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दैनिक भास्कर समूह जो देश में हर जगह अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाकर लाखों पाठकों के दिलों पर अपनी लेखनी का रंग जमा चूका है और विंदास / निष्पक्ष सूचना को देश तक पहुंचाने का कार्य कर रही है | आयकर विभाग ने गुरुवार सुबह इस अखबार के कई दफ्तर पर छापा मारा | जैसे मध्यप्रदेश , राजस्थान , गुजरात , महाराष्ट्र आदि जगहों पर आयकर विभाग ने अपना इन्वेस्टीगेशन , दैनिक भास्कर के मुख्यालय भोपाल सहित पांच राज्यों के आधा दर्जन स्थान से ज्यादा जगहों पर सुबह से हीं छापामारी का कार्य जारी किया है |
आयकर विभाग ने इस कार्य में स्थानीय पुलिस की भी मदद ली है | सूचना के आधार पर - भोपाल के ई-1 अरेरा कॉलोनी स्थित भास्कर समूह के ओनर के बंगले पर भी छापा मारा | सुबह जब प्रेस काम्प्लेक्स स्थित हेड ऑफिस में कार्य करने वाले सहयोगी अन्दर जाने लगे , तो उन्हें वहीं रोक दिया गया | क्यूंकि अन्दर आयकर विभाग के सदस्य व पुलिस छानबीन में लगे थे |
यह छापामारी , दिल्ली व मुंबई के आयकर विभाग की टीम संचालित कर रही है | अखबार का काम न रुके , इसलिए अखबार की डिजिटल टीम को घर से हीं काम करने के लिए बोला गया , जब तक कि आयकर वाले वहां मौजूद है | जयपुर हेड ऑफिस पर आयकर विभाग के करीब 35 अधिकारी दस्तावेजों की छानबीन में लगी हुई है | दैनिक भास्कर के जयपुर का दफ्तर जेएलएन मार्ग पर स्थित है | वहीं राजस्थान के दफ्तरों में भी छापा मारने का कार्य जारी है |
मध्यप्रदेश का यह निष्पक्ष मीडिया , जो देशभर में फैला है , इसके कई प्रतिष्ठानों पर आयकर विभाग वालों के छापेमारी व छानबीन से लोग आश्चर्यचकित है | अखबार खबर देती है और यहाँ दैनिक भास्कर सुबह से हीं खुद खबर बनती जा रही है | जिसे देख लोग अपनी दांतों तले उंगली दबाते हुए दुःख प्रगट कर रहे हैं | कई प्रतिष्ठित व सौम्य व्यक्तित के धनी पाठकों का मानना है की - निःस्वार्थ और निष्पक्ष रूप से पत्रकारिता करने व छापने / दिखलाने का असर पड़ गया | दैनिक भास्कर के लिए इन्होने कहा कि - ईमानदारी पूर्वक चलाई गई कलम पर इतना महंगा असर पड़ा ! क्यूंकि दैनिक भास्कर ने किसी भी सच की सूचना को रोका नहीं , न अकुंश लगाईं | इसे देश के सामने पटल पर आने दिया ताकि हर सूचना राज्य / देश की जनता तक पहुँच सके |
दैनिक भास्कर गोदी मीडिया नहीं , शायद ! इसीलिए किसी साजिश के तहत सफ़ेद व सुलझी हुई प्रतिष्ठानों पर छापेमारी का कार्य जारी किया गया है |
देश में इतने सारे व्यापारी / उद्योगपति / पदाधिकारी व नेतागण हैं , जिन्होंने देश की सम्पति को लूटा व लूटकर बैठे है , जो लूट और गमन जैसे शतरंज के खेल में माहिर है | ऐसे लोगों की सूचि अगर बनायी जाए , तो दसक से ज्यादा लग जायेंगे , सफ़ेद आदमी को बाहर निकालने में |
इतनी महँगी कार / बंगला / बच्चों की शिक्षा / बंगले व फ्लैट्स में सुख के वस्तु के साथ कई स्थानों पर सम्पति होना , बैंक बैलेंस सहित देश - विदेश की यात्रा करते कई रंग के कपड़े पहने ये लोग देश में मौजूद है | उनके घर छापा नहीं पड़ता | छापा उनके घर पड़ता है , जो किसी उद्देश्य से दिखाई पड़ जाते हैं |
एक मीडिया के दफ्तर में छापेमारी करना , किसी न किसी सच्चाई को उजागर होने की बस सजा मात्र है | ताकि आगे से कोई मीडिया ऐसी सच्ची खबर देश - दुनियां के बीच न ला सके | क्यूंकि ये लोगों का कहना कि - ये मीडिया लगातार कोरोना काल के दौरान , सच्चाई को कवर कर , छापती रही है | हाल हीं में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान - देश में भयावह परिस्थिति को , दैनिक भास्कर द्वारा उजागर किया गया , जो चर्चा का विषय बना |
घाट के पास तैरती हुई लाशें , जिसपर दर्जनों कुत्तें झपट रहे हो और सता का ध्यान तक नहीं गया | ऐसी खबरें जनता का दिल दहला दिया | वहीं सरकारी अस्पतालों में मरीजों का भयावह दृश्य और दम तोड़ते मरीज के रिपोर्ट के साथ शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए साधनों की कमी आदि को लगातार दर्शाती हुई आधिकारिक दावों पर आलोचनात्मक रुख वाली रिपोर्ट की एक सीरिज प्रकाशित की थी | कोरोना मरीजों के प्रति लापरवाही , व मरीज के परिजन को बेहाल होते देख , जैसे दृश्य को कलमों व कैमरों से दर्शाया था |
