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आज हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव की मृत्यु की बाते सुनकर सभी स्तब्ध है | दिल रो पड़ा , वहीं आँखे आंसू की लश्कर पिरो रही है | कॉमेडी की दुनिया का वह बादशाह व भोर का सितारा अब हमारे बीच नहीं रहे | रोते को हँसाना और रूठे को मनाना उन्हें खूब आता था | उनकी निधन की खबर सुनते हीं उनके पैतृक घर कानपूर के आवास पर उनके समाज व प्रशसंको का जमावड़ा लगता जा रहा है | वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं |
नेता - अभिनेता , उद्योगपति , खास व आम लोगो के बीच उन्होंने अपनी कॉमेडी परोसकर खूब सोहरते बटोरी | उनकी हंसी में एक अलग व गजब का जादू था जो लोगो को अपनी तरफ आकर्षित कर दशको को खींचता रहा | उनकी आदाओं का हर एक दृश्य आज आँखों में कैद नासूर बन गया जो अब भुलाए नहीं भुलाया जा सकता | अब पोछने को वो हाथ / वो बाते नहीं , दूर खड़ी आत्मा स्वयं को निष्क्रिय समझ विलाप कर रही होगी , अपने फैन्स को कैसे हंसाये ?
जानकारी के आधार पर आपको बता दे कि - राजू श्रीवास्तव के बहनोई ने कहा है कि - इनका अंतिम संस्कार दिल्ली में किया जाएगा |
आज सुबह राजू श्रीवास्तव जी का ब्लड प्रेशर डाउन हो गया था जिसके बाद उन्हें CPR दिया गया | रिस्पोंस ठीक आने के बाद फिर प्रतिक्रिया बंद हो गई | डॉक्टर्स दो - तीन दिनों के अन्दर उन्हें वेंटिलेटर से हटाने वाले थे , वहीं दवा की खुराक भी कम हो रही थी | तारीख , दिवस व माह तो सभी के लिए प्यारे होते है जो एक सुखद यादे अंकित करती है , मगर वहीं दुखद यादें भी दे जाती है |
इनके प्रशंसक तो भारत में भरे पड़े हैं | मगर कानपूर जहाँ इनका जन्म हुआ , कर्म मुंबई की धरती बनी जहाँ इन्होने शोहरते हासिल की और दम देश की राजधानी दिल्ली की धरती पर निकला | परिवार का दिल कांप उठा और एक आह ! सी उठी होगी जो दर्द असहनीय होगा |
इनकी पत्नी , बेटा व बेटी अभी दिल्ली के AIMS अस्पताल में गमगीन निहत्थे से हो गए होंगे , क्यूंकि टूट गया परिवार का वह लश्कर जो बंधा था एक परिवार बनकर | परिवार का नाम का डोर वंसज को आगे ले जाने की गति और एक खुबसूरत संसार जिसमे बहुत सारी हंसी और कॉमेडी कैद थी , वो मुठ्ठी अब बंद है और कैद है उनकी जादूगरी | वहीं उन्होंने अपनो की मुठ्ठी खाली कर दी जहाँ सुहाग के नाम पर मन और तन पर सोलह श्रृंगार जड़ा जाता रहा और वह लाड जहाँ पिता का प्यार जो उनके हाथो से बच्चे अनुभव करते थे , आज खो गया | सिर्फ यादों को लेकर इंसान जीये तो कैसे जीये ?
