Breaking News
अग्निपथ स्कीम लागु हुए कुछ हीं दिन हुए है जिसमे युवाओं द्वारा स्वयं की और देश की क्षति हो रही और स्वयं के पक्ष में सरकार का निर्णय न पाकर युवाओं का आक्रोश सर से पार होता दिखाई पड़ रहा है |
हरियाणा के रोहतक में पीजी में रहकर सेना की तैयारी करने वाले एक बेटे ने निराश होकर सुसाईड कर लिया | मरने से पहले अपनी बहन से बोला था - अब सपना पूरा कर पाना संभव नहीं | इनके पिता ने कहा - मालूम नहीं था कि मेरा बेटा सुसाईड कर लेगा , नहीं तो 36 किलोमीटर दूर चलकर हम अपने बेटे को घर ले आते |
उत्तरप्रदेश में सुबह से हीं विरोध चरम पर पहुँच चूका है | युवाओं द्वारा जमकर रेलवे स्टेशन पर हंगामा किया जा रहा है वहीं गाड़ियों के शीशे तोड़े जा रहे हैं | हालात बेकाबू होती देख पुलिस को लाठी चार्ज करनी पड़ रही है |
समस्तीपुर जिले में यात्री ट्रेन में युवाओं ने आग लगा दी , वहीं रेलवे ट्रैक भी जाम कर भीड़ इकठ्ठा कर लिए गए हैं |
सेना की तैयारी कर रहे युवाओं का कहना है कि - सरकार ने हमारे अधिकारों का हनन किया है | इस सेना में विधायक / मंत्री / सांसद का बेटा नहीं जाता , इस भर्ती में सिर्फ किसान का बेटा हीं आगे बढ़कर देश की रक्षा करता है |
आखिरकार यह अग्निपथ स्कीम है क्या ?
यह स्कीम 14 जून को लागू किया गया जिसमे जल , थल और वायु सेना के लिए 4 साल की सेवा की बाते सामने आई | यह स्कीम आर्म फोर्सेस के लिए एक देशव्यापी शॉट टर्मस यूथ रिक्युआरमेंट स्कीम है | इस स्कीम में भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा | इनकी तैनाती देश के किसी भी इलाके में की जायेगी | यह रैंक ऑफिसर रैंक के नीचे का पद होगा जिसमे 10 वीं पास उम्मीदवार हिस्सा ले सकते है | सरकार ने 46 हजार रिक्त पदों के लिए अग्निपथ में अग्निवीर सैनिको की भर्ती का एलान किया है जिसमे 17.5 से 23 वर्ष के युवा भाग ले सकते है | पहले इसकी अवधि 17.5 से 21 वर्ष थी , सिर्फ इस साल के लिए 2 वर्ष को बढ़ा दिया गया | क्यूंकि पिछले दो वर्ष लॉकडाउन के कारण उनका क्षति गया , इसलिए सरकार ने उम्र की अवधि को बढ़ा दिया | अब इस साल तक लोग 2 वर्ष का फायदा ले पायेंगे |
तोड़फोड़ , दंगा फसाद सहित देश की संपत्ती को नष्ट कर अपनी मांग पूरी करवाने हेतु डटे देश के युवाओं की नीति क्या सही रास्ते का चुनाव कर रही है ! देश की संपत्ती को नष्ट कर ये युवा देश को कैसे सुरक्षा प्रदान कर सकते है ? इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि - इनके साथ नाइंसाफी हुई है | मगर इसका समाधान देश की संपत्ती को क्षति कर अपनी मांगे पूरी करवाना सही नीति नहीं , यह देश इनका है और देश की संपत्ती भी इन्ही का है यह मानना होगा |
4 वर्ष की नौकरी क्यूँ ? और इसके बाद हम सड़को पर भटकेंगे , यहीं आवाज है आज की उन युवा पीढ़ी की जो सेना की तैयारी में लगे है | अपनी जिंदगी को देश के हवाले कर वे अपने परिवार को दो वक्त की रोटी से आश्वस्त करना चाहते है | उनका यह कहना 99.99% सही है जिसमे नेता / अभिनेता या उद्योगपति के बेटे हिस्सा नहीं लेते हैं , इसमे गरीब वर्ग के लोग और किसान के बेटे हीं अपनी जान की कुर्बानी देते आये हैं और देते रहेंगे | क्यूंकि इनके लिए हीं संभव है घूटने भर पानी में जाकर धान उगाना | प्लेन में चढ़कर AC का सुख भोगने वाले क्या जाने इनके दिल में उत्पन्न जख्म के दर्द को जो कभी खाते है कभी आधी पेट खाकर भी सोते है | उन्हें नहीं मिलता वो नजारा वो सुख जहाँ अमीर के बच्चे विदेश का भ्रमण भी आसानी से कर लेते है और उनके बच्चे - डॉक्टर , इंजीनियर , IAS , IPS और CEO बनने की तरफ हीं दौर लगाते है |
इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि - सेना में भर्ती के लिए 10 वीं तक की शिक्षा निर्धारित की गई है और जिनके पास बड़े पद की पढ़ाई के लिए बजट नहीं वे तो सेना में जाने के हीं सपने बुनेंगे |
सरकार ने तनख्वाह और पेंसन का बजट कम करने के लिए शायद ऐसा एलान कर दिया , मगर यह सच है कि - 4 साल के बाद ये युवा किस तरफ भटकेंगे |
निष्पक्ष भाव से इतना कहा जा सकता है कि - सरकार को इनकी भावनाओं की कद्र करते हुए अवधि में इजाफा करना चाहिए | क्यूंकि सेना है तो देश है , ये जागते है तो हम सोते है | इनकी भावना गई , उम्मीद गया और सपने टूटे तो सिर्फ सत्ता से देश को नहीं बचाया जा सकता , इसके लिए हथियार उठाने वाले सेनागण हीं चाहिए | ......... ( न्यूज़ / फीचर :- रुपेश आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
रिपोर्टर