अपनी दुःख जाहिर करती हुई पत्रकार व लेखिका "सबा नकवी" ने ट्विट किया - ग्रुप ने कोरोना के दूसरी लहर के दौरान शानदार रिपोर्टिंग की थी , सिर्फ ऐसा कह रही हूँ |
द वायर के संस्थापक / संपादक "एम० के० वेणु" ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और लिखा - गंगा पर तैरती लाशों और पेगासस पर रिपोर्टिंग का ये ईनाम मिला है |
अब सवाल है कि - पत्रकारों को इस तरह का ईनाम मिलता रहा ! तो या तो पत्रकारगण पत्रकारिता करना छोड़ देंगे या फिर गोदी मीडिया बनकर अपनी कलमों को मोड़ देंगे |
सूचना के आधार पर , करीब एक माह पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने दैनिक भास्कर के संपादक , ओम गौर की भारत में Covid के कारण हुई मौतों को लेकर ऑप एड ( op - ed) शीर्षक से प्रकाशित किया था | "गंगा शवों को लौटा रही है , यह झूठ नहीं बोलती" | इसमें कोरोना के चरम पर होने के दौरान स्थिति को नियंत्रण करने के मामले में सरकार की आलोचना की गई थी | उन्होंने लिखा था - "देश की पवित्र नदियों , मोदी प्रशासन की नाकामियों और धोखें का प्रदर्शन बन गई है" |
सभी बातें अख़बारों में कैद होती चली गई , जो साक्ष्य और सबूत के तौर पर आज भी मौजूद है | क्यूंकि कलम से अंकित शब्द बदले जा सकते है , परन्तु लाइव टेलीकास्ट विडियो में फेर बदल संभव नहीं होता | यहीं पर क्यूँ चूक कर जाते है सच्चाई देखने वाले ? सच्चाई को ग्रहण करने की और संशोधन करने की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए , न की कलमों पर अंकुश !
सिर्फ भारत हीं नहीं कई देशों में कलम पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया तेज हो रही है | देखा जाए तो ब्रिटेन में ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट में बदलाव होने की तैयारी की जा रही है | इसके तहत सरकार पर अगर ऐसी स्टोरी पर चर्चा लिखा गया / चलाया गया , जिससे उनकी छवि खराब हो , या उन्हें शर्मिंदा होना पड़े , तो ऐसे पत्रकारों को कड़ी सजा के दौर से गुजरना पड़ सकता है |
एक पत्रकार ने खुलासा किया था कि - हेल्थ सेकेट्री मैट हैनॉक ने Covid प्रोटोकॉल का उलंघन किया | सीसीटीवी फूटेज लिक हुआ था | जिसमे देखा गया था कि - वे अपने सहकर्मी को ऑफिस में हीं "किस" कर रहे थे | उनका कहना है कि - सीसीटीवी फूटेज को जरिया बनाकर , इस बातों का खुलासा किया गया | ऐसे में इस बातों को , देश व विश्व पटल पर लाने वाले पत्रकारों पर करवाई की जा सकती है | गौर करने की बात है कि - इस बात का खुलासा होने से , हैनॉक को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था | साथ हीं उनका पारिवारिक रिश्ता भी खराब हुआ और सरकार की भी आलोचना हुई थी |
अब सवाल है - कलम किस पर चले ! क्यूंकि कलम को तलवार से तेज माना गया है | हमें याद आता है - आजादी का वो आलम , जहाँ छुपकर भी हाथों से लिखकर हमारे देश के पूर्वजों ने एक - दूसरे तक मैसेज पहुँचाने का काम किया , जो आज भी जारी है | आखिर ऐसे कलमों पर , किसी भी आड़ को लेते हुए सवाल खड़ा नहीं होना चाहिए | सही तरीके से कलम चलना अगर रुक गया , तो भारत की गति ठहर जायेगी | जो आने वाले भविष्य के लिए , उन कुर्बानियों को भी भूल जाना पड़ेगा , जो हमारे लिए हमारे शहीदों ने किया |
पत्रकार भी वहीं कर रहे है | तभी किसी शायर ने लिखा है - "अपनी आजादी को हम हरगिज भुला सकते नहीं , सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं" | कलम का बंधना शायद ! बहुत दर्द देगा , गर ! "मीडिया" गोदी मीडिया बन जायेगी |
फिलहाल देश को दैनिक भास्कर के कार्यालय में छापामारी का आधार के स्पष्ट सूचना की प्रतीक्षा है | साथ हीं दैनिक भास्कर के सहयोगी व ओनर के शब्दों का "कि आखिरकार आयकर विभाग वाले को उस कार्यालय से क्या साक्ष्य और सबूत मिला , जिसे खंगालने के लिए , उनके कार्यालय में आयकर आयकर विभाग वालों को दस्तक देना पड़ा | यह बहुत जल्द छनकर सभी बातें सामने आएगी , जिसे जानने के लिए पाठकगण व देश की जनता इंतज़ार कर रही है | ...... ( न्यूज़ / फीचर :- आदित्या , एम० नूपुर की कलम से )
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