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प्यार भी अजीब चीज है , न मरने देता है न किसी को चैन से जीने ! किसी - किसी के पास प्यार का समंदर भरा परा है , तो किसी के पास बूंद भर प्यार भी नहीं , यह कहा जा सकता है | पति के प्यार में पागल सावित्री की कहानी पूरी दुनियां जानती है , क्यूंकि यह एक इतिहास बन चूका है | पतिवर्ता सावित्री के प्यार में इतनी ताकत थी कि , वह अपने पति का प्राण यमराज से भी जीतकर वापस ले आयी थी | कहा जाता है यह सत्ययुग की बातें थी या उससे भी आगे की | परन्तु यह सत्य है कि अगर मन में प्रेम का अंकुर जन्म ले ले , तो उसे फलने में देर नहीं लगता | सिर्फ कदम बढ़ाने की जरुरत है , दुनियां में कुछ भी मुश्किल नहीं ! वहीं दूसरी बात , बातो का तर्क - वितर्क कि आप अपनी बातों से सामने वाले का दिल कितना जीत पाते है |
फोटो :- PopXo के सौजन्य से
पतिवर्ता "सावित्री" की बातें शायद सत्ययुग या उससे पहले की थी | परन्तु इस कलयुग की बात करे तो - चंद रोज पहले अपनी मोहब्बत की निशानी के लिए , एक महिला ने खटखटाया अहमदाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा | खटखटाहट इतनी तेज थी कि जज को भी जागना पड़ा और कानून ने महिला का साथ देते हुए - उसकी मुहब्बत पर मोहर लगा दी | कहते हैं और माना जाता है कि - कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती , यह सत्य है ! मन से ईमानदारी पूर्वक कदम बढ़ाया जाए तो , साक्षात ईश्वर मदद करने धरती पर पहुँच जाते हैं | इसलिए की लेते भी ईश्वर हैं और देते भी ईश्वर हैं | लेकिन इतना सत्य है कि - लेने से पहले वे दूसरा दरवाजा जरुर खोल देते है , बस चाहत होनी चाहिए |
अहमदाबाद के हाई कोर्ट में , एक ऐसा मामला न्याय की गुहार लगाने पहुंचा , जिसे सुनकर सभी लोग हैरान हो गये | इतना तक की जज भी हैरान हुए | एक महिला ने कोर्ट में , अपने प्यार की अंतिम निशानी के रूप में , अपने पति के अंश के रूप में उसका स्पर्म दिलवाने की गुहार लगाईं | अस्पताल में भर्ती "पति" जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहा है , जिसे डॉक्टर ने , उसके पति की जिंदगी के चंद घंटे हीं जीवित रहने की बात कही | महिला और परिवार वाले यह सुनकर विचलित हो गए | बेटे व पति के मरने के बाद निशानी के रूप में उसका अंश इस दुनियां में जीवित रह सके , परिवार का वंश भी बरकरार रहे , इसलिए महिला ने मन को समझाते हुए कोर्ट से अपने पति का स्पर्म दिलवाने की याचना की |
प्रतीकात्मक तस्वीर
दरअसल वह अपने पति के स्पर्म से माँ बनना चाहती है , जिसके लिए हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है |
महिला ने कोर्ट से कहा - मेरे पति मृत्युसैया पर है | मै उनके स्पर्म से मातृत्व सुख हासिल करना चाहती हूँ , लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता | हमारे प्यार के अंतिम निशानी के रूप में , मुझे मेरे पति के अंश के रूप में उनका स्पर्म दिलवाने की कृपा करे | डॉक्टरों का कहना है कि - मेरे पति के पास बहुत हीं कम वक्त है , वे वेंटीलेटर पर है |
जिस महिला का जिक्र हो रहा है , वह महिला कनाडा की रहने वाली है | इनका ससुराल अहमदाबाद में है | कनाडा में 4 वर्ष पूर्व ये एक - दूसरे से मिले और संपर्क में आने के बाद अक्टूबर 2020 में दोनों ने विवाह कर लिया | विवाह के चार महीने के बाद हीं अहमदाबाद से खबर आयी कि - लड़के के पिता की हालत ठीक नहीं , उन्हें हार्टअटैक आया है | ऐसे में बीते फ़रवरी को ये दोनों भारत आ गए |
