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स्कूल / कॉलेज में आज भी रैगिंग करने का दौर जारी है जिससे देश की संस्कृति आज की पीढ़ी धूमिल कर रही है | ऐसे नवयुवक जो देश के भविष्य है अपनी जिंदगी को अपने ही हाथ सलाखों के पीछे कैद कर लेने हेतु निंदनीय कदम उठा लेते है जो काफी दुखदायक है |
उड़ीसा के गंजम जिले के विनायक एकेडमी कॉलेज बेरहामपुर में कुछ ऐसा ही हुआ जिसके बाद 5 स्टूडेंट हिरासत में ले लिए गए हैं , वहीं 12 बच्चो को कॉलेज से निकाल भी दिया गया |
अक्सर कुछ बच्चो में अपने सीनियर होने का गुरुर भर जाता है जिसके बाद वे अपने जूनियर्स के साथ शर्मिंदगी या मानसिक प्रताड़ना देने से चूकते नहीं | ऐसे सीनियर्स या तो बददिमाग होते है या फिर अपने साथ किये गए रैगिंग का बदला या अपनी हिरोपंती दिखाने के लिए निंदनीय अनुकरण करते है | वे समझ नहीं पाते - जितना दुःख उन्हें हुआ उतना ही दुःख जूनियर्स को भी होगा |
एक कहावत है - घायल की गति घायल जाने और न जाने कोए | इस बात को अगर लोग अपनी जेहन में उतार ले तो कोई भी कभी दुखी नहीं होगा | खैर .......... ! इस रैगिंग का विडियो आज तेजी से वायरल हो रहा है | जानकारी के आधार पर हम बता दे कि बेरहामपुर के SP महोदय सरबन विवेक एम ने बताया है कि - 5 स्टूडेंट को हिरासत में ले लिया गया है और उनके खिलाफ रैगिंग और पौक्सो एक्ट के तहत मुक़दमा भी दर्ज किया गया | मुख्य आरोपी का नाम अभिषेक नाहक है और ये अंतिम वर्ष के छात्र है , इनकी उम्र 24 साल है |
इस वायरल विडियो में सीनियर्स फर्स्ट ईयर की एक लड़की और लड़के को आपस में किस करने के लिए मजबूर कर रहे हैं | सामने हाथ में डंडा लिए एक सीनियर कुर्सी पर बैठा है | यह सीनियर जूनियर्स को थप्पड़ मारते हुए लड़की को किस करने के लिए मजबूर कर रहा है | मजबूरन लड़का लड़की को किस करता है | उसके बाद जब लड़की जाने को होती है तो सीनियर उसका हाथ पकड़कर जबरन बैठा लेता है और अपने हाथ में मौजूद छड़ी दिखाकर उसे डराता है | मौके पर 20 सीनियर्स को भी देखा जा सकता है जो वहां मौजूद हैं जिसमे कुछ छात्राएं भी शामिल है जो विरोध न कर हंसती हुई मनोरंजन करती नजर आ रही है |
इस बात से समझा जा सकता है कि - ये सभी छात्र - छात्राएं जो देश के भविष्य है , इन्हें देश की संस्कृति / वजूद / लोगो की भावना से कोई मतलब नहीं | मगर ऊपर वाले की नजरें सभी को परखती है और वह डंडा दिखाई नहीं पड़ता | इन्साफ यही कि - आज अभिषेक नाहक हिरासत में कैद कर लिया गया जिसे कहते है - जैसे को तैसा , मगर यह बाते बहुत दुखदाई है |
हर स्टूडेंट व उनके माता - पिता के लिए यह मामला एक बहुत बड़ा सिख व सबक है | ऐसा नहीं कि यह मामला पहला है और ऐसा भी नहीं कि इसे हम आखिरी कह दे | भारत में भारत के पुत्र ऐसा करते नजर आ रहे हैं जिनके भविष्य में कांटे भरी राह व पगडंडियों पर दौड़ता हुआ भविष्य हम देख रहे है जहाँ एक तरफ खाई और दूसरी तरफ कंकड़ से भरी चट्टानें साफ़ नजर आ रही है | बेहतर है फूलों भरे राह चुनिए और कंकड़ को बुनिए ताकि दौड़ में किसी को चुभन न हो |
चलते - चलते हम आपको एक जानकारी और देना चाहेंगे - 2009 की बात है | धर्मशाला के राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज में अमन काचरू की मौत रैगिंग और प्रताड़ना से हुई जिनकी मौत ने देश को झकझोर कर रख दिया था जिसके बाद सुप्रीमकोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए रैगिंग के खिलाफ कानून बनाने की ठानी और उपसमिति को गठित किया |
शिक्षा
व्यवस्था में सबसे पीड़ादायक है रैगिंग जो सिर्फ शर्मसार ही नहीं करता
बल्कि बच्चे अपनी खुबसूरत जिंदगी से हाथ धोने पर मजबूर हो जाते है | स्कूल /
कॉलेज शिक्षा का एक मंदिर है , इसे मंदिर ही रहने दें , अश्लीलता का अड्डा
न बनाये और बच्चे अपने भविष्य पर ध्यान दे तो अच्छा है ताकि माँ - पिता ,
परिवार के सपनों में दीमक न लगे | तभी बच्चो की जिंदगी इन्द्रधनुषी बनकर
दुनिया में खिलेगी | .......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम०
नूपुर की कलम से )
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