ने उर्दू से डबल MA किया है | खेल में - फुटबॉल , हॉकी , जिमनास्टिक इनकी पसंद है | राज कपूर साहब को ये बहुत पसंद करते है | मुझे याद आ रहा है - मेरा नाम जोकर में राज कपूर ने बेहतर कॉमेडी करके लोगों को सिर्फ हंसाया हीं नहीं , बल्कि हकीकत से परे एहसास भी कराया था |
1994 में जीनत कुरेशी के साथ ये विवाह बंधन में बंधे | एक पुत्र और एक पुत्री के धनी अपनी दुनियां में मस्त है और अब हमने चलते - चलते उनसे एक सवाल दाग दिया और कहा - अब अपने पाठक को एक जोक्स सुना दीजिये |
मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा - इसी बात का तो इंतजार था हमे , अब जाकर सवालों से पुरे हुए हम |
एहसान कुरेशी - फांसी पर चढ़ते हुए कैदी से जज साहब ने कहा - अपनी अंतिम इच्छा बताइए ?
कैदी बोला - सर , मेरे बदले आप हीं लटक जाइए |
अब बरसात की गति भी धीमी पर चुकी थी और हमारे सवाल भी पुरे हो चुके थे | एहसान कुरेशी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं | स्वयं हंसने - मुस्कुराने वाले लोगों को अपनी जादुई बातों की लश्कर में बांधकर ठहाके लगाने वाले जिन्दा दिल इंसान है आप | इनका मुस्कुराता चेहरा अपनी बातों से मोह लेने वाला , ये ऐसे निर्मल इंसान है जिसकी तारीफ करने के लिए हमारे शब्दकोष रचयिता तारीफे काबिल शब्द गढ़ना भूल गए शायद ...... !
( एक साक्षात्कार :- एहसान कुरेशी के साथ आदित्या , एम० नूपुर की )
रिपोर्टर