भारत में कोरोना के अत्याचार ने , इस महिला के पति के स्वास्थ्य पर भी डंक मार दिया | इलाज करवाने के बावजूद भी वह स्वस्थ नहीं हो पाए और 10 मई के बाद से उनका सेहत लगातार गिरता गया | जिसे परिवार ने उन्हें बड़ोदरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया | लेकिन उनकी सेहत लगातार गिरती चली गई , फेफड़ा भी संक्रमित होकर दवा का असर छोड़ दिया | इनके पति पिछले दो माह से , जिंदगी की मेहरबानी की वाट जोह रहे है | डॉक्टर ने परिवार को बुलाकर साफ़ शब्दों में बोल दिया था कि - पति की तबियत में सुधार की गुंजाइश नहीं के बराबर है | हालात ऐसा बना कि - पति के पास चंद रोज जीने की मोहलत थी | यह सुनकर पत्नी ने स्वयं को संभालते हुए कहा कि - मै अपने पति के अंश से मातृत्व धारण करना चाहती हूँ , इसलिए उन्हें स्पर्म की जरुरत है | डॉक्टर ने महिला के प्रेम के प्रति सम्मान जताते हुए - मेडिको लीगल एक्ट के मुताबिक पति के मंजूरी के बिना , स्पर्म सेम्पल नहीं लिए जाने की बात कह दी | क्यूंकि पति से बात करने की या स्वीकृति लेने की हालात ने गुंजाइश नहीं छोड़ी थी | महिला के लाख निवेदन के बावजूद डॉक्टर नहीं माने और समय भी कम था | सिर्फ दो से तीन दिन बचे थे , पति के सांसों के रफ़्तार की गति |
महिला को अपने सास - ससुर का साथ मिला और वे तीनों , बीते सोमवार को गुजरात हाई कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई की गुहार लगा दी | हाई कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच के सामने मंगलवार को हीं यह मामला जब सुनवाई के लिए जज के समीप पहुंचा , तो जज साहब कुछ पल के लिए हैरान रह गए | फिर 15 मिनट बाद हीं अपनी दरियादिली दिखाते हुए , महिला के हक़ में फैसला दे दिया |
पति से प्यार की हद और कानून के सम्मान को देखते हुए कोर्ट ने महिला को स्पर्म लेने की मंजूरी दे दी |
सूचना के आधार पर - अब कोर्ट की मंजूरी के बाद स्टर्लिंग अस्पताल ने जहाँ मरीज भर्ती है , पति का स्पर्म ले लिया गया और आईवीएफ ट्रीटमेंट क प्रोसेस शुरू हो चूका है | स्टर्लिंग हॉस्पिटल के जोनल डायरेक्टर अनिल कुमार नांबियार का कहना है कि - कोर्ट के आदेश के बाद हीं , हमने तैयारी शुरू कर दी थी | मरीज मरणासन स्थिति में है , ऐसे में ब्लडिंग रोकने और दूसरी बातों पर भी निगरानी जरुरी है |
कभी - कभी इंसान ऐसी परिस्थिति से गुजर जाता है कि - सामने अँधेरे के सिवा कुछ भी नजर नहीं आता | वहीं पर कठिन परिस्थिति सामने हो और आदमी अपनी मौजूदा स्थिति को बलपूर्वक मन और तन से झेल ले , तो परिस्थिति बहुत सरल होते हुए एक गति में परिवर्तित हो जाता है | हालात को बदलाव के लिए स्वयं का हीं कदम बढ़ाना होता है | ऐसे में आज की तकनीक , जहाँ हमारा विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है | हम समय रहते सब कुछ तो नहीं , मगर बहुत कुछ पा सकते है | जैसे कनाडा की यह महिला ने हॉस्पिटल से अपनी गति को शुरू करते हुए कानून का दरवाजा भी खटखटा दिया और अपने पक्ष में नतीजा ले लिया |
सर्वप्रथम हमारे विज्ञान को आभार , विज्ञान को रूप देने वाले हमारे वैज्ञानिक डॉक्टरों को आभार | क्यूंकि उन्होंने हीं ऐसी पद्धति का निर्माण किया , जिससे आज के दौर में प्यार का दामन खाली नहीं रह सकता | दूसरा आभार , कानून के नियम के तहत कलम चलाने वाले कुर्सी पर विराजमान "जज महोदय" का , जिन्होंने समय रहते अपनी दरियादिली दिखा दी और सरस्वती को गौरवान्वित किया |
पुरे भारतवर्ष की तरफ से ऐसी पद्धति और ऐसे कलम को बहुत - बहुत आभार | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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