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गर्मी की तपन से जल रहा इंसान नंगे पाँव बांके बिहारी के आँगन में पहुंचे मगर सकून की साँसे यहाँ भी नसीब कहाँ ? श्रद्धालु अपनी शक्ति को भक्ति में शामिल कर मंदिर में प्रभु दर्शन पाने के लिए लम्बी कतार में नंगे पाँव खड़े हो गए , यही तो मिलन का भाव है | थोड़ी राहत व सकून इस बात का था कि उन्होंने अपने मंजिल तक का सफ़र तय कर लिया | वहीं गर्मी की मार से महिला व बच्चे बेहाल हुए , उनकी चीखें भी सुनाई पड़ रही थी |
गर्मी की छुट्टी आरम्भ हो चूका है ऐसे में दिल्ली एनसीआर व आसपास के श्रद्धालुगण भारी संख्या में शनिवार / रविवार मंदिर पहुंचे ऐसे में दर्शन के लिए उन्हें सुबह से ही लाइन में लगनी पड़ी | 10 बजे के बाद से बेरियर पर धुप का प्रभाव हालात को इस कदर नाजुक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया बावजूद धुप की जलन व पसीने से नहाए श्रद्धालुओं के नंगे पाँव धरती की जलन को बर्दाश्त कर आगे बढ़ते नजर आये |
यहाँ 45 डिग्री की गर्मी में बुजुर्ग व बच्चो की हिम्मत बेजार पड़ रही थी | भीड़ के दबाव में कसी महिलायें चीखती हुई आगे बढ़ने में लगी थी वहीं एक दूसरे के बीच धक्का देने का नजारा भी सामने आया |
गर्मी का महिना अप्रैल से जुलाई तक का होता है , कभी - कभी मार्च से भी आरम्भ हो जाता है परन्तु मई - जून की गर्मी बर्दाश्त से बाहर की होती है | इस महीने की धुप बहुत जलनशील होता है जहाँ नौतपा का आगमन इंसान को परेशानी में डालता है |
आज से 30-40 साल पूर्व ऐसी गर्मी महसूस नहीं होती थी जितना की अब | दिल्ली , राजस्थान , चेन्नई , उत्तरप्रदेश आदि इलाके में लू का बहाव देखा जा रहा है | आईएमडी ने पहले से चेतावनी दी थी कि इस साल पिछले वर्ष की अपेक्षा गर्मी ज्यादा रहने की संभावना है |
इस चिलचिलाती गर्मी से दूर अधिकांशतः लोग वर्फीली जगहों पर जाना पसंद कर रहे हैं वहीं अध्यात्म से जुड़े लोग मंदिर में दर्शन कर अपनी छुट्टी बिताना पसंद करते हैं |
गर्मी की मार को देखते हुए बांके बिहारी वृन्दावन प्रबंधक गाइडलाइन जारी करने पर हुए मजबूर क्यूंकि यहाँ भारी भीड़ के दबाव में एक की मौत हो गई थी बावजूद श्रद्धालुओं के भीड़ में कमी नहीं आई इसलिए दबाव से बचने की सलाह देते हुए उन्होंने बुजुर्ग , बच्चे , दिव्यांग व बीमार व्यक्तियों को मंदिर में न आने की अपील की है ताकि श्रद्धालुओं की तबियत न बिगड़े |
सर पर कड़ी धुप और नंगे पांव कतार में खड़े रहना मुश्किल भरा दौर है मगर सवाल है बांके बिहारी के दर्शन का तो कहना लाजमी होगा कि दुःख में हीं सुख है छूपा रे | ............ ( न्यूज़ / फीचर :- भव्याश्री डेस्क )
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