माया - मोह की जाल में फंसा इंसान आज लाचार / बेवश है | जिंदगी की यही सच्चाई है जिसे आना है या फिर जिसे जाना है इस दौर को कोई रोक नहीं सकता | 22 सितम्बर की सुबह संभवतया इनका अंतिम संस्कार दिल्ली में किया जाएगा |
एक बार पुनः हम आपको याद दिला दे - बीते 10 अगस्त को दिल्ली में हीं एक जीम में ट्रेड मील पर वर्क आउट करने के दौरान वो बेहोश होकर गिर गए थे , जिसके बाद जिम स्टाफ ने उन्हें दिल्ली AIMS में भर्ती कराया था | 19 दिन भी जब उन्हें होश नहीं आया तो मीडिया ने खबरे छापी ताकि लोग अपनी दुआवों से भरकर राजू जी को वापस स्टेज पर खड़ा कर सके | मगर परिवार वालो ने अपील की थी कि - अफवाहों पर ध्यान न दे | AIMS और राजू श्रीवास्तव के अधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर हीं भरोषा करे , इसके अलावा किसी और खबर पर बिलकुल भी भरोषा न करे | इसे पढ़कर बहुत सारे मीडिया वाले राजू श्रीवास्तव की नाजुक स्थिति को देखने के बाद भी कलम को विराम दे दिया | सच लिखे तो लिखे कैसे ? परिवार वाले ने कलम पर पहरे जो लगा दिए थे |
डॉक्टर्स बहुत चिंतित थे और इस कारण से परिवार वाले भी खूब परिचित होंगे , मगर लोगो के बीच इस बातो को आने से मनाही किया गया | इनका ईलाज डॉक्टर नितीश नायक के नेतृत्व में चल रहा था |
अक्सर ऐसा देखा गया है - दवा के साथ दुआयें बहुत असरदार साबित होता है | आज राजू श्रीवास्तव जी हमारे बीच नहीं रहे | मैंने तो देखा है कई ऐसे परिवार वालो को जिन्होंने अपने परिवार के मरते हुए सदस्यों के बारे में नाजुक स्थिति होने के बाद बेवश होकर लोगो से दुआ करने की अपील को दोहराते चले गए | वहीं कुछ ने मृत्यु की गोद से अपने सुहाग को दुआ के बल पर जीत लिया |
हम एक बात यहाँ कहना चाहेंगे - कई दशक पूर्व हमारे महानायक अमिताभ बच्चन जी फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान घायल हुए | उनके बचने की उम्मीद भी कितनी थी यह तो ऊपर वाले जाने , मगर मीडिया ने जो जानकारी दी इससे पूरा दुनिया परिचित हुआ और कलम की ताकत देखिये कि - देश ही नहीं दुनिया में उनके जितने चाहने वाले थे उन्होंने अपने - अपने मजहबो में ईश्वर , अल्लाह सहित हर पॉवर को गुहार लगाईं | ऊपर वाले को भक्त की गुहार को सुनना हीं पड़ा | इस बीच महानायक के परिवार वालो ने कभी भी मीडिया के कलम पर अंकुश नहीं लगाया | दुआएं इतनी तेज गति से लगी कि वे बिलकुल स्वस्थ होकर घर वापस आये और आजतक वे स्वस्थ है और KBC मंच पर होस्ट बनकर लोगो का दिल हर दिन जीतते है |
आज हमारी कलम यह लिखने पर मजबूर है कि - राजू श्रीवस्तव पर सिर्फ परिवार का हक़ नहीं था , उनपर पूरा देश का हक़ था | परिवार को मीडिया की कलम पर रोक नहीं लगनी चाहिए थी | जिंदगी नहीं मिलती दूबारा , इस बात से सभी लोग भलीभांति परिचित है | खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही लौटना होगा |
अभी हाल ही में इंडियाज लाफ्टर चैलेन्ज में बतौर गेस्ट वे नजर आये थे | वे स्टेज पर जैसे दीखते थे , असल में जिंदगी में भी वे शायद उतने हीं रोमांटिक और कॉमेडियन थे | राजू श्रीवास्तव , अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े फैन थे और उनकी मिमिक्री कर खूब शोहरते बटोरी | मगर बहुत कम लोग यह जानते है कि - मिमिकी की बीज पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की आवाज से बोया गया और फिर वह बसंती हवा बनकर लोगो के दिलो पर राज करना शुरू कर दिया |
इनका असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव है | एक कवि परिवार में जन्म लेकर कॉमेडियन बने | इनके पिता रमेशचन्द्र श्रीवास्तव एक जानेमाने कवि थे | आज भारत व दुनिया के लोगो ने एक अनमोल रत्न को खो दिया | आप बहुत याद आयेंगे , आपको भव्याश्री परिवार व देश / दुनिया की तरफ से श्रद्धांजलि | हमें दुःख बस इस बात की है कि - आप असमय ही मृत्यु की गोद में सो गए | अभी तो बहुत दूर जाना था आपको , वो गति अधुरा सा रह गया जिसे पूरा होना अभी बाकी है , क्यूंकि राजू श्रीवास्तव को "उत्तरप्रदेश फिल्म विकास परिषद्" का अध्यक्ष बनाया गया था | इन्होने काफी मेहनत की , वह मेहनत और नोएडा की धरती आपको बहुत याद करेगी |
आप एक बार फिर नए रूप / रंग / अंदाज में जन्म लेकर भारत में दस्तक देंगे और लोगो के दिलो पर खूब राज करेंगे | इसी उम्मीद और विश्वास के साथ आप अभी जिस दुनिया में सफ़र किये , उस दुनिया से लोगो की यही गुहार है |
चलते
- चलते कुछ शब्द और :- किसी गीतकार ने लिखा है - "जिंदगी तो बेवफा है एक
दिन ठुकराएगी , मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जायेगी" और यह सच है जिसका
सामना लोगो को दिन की रौशनी में करना हीं पड़ता है | शेष फिर .............
! ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम नूपुर की कलम से )
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